बैकग्राउंड स्क्रीनिंग स्टार्टअप, सुलझा चुका है 'सस्पेन्स-थ्रिलर फ़िल्मों' जैसे कई मामले
आज हम आपको गुरुग्राम आधारित ऑथब्रिज स्टार्टअप के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बैकग्राउंट स्क्रीनिंग, कस्टमर स्क्रीनिंग, आइडेंटिटी वेरिफ़िकेशन आदि सर्विसेज़ मुहैया कराता है। कंपनी अभी तक कई ऐसे मामले सुलझा चुकी है, जिनकी कहानी किसी फ़िल्म से कम नहीं है। ऑथब्रिज के फ़ाउंडर और सीईओ अजय त्रेहान बताते हैं कि उनकी कंपनी, विभिन्न संगठनों आदि में होने वाली नई भर्तियों और पहले से मौजूद स्टाफ़ के बैकग्राउंड की जांच करती है। ऑथब्रिज कंपनी के ड्राइवरों से लेकर बोर्ड सदस्यों तक सभी का बैकग्राउंड चेक करती है।
ऐसे ही एक केस का ज़िक्र करते हुए अजय बताते हैं कि कंपनी के पास एक क्लाइंट आया, जिसे एक महिला कर्मचारी का बैकग्राउंड चेक कराना था। जांच करने पर पता चला कि महिला ने अपनी मृत बहन के नाम पर नौकरी हासिल की थी। ऑथब्रिज ने पता लगाया कि जिस महिला का पहचान पत्र जमा किया गया है, वह इससे पहले कहां काम करती थी और पिछली कंपनी से बात करने पर पता चला कि जिस महिला की बात हो रही है, वह मर चुकी है। इतना ही नहीं, पुरानी कंपनी ने महिला की मौत की पुष्टि करने के लिए मेडिकल रिपोर्ट भी मुहैया कराई। इसके बाद ग़लत पहचान बताने वाली महिला ने स्वीकार किया उन्होंने पहचान के मामले में फ़र्ज़ीवाड़ा किया है।
आईआईटी दिल्ली से पढ़े अजय ऐसी ही एक और घटना का ज़िक्र करते हुए बताते हैं कि एक मध्यम स्तर की आईटी कंपनी के सीईओ, जिन्हें 18 सालों का अनुभव था, उनकी जांच करने पर पता चला कि वह अपने प्रोफ़ाइल में आईआईटी और आईआईएम की फ़र्ज़ी डिग्रियां दिखाते थे।
अजय बताते हैं कि एक महीने के भीतर कर्मचारियों की ओर शिकायत आने लगी कि सीईओ में आईआईटी-आईआईएम ग्रैजुएट वाले स्किल्स नहीं है और इसके बाद उनके बैकग्राउंड का पता लगाने का काम ऑथब्रिज को मिला। जांच करने पर आईआईएम-अहमदाबाद और आईआईटी-बीएचयू ने पुष्टि की फ़र्जीवाड़ा करने वाला सीईओ उनके संस्थानों का हिस्सा नहीं रहा।
ऑथब्रिज के अनुसार, हर महीने उनके पास जितने मामले आते हैं, उनमें से 10 प्रतिशत में कुछ न कुछ गड़बड़ी ज़रूर पाई जाती है। कई मामले ऐसे होते हैं, जिन्हें आसानी से सुलझा लिया जाता है। कुछ ऐसे मामले होते हैं, जिनमें वैश्विक नियामकों का भी ध्यान रखना पड़ता है। ऐसी ही एक घटना की जानकारी देते हुए अजय बताते हैं कि इंटरनैशल बोर्ड में एक ऐसे व्यक्ति को हायर किया गया था, जिस पर यूएस में ट्रैफ़िक नियमों को तोड़ने के लिए 40 डॉलर का फ़ाइन था। यह पता लगने के बाद कैंडिडेट से फ़ाइन चुकाने के लिए कहा गया और ऑफ़र को आगे बढ़ाया गया।
अजय बताते हैं कि कभी-कभी कुछ बेहद पेचीदा मामले सामने आते हैं। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि एक बार देहरादून के एक स्कूल ने अपने स्टाफ़ की बैकग्राउंड स्क्रीनिंग कराने का फ़ैसला लिया। स्कूल में एक टीचर बहुत सालों से पढ़ा रहा था, लेकिन बैकग्राउंड स्क्रीनिंग करने पर पता चला कि टीचर सीबीआई की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शामिल है।
ऑथब्रिज की शुरुआत 2005 में हुई थी। ऑथब्रिज की शुरुआत करने से पहले अजय एक बीपीओ कंपनी चलाते थे, जो यूएस और यूके में अपनी सुविधाएं मुहैया कराता था। अजय बताते हैं कि यूएस में अपनी यात्राओं के दौरान उन्हें कई बैकग्राउंड स्क्रीनिंग कंपनियों के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद उन्हें विचार आया कि भारत आकर ऐसी सुविधाओं की शुरुआत की जाए क्योंकि तब तक भारत में कोई भी कंपनी ऐसी सर्विसेज़ नहीं उपलब्ध करा रही थी। अजय बताते हैं कि यह कोई जासूसी का काम नहीं था बल्कि यह एक रिसर्च आधारित केपीओ का मौक़ था। इसके बाद यह आइडिया लेकर अजय विभिन्न कंपनियों के एचआर विभाग में गए और वहां से उन्हें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।
