मोटरसाइकिल रिपेयरिंग का काम सीखने के बाद घर का खर्च चला रहा है गोपाल
लाइवलीहुड कॉलेज में ट्रेनिंग लेकर रोजगार हासिल कर रहे युवा
यह लेख छत्तीसगढ़ स्टोरी सीरीज़ का हिस्सा है...
कुछ महीने पहले की ही बात है। गोपाल भी भटूसे गांव के दूसरे बेरोजगारों में से एक था। दोस्तों के साथ दिनभर घूमना। घंटों बातें करना। मस्ती करना। फिर घर आकर रोटी तोड़ना। उसकी यह दिनचर्या घर वालों को चुभने लगी थी।
भटूसे गांव के गोपाल ने भी कवर्धा से 25 किमी दूर मरकाभेरी में आॅटोमोबाइल रिपेयरिंग का काम शुरू किया है। अब वह बेरोजगार नहीं है, बल्कि घर का खर्च भी उठा रहा है।
युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए सरकार ने कवर्धा से लगे महाराजपुर में लाइवलीहुड कॉलेज की स्थापना की है। यहां ट्रेनिंग लेने के बाद युवाओं को रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ रहा। वे स्वयं का व्यवसाय कर घर के बजट में भी भागीदारी निभा रहे हैं। भटूसे गांव के गोपाल ने भी कवर्धा से 25 किमी दूर मरकाभेरी में आॅटोमोबाइल रिपेयरिंग का काम शुरू किया है। अब वह बेरोजगार नहीं है, बल्कि घर का खर्च भी उठा रहा है।
कुछ महीने पहले की ही बात है। गोपाल भी भटूसे गांव के दूसरे बेरोजगारों में से एक था। दोस्तों के साथ दिनभर घूमना। घंटों बातें करना। मस्ती करना। फिर घर आकर रोटी तोड़ना। उसकी यह दिनचर्या घर वालों को चुभने लगी थी। तभी उसे ऐसा दोस्त मिला जिसने कवर्धा के लाइवलीहुड काॅलेज में ट्रेनिंग लेकर खुद का व्यवसाय शुरू किया था। गोपाल ने उसके बारे में जाना। दो-तीन दिनों तक दोनों के बीच चर्चा चली। दोस्त ने बताया कि कवर्धा के कॉलेज में वह अपने मनमुताबिक ट्रेनिंग ले सकता है, वह भी फ्री। गोपाल को यह बात जम गई।
उसने यह बात अपने पिता अर्जुन चौहान और मां सरस्वती को बताई। छोटे से खेत में हल चलाकर गुजारा करने वाले अर्जुन को लगा कि इससे उनके बेटे को नई दिशा मिलेगी। मां सरस्वती ने भी हामी भर दी। सोचा कि बेटा कमाने लगेगा तो घर के बजट में हाथ बंटाएगा। माता-पिता से अनुमति लेने के बाद गोपाल ने लाइवलीहुड कॉलेज में ट्रेनिंग के लिए फार्म भरा। उसका सिलेक्टशन भी हो गया। ट्रेनिंग शुरू हो गई। वह ऑटोमोबाइल के बारे में जानने लगा। बाइक, स्कूटर, स्पोट्स बाइक आदि के बारे में उसकी विशेषज्ञता बढ़ती गई। पूरे 70 दिन की ट्रेनिंग के बाद गोपाल ने मरकाभेरी में ऑटोमोबाइल रिपेयरिंग का शॉप डाला। आज अच्छे मैकेनिक के रूप में उसकी पहचान बन गई है।
वह कहता है कि रोज मेहनत करता हूं और दिन के 500-600 रुपए कमा लेता हूं। अगर इंजन का काम हुआ तो डेढ़ से दो हजार रुपए मिल जाते हैं। अब अपनी कमाई से घर चला रहा हूं। इसी व्यवसाय को आगे बढ़ाने की इच्छा है। लाइवलीहुड कॉलेज की एक ट्रेनिंग ने मेरी जिंदगी बदलकर रख दी। गोपाल का कहना है कि अब तक मैं पूरा दिन दोस्तों के साथ बिताता था। अब फुरसत ही नहीं मिलती। बाकि दोस्तों को भी ट्रेनिंग लेकर व्यवसाय करने की सलाह देता हूं। इसके अलावा अपने छोटे भाई को भी अच्छे से पढ़ाई करने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता हूं।
सरकार ने लाइवलीहुड कॉलेज के जरिए युवाओं के हुनर को निखारने और उन्हें कुशल बनाने का बीड़ा उठाया है। महाराजपुर स्थित कॉलेज में विभिन्न व्यवसाय को लेकर युवाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि उन्हें बेरोजगारी से मुक्ति मिले और वे भी अपना लक्ष्य निर्धारित कर सकें। खुद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह चाहते हैं कि प्रदेश का हर युवा आत्मनिर्भर बने। वे कुशल बने। खुद कमाएं और घर की जिम्मेदारियां उठाएं।
गोपाल के पिता अर्जुन का कहना है कि उनके बेटे का व्यवसाय शुरू होने के बाद वे बेहद खुश हैं। यह सब लाइवलीहुड कॉलेज की वजह से संभव हो पाया। सरकार ने युवाओं की चिंता की और कॉलेज शुरू किया। कवर्धा, पंडरिया, बोड़ला आदि क्षेत्रों के युवा प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इस योजना से उन्हें नई दिशा मिली है और कितने ही गरीब परिवारों का भला हो रहा है। अर्जुन का कहना है कि सरकार को ऐसे ही काम करने चाहिए जैसा डॉ. रमन की सरकार कर रही है।
"ऐसी रोचक और ज़रूरी कहानियां पढ़ने के लिए जायें Chhattisgarh.yourstory.com पर..."
यह भी पढ़ें: मिलिए बंगाल की पहली ट्रांसवूमन ऑपरेशन थिएटर टेक्निशियन जिया और देबदत्ता से