बैंलेस-शीट से एनपीए हटने के बाद ही बैंकों का एकीकरण
बैंक बोर्ड ब्यूरो के प्रमुख विनोद राय ने आज कहा कि बैंकों का एकीकरण अगले वित्त वर्ष से शुरू हो सकता है। उन्होंने कहा कि आज की प्राथमिकता गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के साथ फंसी पड़ी ऋण व्यवस्था को दुरूस्त करना है।
राय ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक बैंक के बैंलेस-शीट से एनपीए को हटाने का निर्णय किया गया है। उन्होंने कहा कि फंसे कर्ज के कारण बैंकों में ऋण गतिविधियाँ पूरी तरह अटक गयी हैं।
केंद्रीय सतर्कता आयोग में मुख्य सतर्कता अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘पूंजी फंस गयी है और बैंकों के पास ऋण प्रक्रिया शुरू करने के लिये पर्याप्त पूंजी नहीं है। इसीलिए आज हमारी प्राथमिकता पूरी प्रक्रिया को खोलने की कोशिश है जहां हम कुछ समाधान ला रहे हैं..हो सकता है हम कुछ सपंत्ति को हटायें जो बैंकों के बही-खाते को दबा के बैठे हैं।’’ राय ने कहा कि हमने 31 दिसंबर या 31 मार्च तक बैंकों के बही-खातों से दबाव वाली संपत्ति को हटाने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने अपनी अपनी पूरी उर्जा इस प्रक्रिया में लगाने का फैसला किया है। हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं ऋण प्रक्रिया फिर से शुरू हो क्योंकि बैंक बुनियादी ढांचे को कर्ज देने के लिये आगे नहीं आ रहे हैं। जबतक आप बुनियादी ढांचे के लिए कर्ज नहीं देते, अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिये बाधा रहेगी।’’
किसी तरह के बाधक नहीं हैं सीबीआई, सीवीसी व कैग
नयी दिल्ली, 16 अगस्त :भाषा: बैंक्स बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी) के प्रमुख विनोद राय ने आज कहा कि सीबीआई, सीवीसी व कैग कोई बाधक संस्थान नहीं हैं जो कि किसी नीतिगत जड़ता का कारण बन रहे हों।
वे केंद्रीय सतर्कता आयोग में व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार में कुछ लोग यह शोर मचा रहे हैं कि नीतिगत जड़ता है।
पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) राय ने कहा, ‘मैं इस धारणा को खारिज करना चाहूँगा कि सीबीआई, सीवीसी या कैग ऐसे बाधक हैं जो कि नीतिगत मोर्चे पर जड़ता या निर्णय प्रक्रिया में बाधक हैं। यह पूरी तरह हौव्वा है। प्रदर्शन नहीं करने वाले इसका इस्तेमाल करते हैं।’-पीटीआई