2006 में ऑथब्रिज को अपना पहला कॉन्ट्रैक्ट मिला। तीन-चार लोगों की छोटी सी टीम से बढ़कर अब कंपनी के पास 1 हज़ार से भी ज़्यादा कर्मचारी हैं और अभी तक कंपनी के साथ 1,400 क्लाइंट्स जुड़ चुके हैं। अजय बताते हैं कि 2007-08 तक काम काफ़ी बढ़ चुका था और इसके बाद उन्होंने कंपनी के काम को ऑटोमेट करने का फ़ैसला लिया। ऑथब्रिज ने डिग्रियों और एम्प्लॉयमेंट का साल-दर-साल का रेकॉर्ड बनाना शुरू कर दिया। कंपनी के डेटाबेस में हाल में 300 मिलियन रेकॉर्ड्स हैं।
चूंकि इन रेकॉर्ड्स में निजी जानकारियां होती हैं, इसलिए कंपनी यह सुनिश्चित करती है कि हर किसी की इस डेटा तक पहुंच न हो।
हाल में कंपनी रोज़ाना 15 हज़ार से 20 हज़ार कैंडिडेट्स की स्क्रीनिंग करती है। स्क्रीनिंग के दौरान कंपनी, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट आदि सभी पहचान पत्रों की स्क्रीनिंग करती है। कंपनी इन सभी पहचान पत्रों के वैरिफ़िकेशन के लिए सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त ऐप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफ़ेस का इस्तेमाल करती है। प्रोफ़ाइल चेक में कंपनी एजुकेशन और प्रोफ़ेशनल बैकग्राउंड की जांच करती है और इसके लिए कंपनी अपने प्रॉपराइटरी सॉफ़्टवेयर को इस्तेमाल में लाती है।
किसी भी कैंडिडेट की प्रतिष्ठा चेक करने के लिए कंपनी कोर्ट द्वारा उपलब्ध डिजिटल डेटा और लिटिगेशन रेकॉर्ड्स चेक करती है। प्रतिष्ठा संबंधी जांच के लिए कंपनी, पूर्व कर्मचारियों और साथियों से भी बातचीत करती है।
ओला कैब्स, माइंडट्री, मैक्स लाइफ़ इंश्योरेन्स, मैनपावर ग्रुप और प्रॉप टाइगर जैसे बड़े नाम कंपनी की क्लाइंट लिस्ट में शामिल हैं। कई स्कूल और कॉलेज भी कंपनी के साथ बतौर क्लाइंट जुड़े हुए हैं। भारतीय बाज़ार में यूएस-मुख्यालय वाली फ़र्स्ट अडवांटेज और केपीएमजी बैकग्राउंड स्क्रीनिंग ऐंड वेरिफ़िकेशन सर्विसेज़, ऑथब्रिज के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी हैं। ऑथब्रिज का दावा है कि वे इस बाज़ार में सबसे आगे हैं और उनका सालाना रेवेन्यू 100 करोड़ का है। अजय कहते हैं कि कंपनी पहले साल से ही मुनाफ़े में है।
पिछले साल सितंबर में, ऑथब्रिज ने बेंगलुरु आधारित फ़ूटप्रिंट्स कोलैट्रल सर्विसेज़ का अधिग्रहण किया था और कंपनी का दावा है कि बैकग्राउंड स्क्रीनिंग सर्विसेज़ की इंडस्ट्री में यह सबसे बड़ी डील है। कंपनी की अपेक्षा है कि अधिग्रहण की बदौलत 2020 में मार्च तक उनका मार्केट शेयर 40 प्रतिशत पहुंच जाएगा। कंपनी का दावा है कि हाल में उनके पास 30 प्रतिशत से ज़्यादा मार्केट शेयर है और उनकी सालाना विकास दर 40-50 प्रतिशत तक है।
कंपनी बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी अपनी सर्विसेज़ देता है क्योंकि बैंकों इत्यादि को लोन अप्रूवल आदि के लिए ग्राहकों के बैकग्राउंड के बारे में सटीक जानकारी की ज़रूरत होती है। ऑथब्रिज अपने डेटाबेस को इस्तेमाल करने के लिए 'प्लग ऐंड प्ले' सर्विसेज़ भी देती है। हाल ही में ऑथब्रिज ने ड्रग टेस्ट की सुविधाएं देना भी शुरू कर दिया है। अजय बताते हैं कि स्टार्टअप अपनी क्लाइंट कंपनी के कर्मचारियों की मेडिकल जांच करके यह पता लगाती है कि वे ड्रग्स का सेवन तो नहीं करते।
अजय कहते हैं कि बैकग्राउंड वेरिफ़िकेशन का मार्केट लगभग 500 करोड़ रुपए का है और यह मार्केट 15-20 हज़ार करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। उनके अनुसार, शुरुआती दिनों में सिर्फ़ बीपीओ कंपनियां ही बैकग्राउंड स्क्रीनिंग करवाती थीं क्योंकि उनके मुख्यालय यूके या यूएस में हुआ करते थे, लेकिन अब सभी कंपनियां इससे ज़रूरी समझने लगी हैं।
कंपनी को अभी तक किसी तरह की इंस्टीट्यूशनल फ़ंडिंग नहीं मिली है। हालांकि, कंपनी को एंजल इनवेस्टमेंट ज़रूरी मिल चुका है। अगले एक साल में कंपनी फ़ंड जुटाने की योजना बना रही है। अजय ने जानकारी दी कि ऑथब्रिज ने एक इनवेस्टमेंट बैंकर भी हायर कर लिया है।