पर्यावरण बचाने के लिए शीतल ने अपनी जेब से खर्च कर दिए 40 लाख
कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो बड़ी खामोशी और शिद्दत से प्रकृति को नई जिंदगी देने में लगे हुए हैं। ऐसे ही लोगों में से एक हैं लुधियाना के रायकोट में रहने वाले शीतल प्रकाश।
शीतल अपने जज्बे से बंजर जमीन पर बिना किसी सरकारी मदद के बड़े पैमाने पर पौधे लगाकर हरियाली फैलाने का काम कर रहे हैं। वह अब तक करीब 20 हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं।
शीतल ने बताया कि ऐसे काम के लिए वह अब तक 40 लाख रुपये से ज्यादा खर्च कर चुके हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि अपने इसी जुनून के चलते शीतल प्रकाश ने शादी तक नहीं की।
पर्यावरण प्रदूषण की वजह से हर किसी को मुश्किल उठानी पड़ती है, लेकिन इसके बारे में सोचने वाले लोग कम ही हैं। कुछ ही लोग ऐसे होते हैं जो पर्यावरण और प्रकृति को बचाने के लिए अपना सबकुछ लगा देते हैं। कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो बड़ी खामोशी और शिद्दत से प्रकृति को नवजीवन देने में लगे हुए हैं। ऐसे ही लोगों में से एक हैं लुधियाना के रायकोट में रहने वाले शीतल प्रकाश। शीतल अपने जज्बे से बंजर जमीन पर बिना किसी सरकारी मदद के बड़े पैमाने पर पौधे लगाकर हरियाली फैलाने का काम कर रहे हैं। वह अब तक करीब 20 हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं।
वैसे तो शीतल मोबाइल फोन का कारोबार करते हैं, लेकिन वह पर्यावरण संरक्षण, पक्षियों के लिए घोसले बनाने और लावारिस जानवरों की देख रेख पर अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा खर्च कर देते हैं। शीतल ने बताया कि ऐसे काम के लिए वह अब तक 40 लाख रुपये से ज्यादा खर्च कर चुके हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि अपने इसी जनून के चलते शीतल प्रकाश ने शादी तक नहीं की।
शीतल पौधे लगाने के बाद उनकी बच्चों की तरह परवरिश करते हैं। शीतल के मुताबिक जिस तरह एक छोटे बच्चों को हैवी फूड व ज्यादा मात्रा में पानी नहीं दिया जा सकता, ठीक वैसा पौधों के साथ है। इन्हें वह ड्रिप सिस्टम से पानी, भोजन के तौर पर लिक्वेड, फर्टिलाइजर व कीड़ों से बचाने के लिए समय-समय पर दवाई देते हैं। उनकी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा इसी पर खर्च होता है।
शीतल को 1997 में हुई एक घटना से इस काम की प्रेरणा मिली थी। दरअसल, उस दौरान धार्मिक संस्था के कुछ लोग उनके क्षेत्र में एक पेड़ काटने के लिए आए। शीतल ने उनका विरोध किया और पेड़ नहीं कटने दिया। उस दिन से वह पर्यावरण के रक्षक बन गए। शीतल पिछले 20 सालों से सैकड़ों एकड़ बंजर और वीरान जमीन पर वृक्षारोपण कर रहे हैं। वह धरती के उस हिस्से को हरा-भरा कर देते हैं जिसे लोग बंजर समझकर कूड़ाघर में बदल देते हैं।
शीतल ने अकेले ही रायकोट व लुधियाना की कई बंजर जमीनों में अशोका, पीपल, कीकर बेहड़ा, जंट, गुलार, नीम, जेड़, पिलकन, बॉक्स वुड, साइक्स, फाइक्स बोगल बिल, आम, हरड़, गुलमोहर, कचनार के पौधे लगाकर हरियाली में बहार ला दी। बंजर जमीनों के अलावा शीतल की तरफ से सड़कों, पार्कों व नहरों के किनारे भी बड़ी तादाद में लगाए गए पेड़ आज छाया और ठंडक प्रदान कर रहे हैं।
शीतल दीपावली, होली, रक्षा बंधन, लोहड़ी, स्वतंत्रता दिवस सहित अन्य उत्सवों पर मंदिर, गुरुद्वारा, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, हॉस्टलों में लाखों पौधे बांट चुके हैं। वे कहते हैं कि उनके प्रयास से पर्यावरण की थोड़ी भी रक्षा हो पाती है, तो वह अपना जीवन सफल मानेंगे।
शीतल को पर्यावरण संरक्षण के लिए पंजाब सरकार द्वारा स्टेट अवार्ड दिया गया। इसके अलावा 2013 में ही उन्हें ग्रीन आइडल पंजाब का सम्मान मिल चुका है।
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