तीन दोस्तों ने मिलकर शुरू की कंपनी, गांव के लोगों को सिखाएंगे ऑनलाइन शॉपिंग करना
लोग छोटी से लेकर बड़ी जरूरत के सामान के लिए फटाफट ऑर्डर कर देते हैं, लेकिन गांव और कस्बों में आज भी ऑनलाइन शॉपिंग दूर की बात है। गांव वालों के साथ विश्वसनीयता और कोरियर की पहुंच न होने जैसी कई समस्याएं भी हैं। इन समस्याओं का समाधान निकालने के लिए उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के तीन युवाओं ने मिलकर एक शॉपिंग प्लेटफॉर्म बनाया है।
वरुण कहते हैं कि सुदूर गांवों तक सामान की डिलिवरी मुश्किल काम है। ऐसे में ऑर्डर आने के बाद उसे कुरियर से शहर तक पहुंचाया जाता है। इन शहरों में डिलिवरी के लिए 2-2 कर्मचारी मौजूद हैं, जो लोकल हेल्प से सामान गांव तक पहुंचाते हैं।
जूते, टी-शर्ट, जींस, सस्ती घड़ियों और साड़ी जैसे कुछ प्रॉडक्ट्स इन स्टोर्स पर देखने के लिए मौजूद होते हैं। बाकी सामान डीलर की मदद से ग्रामीण ऑनलाइन ऑर्डर पर मंगवाते हैं।
आज की तारीख में बड़े से लेकर छोटे शहरों तक ऑनलाइन शॉपिंग का चलन काफी बढ़ गया है। लोग छोटी से लेकर बड़ी जरूरत के सामान के लिए फटाफट ऑर्डर कर देते हैं, लेकिन गांव और कस्बों में आज भी ऑनलाइन शॉपिंग दूर की बात है। गांव वालों के साथ विश्वसनीयता और कोरियर की पहुंच न होने जैसी कई समस्याएं भी हैं। इन समस्याओं का समाधान निकालने के लिए उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के तीन युवाओं ने मिलकर एक शॉपिंग प्लेटफॉर्म बनाया है। जहां से 6 जिलों के ग्रामीण ऑनलाइन शॉपिंग का फायदा उठा रहे हैं।
इस ऑनलाइन शॉपिंग साइट से बरेली से लेकर हरदोई तक 6 जिलों के ग्रामीण 200 स्टोर्स पर अपनी पसंद की चीजें ऑनलाइन खरीद रहे हैं। युवाओं के लिए खुशी की बात यह है कि आईआईटी कानपुर के सिडबी इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेंटर ने इस कंपनी में 20 लाख रुपये के निवेश का ऐलान किया। कंपनी अगले एक साल में मध्य प्रदेश और राजस्थान में कारोबार का विस्तार करेगी। अगले तीन साल में 10 हजार रूरल लोकेशंस को ऑनलाइन लाने का प्लान भी तैयार किया गया है।
उदित अग्रवाल वैसे तो सीए का काम करते थे, लेकिन उनके दिमाग में हमेशा से कुछ नया करने का जुनून सवार था। वह अपने दोस्त शरद उपाध्याय के साथ सात साल से रुहेलखंड में सरकारी एजेंसियों के लिए काम कर रहे थे। इस बीच उन्हें महसूस हुआ कि तमाम सहूलियतों के बावजूद ग्रामीणों को शॉपिंग करने के लिए अच्छे ऑप्शंस नहीं मिलते। उदित और शरद ने अपने तीसरे दोस्त वरुण बंसल के साथ मिलकर 'टटोलो स्टोर प्राइवेट' लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई। कंपनी की शॉपिंग साइट (www.tatoloonline.com) बनाकर इसमें 50 हजार प्रॉडक्ट्स का विकल्प रखा।
आईआईटी कानपुर के सिडबी सेंटर के सीईओ अभिजीत साठे ने बताया कि गांव की जरूरतों को पूरा करने के लिए ई-कॉमर्स बिजनेस मॉडल पर फोकस किया जा रहा है इसी लिए टटोलोऑनलाइन कंपनी से हाथ मिलाया गया है। वरुण बंसल ने बताया कि दिवाली के बाद कानपुर में लगभग 150 स्टोर खोले जाएंगे। इससे ग्रामीण युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। ऑनलाइन शॉपिंग में सबसी बड़ी बात विश्वसनीयता की होती है इसलिए कंपनी ने प्रॉडक्ट्स के मॉडल अपने स्टोर में रखने का फैसला किया है।
वरुण कहते हैं कि सुदूर गांवों तक सामान की डिलिवरी मुश्किल काम है। ऐसे में ऑर्डर आने के बाद उसे कुरियर से शहर तक पहुंचाया जाता है। इन शहरों में डिलिवरी के लिए 2-2 कर्मचारी मौजूद हैं, जो लोकल हेल्प से सामान गांव तक पहुंचाते हैं। लागत और मुनाफे के लिए सामान सीधे कंपनी या सुपर स्टॉकिस्ट से खरीदा जाता है। कंपनी फिलहाल करीब 2 करोड़ रुपये की है। फिलहाल 6 जिलों में टटोलो के 200 स्टोर मौजूद हैं। कंपनी के लिए डीलर्स के अलावा 30 कर्मचारी काम करते हैं।
वरुण बंसल के मुताबिक, बरेली, शाहजहांपुर, पीलीभीत, बदायूं, रामपुर और हरदोई में रिमोट लोकेशन वाले गांवों तक लोगों को ऑनलाइन शॉपिंग करवाना चुनौती थी। इसके लिए डेढ़ साल पहले एक प्लान तैयार किया। बरेली के कुछ गांवों के बीच एक स्टोर खोला। किसी एक ग्रामीण को स्टोर चलाने का जिम्मा दिया। उसे इंटरनेट और कैशलेस ट्रांजेक्शन की ट्रेनिंग दी। अपने बीच के ही किसी शख्स के स्टोर चलाने के कारण ग्रामीणों का भरोसा कायम हो गया। जूते, टी-शर्ट, जींस, सस्ती घड़ियों और साड़ी जैसे कुछ प्रॉडक्ट्स इन स्टोर्स पर देखने के लिए मौजूद होते हैं। बाकी सामान डीलर की मदद से ग्रामीण ऑनलाइन ऑर्डर पर मंगवाते हैं। डीलर को हर डिलिवरी के एवज में कमिशन मिलता है, जो महीने में 4-5 हजार रुपये या उससे ज्यादा हो जाता है।
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