166 साल पुराना Credit Suisse बैंक होगा दिवालिया! शेयरों में आई रिकॉर्ड गिरावट
अभी अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank - SVB) और सिग्नेचर बैंक (Signature Bank) के दिवालिया होने की ख़बर ठंडी नहीं पड़ी थी कि कल फर्स्ट रिपब्लिक बैंक (First Republic Bank) के खस्ता हाल की ख़बर आई. और अब इसी कड़ी में यूरोप के सबसे बड़े बैंकों में से एक, क्रेडिट सुइस (Credit Suisse) का नाम आ रहा है. अमेरिका में शुरू हुआ बैंक संकट अब यूरोप की तरफ रूख करने लगा है.
166 साल पुराने Credit Suisse की गिनती दुनिया के सबसे बड़े बैंकों में एक होती है. यह UBS AG के बाद स्विट्जरलैंड का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है.
संकट से घीरे क्रेडिट सुइस बैंक स्विस स्टॉक एक्सचेंज पर क्रैश कर गए. बुधवार के दिन बैंक के शेयरों में 25 फीसदी तक की भारी गिरावट दर्ज की गई है. वहीं बैंक की शेयरों की कीमतों में पिछले 3 महीने में एक तिहाई तक की कमी दर्ज की गई है.
वहीं, बैंक के सबसे बड़े शेयरहोल्डर ने इसमें और निवेश डालने से मना कर दिया है, जिसके बाद बैंक के शेयरों में बिकवाली और तेज हो गई है.
बता दें कि स्विट्जरलैंड में स्थित Credit Suisse में सबसे बड़ी हिस्सेदारी सऊदी नेशनल बैंक (Saudi National Bank) की है. यह हिस्सेदारी कुल 9.9 फीसदी की है.
हालांकि क्रेडिट सुइस बैंक के सीईओ उलरिच कोर्नर ने मंगलवार को दावा किया था कि बैंक की वित्तीय स्थिति अच्छी है, उसका बैलेंस शीट मजबूत है और उसके डूबने की आशंका नहीं है.
Credit Suisse के शेयरों में क्यों आई गिरावट?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सऊदी नेशनल बैंक (Saudi National Bank) के अध्यक्ष, अम्मार अल खुदैरी ने आज सुबह कहा कि अगर अतिरिक्त लिक्विडिटी के लिए एक और कॉल होती है तो उनका बैंक क्रेडिट सुइस में और धनराशि नहीं डाल पाएगा. सऊदी नेशनल बैंक वर्तमान में क्रेडिट सुइस का सबसे बड़ा निवेशक है, जिसके 9.9 प्रतिशत शेयर हैं, जिसने पिछले साल इसकी पूंजी जुटाने में भाग लिया था.
मंगलवार को, क्रेडिट सुइस ने 2022 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें दिखाया गया था कि उसने वित्तीय रिपोर्टिंग पर अपने आंतरिक नियंत्रण में 'मटेरियल वीकनेसिस' की पहचान की थी. पिछले महीने, क्रेडिट सुइस ने 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से अपने सबसे बड़े वार्षिक नुकसान की सूचना दी, जब ग्राहकों ने बैंक से अरबों निकाले.
अब अगर क्रेडिट सुइस दिवालिया होता है या डूबता है, तो इसका दुनिया भर के बैंकिंग सिस्टम पर बड़ा असर देखने को मिल सकता है. कुछ एक्सपर्ट्स तो 2008 के ग्लोबल आर्थिक संकट जैसे हालात के दोहराव का जोखिम भी बता रहे हैं.