हर कठिन सवालों का जवाब है, "लाइट"
संजीव नायर, अनिमेष सेमुअल और संजीव मेनन ने शुरु किया 'लाइट' एप'लाइट' एप का टैग लाइन है ‘Going beyond search' हर सवाल का "लाइट" आपको सीधा और सटीक ज़वाब देगाफिलहाल एप्लीकेशन रोज़ाना करीब 100 सवालों के उत्तर देता है
बड़े - बड़े दावे तो बहुत सुने है पर जब मैंने "लाइट" एप (Lightapp) का उपयोग किया तो मुझे उनके दावों में तथ्य नज़र आया। भारतीय तकनीकी विशेषज्ञ जिन्हें बेय एरिया (Bay area) में काम करने का अनुभव हैं, द्वारा विकसित "लाइट" नामक एप एक नया कीर्तिमान रचती नज़र आ रही है। यह एप रिलायंस इंडस्ट्रीज और माइक्रोसॉफ्ट वेंचर्स द्वारा संचालित जेननेक्स्ट इनोवेशन हब में बनाया गया हैं। इस एप के लांच के बाद ही हमें संजीव नायर (टेक्नोलॉजिस्ट और डिजाईन में दो दशक से अनुभवी) का मेल प्राप्त हुआ जिनके पास असल में हमें दिखने के लिए कुछ दिलचस्प था।
कोर टीम का हिस्सा, संजीव भी "लाइट" एप के निवेशकों में से एक है। और जैसा की इस एप की टैग लाइन ‘Going beyond search' से हमें पता चलता है की खोज से परे जाकर जानकारी प्राप्त करना ही इसका एकमात्र लक्ष्य हैं। लाइट एन एल पी (प्राकृतिक भाषा संसाधन), मशीन लर्निंग और मैन - मशीन हाइब्रिड तकनीक पर बनाया गया एक आंसरिंग इंजन हैं। आपके मन में कई तरह के सवाल होंगे कि यह आखिर हैं क्या? आप "लाइट" से एक सवाल पूछिये और वो आपको कुछ ही देर में ऐसा जवाब देगा जैसे आप उससे बात कर रहे हो। न ही हज़ारो लिंक्स, न ही कई तरह के ज़वाब जो आपको असमंजस में डाल दे। "लाइट" आपको सीधा और सटीक ज़वाब देगा। हाँ, (गूगल सहित) इसी तर्ज पर कई प्रयास किये गए है, और विश्वस्तर पर कॉरपोरेट्स समर्पित टीमों ने प्रभावशाली प्रगति की हैं, लेकिन "लाइट" ने इस सब से अलग कुछ कर दिखाया हैं ।
मैंने "लाइट" के उपयोग की कोशिश की और परिणाम बहुत प्रभावशाली थे। मैंने कई तरह के सवाल किये जिसमें अलग - अलग तरह की प्रोसेसिंग का इस्तेमाल हो जैसे "इस वक़्त का तापमान क्या हैं?", "पैड़ की जड़े कितनी मजबूत होती हैं ?" ऐसे ही कई सवाल, मगर सभी जवाब संतोषजनक थे।
यह कैसे काम करता है?
