चाय की गपशप टेक्नालजी की दुनिया मैं खो सी गयी हैं!!
हमने टेक्नालजी बनाया परंतु हमे चलाने वाला टेक्नालजी हो गया। आज की बिज़ि दुनियाँ मे लोगो के पास इतना भी समय नहीं की हम एक दूसरे का हाल चाल पुछ ले। बस अपनी दुनिया मैं मगन हैं।
हम टेक्नालजी की दुनिया के हवाले इस तरह अपने आप को गिरवी रख चुके हैं मानो बिना इजाजत के इनके हम एक काम करना गवारा नहीं मानते । एक छोटी सी स्क्रीन ने हमे इस तरह बांध रखा हैं जहां के झूठे रिश्ते पल भर निभाने के चक्कर मैं नज़दीकियों के रिश्ते को कहीं दूर छोड़ते जा रहे मानो हमे रोमिंग चार्ज लगेगा। पहले का समय अलग था जब हम बस चाय पीने का बहाना ढूंड्ते थे ताकि आफ्नो के साथ पल भर की बात कर ले। बहोत सारी बाते,बहोत सारी सीख , तजुर्बो की बात अलग ही अंदाज़ था।
हमने टेक्नालजी बनाया परंतु हमे चलाने वाला टेक्नालजी हो गया। आज की बिज़ि दुनियाँ मे लोगो के पास इतना भी समय नहीं की हम एक दूसरे का हाल चाल पुछ ले। बस अपनी दुनिया मैं मगन हैं। आज कल तो लोगो को हमने देखा है कोफ़्फ़ि शॉप मे दोस्तो के साथ जाते हैं परंतु वह भी अपने दूरसंचार का प्रयोग करते हैं। मैं ये नहीं कहती की आप दूरसंचार का प्रयोग न करे परंतु आफ्नो को समय दे वो भी नज़दीकियों से न की दूरसंचार का प्रयोग करके, संदेश भेज कर।
आज की दुनिया मैं लोग अपने बच्चे को भी मनोरंजन के लिए सिर्फ और सिर्फ मोबाइल और टीवी का इस्तेमाल करते हैं। बाहरी दुनिया से उनका कोई ताल मेल ही नहीं रहता और हम उन्हे एक चिचिडा सा माहौल बना कर देते हैं। हम कुछ पल की सुख सुविधा के लिए बस डिजिटल लाइफ मैं जी रहे हैं। बाद मैं हम उनही को दोषी बताएँगे । हम इतनी दूरियाँ लाये कैसे ये सोचना चाहिए । किसी ने खूब कहाँ है की "नज़दीकियों का पता, अब दूरियाँ दे गयी !!" बस दूरियाँ हम बनाए और हम ही रोये। हर रिश्ते को मौका देना चाहिए। हर चीज़ का समय होता हैं जिनहे हुमे ही तय करना हैं. शाम की चाय हो और आफ्नो का साथ हो तो और क्या चाहिए लोगो को।
सोचिए और गौर फरमाईए।