कभी चंदीगढ़ में पांच हज़ार रुपए वेतन की नौकरी करते थे लंदन के करोड़पति उप-महापौर राजेश अग्रवाल
लंदन के पाकिस्तानी मूल के महापौर सादिक़ खान ने यूरोपीय संघ संबंधी जनमत संग्रह के संभावित परिणाम के बीच शहर के वित्तीय हित्तों के संदर्भ में भारतीय मूल के एक करोड़पति को अपना उप-महापौर बनाने की आज घोषणा की।
करोड़पति राजेश अग्रवाल (39) भारत में बहुत ही मामूली स्थितियों में पले बढ़े और लंदन जाकर उन्होंने विदेशी मुद्रा संबंधी कंपनी रेशनल एफएक्स स्थापित किया । इस कंपनी का पिछले साल कुल 1.3 अरब पाउंड का कारोबार था।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा अंतरण सेवा जेंडपे की भी स्थापना करने वाले अग्रवाल का नाम संडे टाईम्स की धनी व्यक्तियों की सूची में आया था।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘महापौर और मैं ऐसा गठबंधन बनाने को कटिबद्ध हैं जो यह सुनिश्चित करे कि कारोबारी और वित्तीय सेवाओं की जरूरतें यूरोपीय संघ के साथ वार्ता के आगामी महीनों में सामने हो। ’’ उन्होंने कहा कि मेरी पहली प्राथमिकता व्यापारी वर्ग की बातें सुनाने और उनके साथ मिलकर काम करना होगा। अग्रवाल महापौर के चुनाव प्रचार के दौरान खान के कारोबारी सलाहकार थे।
मेयर सादिक़ खान ने कहा कि ब्रेक्जिट के कारण नौकरियों पर पैदा संकट खत्म करने और लंदन के विकास की रफ्तार बरकरार रखने के लिए अग्रवाल सबसे उपयुक्त व्यक्ति हैं। वहीं, अग्रवाल ने कहा कि कारोबारी जगत की दुविधाओं को दूर करना उनकी प्राथमिकता होगी।
पांच हजार रुपए प्रति माह सैलरी मिलती थी
इंदौर के मूल निवासी राजेश अग्रवाल के बड़े भाई योगेश अग्रवाल इंदौर में एचडीएफसी में कार्यरत हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने राजेश अग्रवाल के डिप्टी मेयर बनने पर प्रसन्नता जताई और उन्हें बधाई दी।
राजेश अग्रवाल का जन्म 9 जून 1977 को इंदौर में हुआ था। उन्होंने इंदौर के सेंट पॉल हायर सेकेंडरी स्कूल स्कूली शिक्षा तथा इंदौर प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट ऑफ मैंनेजमेंट से बीबीए किया है। 22 वर्ष की उम्र में वे नौकरी करने के लिए चंडीगढ़ चले गए थे, जहां उन्हें पांच हजार रुपए प्रति माह सैलरी मिलती थी।
15 साल पहले जब वे पहली बार लंदन गये थे। अब अग्रवाल लंदन में विदेश मुद्रा का कारोबार करने वाली कंपनी रेशनलएफएक्स चलाते हैं। उनकी कंपनी ने पिछले वर्ष 1.3 अरब पौंड (करीब 118 अरब रुपए) का कारोबार किया था। इंटरनेशल मनी ट्रांसफर क्षेत्र में सेंडपे नाम से भी उनकी कंपनी है। नौ करोड़ पौंड की इस कंपनी को संडे टाइम्स की सूची में भी जगह मिल चुकी है। (पीटीआई के सहयोग से)