मिलिए उन लॉ स्टूडेंट्स से जिनकी याचिका से संभव होगा सुप्रीम कोर्ट का लाइव टेलीकास्ट
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से कानून की दुनिया के लोगों के साथ ही आम लोगों को भी फायदा मिल सकेगा। जिन छात्रों ने यह याचिका दाखिल की थी उनमें नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जोधपुर के स्वप्निल त्रिपाठी का नाम सबसे प्रमुख है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश देते हुए कहा कि इस प्रक्रिया की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट से होगी। कोर्ट ने कहा कि लाइव स्ट्रीमिंग के आदेश से अदालत की कार्यवाही में पारदर्शिता आएगी और यह लोकहित में होगा।
बीते सप्ताह अपने एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम मामलों की सुनवाई का लाइव प्रसारण करने की अनुमति दे दी। अब लोकसभा और राज्य सभा की तरह ही सुप्रीम कोर्ट में चल रहे राष्ट्रीय महत्व के मामलों की लाइव सुनवाई संभव हो सकेगी और पूरा देश इस कार्रवाही का हिस्सा बन सकेगा। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश देते हुए कहा कि इस प्रक्रिया की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट से होगी। कोर्ट ने कहा कि लाइव स्ट्रीमिंग के आदेश से अदालत की कार्यवाही में पारदर्शिता आएगी और यह लोकहित में होगा। लेकिन यह सब संभव हो सका है उन पांच लॉ स्टूडेंट्स की वजह से जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से कानून की दुनिया के लोगों के साथ ही आम लोगों को भी फायदा मिल सकेगा। जिन छात्रों ने यह याचिका दाखिल की थी उनमें नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जोधपुर के स्वप्निल त्रिपाठी, लॉयड लॉ कॉलेज, ग्रेटर नोएजा के अमन शेखर, बेरन सीक्वेरा, आयुश प्रकाश और मॉडर्न कॉलेज ऑफ लॉ, गाजियाबाद के ऐश्वर्य अग्रवाल शामिल थे। जहां स्वप्निल, अमन और ऐश्वर्य एलएलबी के अंतिम वर्ष में हैं वहीं आयुष और बेरन चौथे वर्ष के छात्र हैं। सबसे पहले स्वप्निल ने याचिका दाखिल की थी जिसमें बाद में अमन, बेरन आयुष और ऐश्वर्य ने जुलाई में हिस्सा लिया। पांचों छात्र इस मामले में वादी के तौर पर सम्मिलित हुए।
मूल याचिकाकर्ता स्वप्निल ने लाइव लॉ से बातचीत करते हुए कहा, "यह विचार लंबे समय से मेरे दिमाग में था और एक दिन मेरी छुट्टियों के दौरान, मैंने इस पर याचिका दाखिल करने का फैसला किया। स्वप्निल जिस वक्त एडवोकेट रिशब संचेती के साथ इंटर्नशिप कर रहे थे उस वक्त उनके दिमाग में यह विचार आया था। वह याद करते हुए कहते हैं कि उन्हें एक ऐसे केस में काम करने का मौका मिला था जिस पर संवैधानिक महत्व के मामले में सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई करनी थी। लेकिन वह इंटर्न थे, इसलिए उन्हें कोर्ट के भीतर जाने की अनुमित नहीं मिली।
हालांकि बाद में कोर्ट स्टाफ ने इन स्टूडेंट्स की काफी मदद की। स्वप्निल याद करते हुए कहते हैं, 'पूरी ईमानदारी से कहूं तो इस केस में मेरा अनुभव काफी अच्छा रहा है। एक कानून का छात्र होने के नाते मुझे कोर्ट के सारे मामलों और उसकी कार्यवाही के बारे में जानने की उत्सुकता थी, लेकिन मुझे सारी जानकारी हासिल करने में दिक्कत हो रही थी। हालांकि मैं मदद करने वाले उन सुप्रीम कोर्ट के सारे कर्मचारियों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जिन्होंने मेरी याचिका को आसान बना दिया।' स्वप्निल और उनके सगयोगी छात्रों को एडवोटेक पीवी सरवणराज और वसीम अहमद का साथ मिला। दोनों वरिष्ठ वकीलों ने छात्रों की पूरी मदद की।.
इस फैसले की सुनवाई के अंत में जस्टिस चंद्रचूर्ण ने स्वप्निल के योगदान की सराहना की। स्वप्निल कहते हैं, 'जब मुझे पता चला की माननीय मुख्य न्यायधीश इस मामले की सुनवाई करेंगे तो मैं घबरा गया। दरअसल मैंने केस में किसी वकील को नहीं रखा था बल्कि मुझे ही बहसस करनी थी। हालांकि माननीय न्यायधीशों ने माहौल को अच्छा बनाते हुए मुझमें आत्मविश्वास जगाया और मेरी मुश्किल आसान कर दी।' स्वप्निल बताते हैं कि इंदिरा जय सिंह और केके वेणुगोपाल जैसे वरिष्ठ वकीलों के सामने कोर्ट में केस पर बहस करना मुश्किल था, लेकिन दोनों वकीलों ने स्वप्निल का खूब विश्वास बढ़ाया।
स्वप्निल ने कहा, 'मैंने कोर्ट के भीतर जाकर अदालत की कार्यवाही देखी तब मुझे अहसास हुआ कि कोर्ट में बढ़ती भीड़ एक चिंता का विषय है।' स्वप्निल अपने माता-पिता को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहते हैं, 'उन्होंने मेरा खूब आत्मविश्वास जगाया और जोधपुर से दिल्ली की यात्रा को आसान बना दिया।' स्वप्निल अपने गुरु ऋषभ संचेती के बारे में कहते हैं, 'उन्होंने हमेशा मेरा मार्गदर्शन किया।' वहीं एक संयुक्त वक्तव्य में अमन, बेरन, आयुष और ऐश्वर्य ने भी कहा, "हम बेहद खुश हैं कि सर्वोच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीशों द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। इससे कानूनी पेशे की पढ़ाई करने वाले छात्रों को भारत में न्याय की सबसे ऊंची चौखट से रूबरू होने और काफी कुछ सीखने का मौका मिल सकेगा।
इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की विडियो रिकॉर्डिंग और उसके सीधे प्रसारण को लेकर केंद्र से जवाब मांगा था। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि चीफ जस्टिस द्वारा संवैधानिक मामले की सुनवाई की विडियो रिकॉर्डिंग और लाइव स्ट्रीमिंग ट्रायल बेसिस पर की जा सकती है। केंद्र ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया की लाइव स्ट्रीमिंग और विडियो रिकॉर्डिंग के लिए पायलट प्रॉजेक्ट शुरू किया जा सकता है।
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