Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

स्वच्छ भारत: मिलिए उस किसान से जिसने 35 दिन में बनवाए 780 शौचालय

स्वच्छ भारत: मिलिए उस किसान से जिसने 35 दिन में बनवाए 780 शौचालय

Tuesday September 25, 2018 , 3 min Read

 केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के तहत 2014 से नवंबर 2017 तक 5 करोड़ शौचालयों का निर्माण कराया जा चुका है, लेकिन फिर भी अभी पूरे देश को खुले में शौच मुक्त बनाया जाना बाकी है।

मणिलाल गांव के लोगों को समझाते हुए

मणिलाल गांव के लोगों को समझाते हुए


स्वच्छ भारत अभियान के तहत ही 45 वर्षीय मणिलाल राना ने अपनी टीम के साथ मिलकर सिर्फ 35 दिनों के भीतर 780 शौचलायों का निर्माण कराया।

भारत में 70 फीसदी आबादी गांवों में निवास करती है और इस वजह से ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता का ध्यान देना और भी जरूरी हो जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अभी भी 73 करोड़ लोगों के पास साफ-सफाई की बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के तहत 2014 से नवंबर 2017 तक 5 करोड़ शौचालयों का निर्माण कराया जा चुका है, लेकिन फिर भी अभी पूरे देश को खुले में शौच मुक्त बनाया जाना बाकी है।

स्वच्छ भारत अभियान के तहत ही 45 वर्षीय मणिलाल राना ने अपनी टीम के साथ मिलकर सिर्फ 35 दिनों के भीतर 780 शौचलायों का निर्माण कराया। मणिलाल राजस्थान के इकलौते स्वच्छाग्रही हैं जिन्हें पीएम मोदी ने चलो चंपारण पहल के समापन पर पुरस्कृत किया था। राणा को प्रधानमंत्री मोदी ने प्रमाण पत्र, 51 हजार रुपयों का चेक व स्मृति चिह्न भेंटकर तथा शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया था। इस आयोजन में संपूर्ण भारत के 10 स्वच्छाग्रही उत्कृष्ट कार्य करने वाले विशिष्टजनों को सम्मानित किया गया था।

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के रहने वाले मणिलाल स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वप्रेरणा से गांव में शौचालय निर्माण के लिए पंडित को साथ ले जाकर लाभार्थी के घर पर मुहूर्त निकलवाकर टॉयलेट निर्माण करवाने और प्रभात फेरियों एवं नुक्कड़ नाटकों से ग्रामीण महिला को प्रेरित कर व्यवहार परिवर्तन करने का काम करते हैं। मणिलाल के जीवन में परिवर्तन तब आया जब उन्होंने अहमदाबाद और मुंबई की यात्रा की। यात्रा के दौरान उन्हें लगा कि जब शहरों में सबके यहां शौचालय हो सकता है तो गांवों में क्यों नहीं।

मणिलाल ने अपने गांव में हर घर शौचालय बनवाने के लिए योजनाएं बनानी शुरू कर दीं। वे कहते हैं, 'जैसे ही ये ख्याल मेरे मन में आया मैंने इस पर काम करना शुरू कर दिया। हमने पहले ये जानने की कोशिश की कि लोग अपने घरों में शौचालय क्यों नहीं बनवाते हैं। हमने इस काम में गांव के युवाओं का भी साथ लिया।' हालांकि उन्हें लोगों को समझाने के लिए काफी मेहनत भी करनी पड़ी। वे बताते हैं कि गांव के बुजुर्ग लोग घर में शौचालय इसलिए नहीं बनवाते थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि घर में शौचालय और रसोई घर दोनों कैसे हो सकते हैं।

पर मणिलाल ने इस मानसिकता को बदलकर गांव में 780 शौचालयों का निर्माण करवा दिया। उन्होंने शौचालय को इज्जत घर का नाम दे दिया ताकि लोगों को समझ में आए कि शौचालय कितना जरूरी है। अब गांव में एक निगरानी समिति भी है जो यह देखती है कि लोग शौच के लिए घर से बाहर न जाएं।

यह भी पढ़ें: वरुण और अनुष्का बने कौशल भारत अभियान के ब्रैंड एंबैस्डर