संजीव बताते हैं कि "आप किसी भी तरह के, कितने भी शब्द या सवाल "लाइट" से पूछ सकते हैं, यह उन सारे जवाबों का कार्यान्वयन मानव कम्प्यूटर संपर्क (ह्यूमन कम्प्यूटर इंटरेक्शन) क्षेत्र द्वारा करता है। यह सिस्टम बहुत बड़े डेटा (बिग डेटा ) को प्रॉसेस करता है, जोड़ता है (रिलेशनल डेटा), उनसे सीखता है (आर्टिफिशल इंटेलिजेंस / मशीन लर्निंग)और फिर मनुष्य से वार्तालाप करता हैं।"
अनिमेष सेमुअल और संजीव मेनन प्रकाश व्यवस्था के पीछे प्रमुख लोग हैं। अनिमेष जो की सीईओ (CEO) हैं उन्हें भारत और मध्य पूर्व में कंसल्टिंग और मार्केटिंग का अनुभव हैं। संजीव मेनन फ्लोरिडा विश्वविद्यालय से अपनी एमएस (MS)पूरी करने के बाद उन्होंने टेलीकॉम कंपनी में कुछ दिनों के लिये काम किया, फिर नेट यंत्रा इंक (NetYantra inc.) और सन २००१ में उन्होंने वीओआईपी (VOIP) उत्पाद कंपनी स्थापित की।
तिकड़ी (संजीव नायर, अनिमेष सेमुअल और संजीव मेनन) इंजीनियरिंग के दौरान दोस्त रहने के बाद 15 साल बाद मिले। बहुत सोच विचार और महीन बातों का ध्यान रखकर शुरू किया गया कार्य आखिर "लाइट" एप के रूप में नज़र आया। एप को तीन साल हो गए है मार्किट में। यह सिस्टम मैन मशीन हाइब्रिड टेक्नोलॉजी ("Man-Machine hybrid technologies") एक ऐसी प्रक्रिया जिससे लाइट वह डेटा संभालता हैं जो मशीन नहीं समझ पाती। जैसे कि एक मनोविज्ञान आधारित सवाल जिसका उत्तर प्रभावी होना चाहिए या एक ऐसा सवाल जिसका जवाब सोच को ध्यान में रखकर दिया जाना चाहिए। इन एल पी तकनीक सभी मनुष्य विचारों का अध्यन कर भविष्य में आने वाले सवालो का जवाब खुद ब खुद की प्रदान करने की सुविधा देता हैं। संजीव ने हमें बताया कि "हम अपने उपयोगकर्ता को विशेषज्ञ बनने की सुविधा भी प्रदान करते हैं। उपयोगकर्ता विशेषज्ञ की तरह साइन अप कर, अपने विषयों से जुड़े सवालो का जवाब देकर विशेषज्ञ बन सकते है। उनके जवाबो को सिस्टम और आपसी जाँच के बाद बदला भी जा सकता हैं।"
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की नीव पर बानी “लाइट” एप का दृष्टी कोण साफ़ था। संजीव ने एक ब्लॉग पोस्ट में यह रेखांकित किया है कि वर्तमान युग में एक औसत इंसान ऑनलाइन जानकारी की खोज में 47,520 घंटे (2.2 वर्ष) खर्च करता है। यह बाथरूम में बिताए गये समय (1.5 वर्ष की होती है जो 13148.7 घंटे) या हंसने में बिताये समय (115 दिनों का है जो 2760 घंटे) से कई ज्यादा हैं। इन आकड़ो से साफ़ हैं की हमें "लाइट" एप की कितनी आश्यकता हैं।
इस एप को बनाने का पहला तरीका SMS द्वारा सवाल और जवाब का था। उपयोगकर्ता सवाल SMS के ज़रिये भेजें और लाइट उसका जवाब भी SMS के जरिये दे। इस विचार के साथ एप की मार्केटिंग की गई और धीरे धीरे एप रोज़ाना करीब 100 सवालों के उत्तर देने लगी।
आत्मविश्वास को बढ़ता देख और इंटरनेट और स्मार्टफोन के प्रवेश को देखते हुए इसे इंटरनेट पर उपयोग करने लायक एप का रूप देना शुरू किया गया। डेवलपिंग और डिजाइनिंग में एक साल लगा, और आज यह मुंबई स्थित १५ कर्मियों की कंपनी ने एप को इंटरनेट - स्मार्टफोन्स पर उपलब्ध करा ही दिया। सभी कर्मियों का अनुभव "लाइट" के लिए नये दरवाज़े खोल रहा हैं इनकी बढ़त को देखते हुये लगता है की जल्द ही कंपनी धन अर्जन में बढ़ोतरी करती नज़र आएगी ।
15 मार्च को इस एप के लॉन्च के साथ ही शुरुआत से अब तक कहानी की बड़ी ही आधुनिक और प्रभावी हैं। "हम जल्द से जल्द अधिक उपयोगकर्ताओं तक पहुँचना चाहते हैं" संजीव ने कहा। वैसे अभी इस एप की सफलता के गुनगान करना काफ़ी जल्दबाज़ी होगी मगर जिस तरह का डेटा यह उपलब्ध करवा रही है इनकी सफलता ज्यादा दूर नज़र नहीं आती।
मैं खुद इस एप का इस्तेमाल अपने मोबाइल पर कर रही हूँ। हालांकि साधारण सर्च मुझे आज भी अलग से करनी होती है जैसे गाने, गेम्स या फिल्में। मगर में "लाइट" से भी काफ़ी सवाल करती हूँ और मैरा अब तक का अनुभव बहुत ही सुखद है।