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मैं अभी सीखने के दौर में हूं और देखना चाहता हूं कि युवा तकनीक के साथ क्या कर सकते हैंः रतन टाटा

मैं अभी सीखने के दौर में हूं और देखना चाहता हूं कि युवा तकनीक के साथ क्या कर सकते हैंः रतन टाटा

Sunday February 07, 2016 , 10 min Read

टीम वाईएसहिंदी

लेखिकाः सुमा रामचंद्रन

अनुवादकः पूजा


कालारी कैपिटल के केस्टार्ट सीड कार्यक्रम में श्रोताओं को कारोबारी जगत के दिग्गज रतन टाटा को बिल्कुल बेबाकी से बात करते हुए सुनने का मौका मिला। कालारी कैपिटल की प्रबंध निदेशक वाणी कोला के साथ एक व्यापक बातवीत के दौरान व्यापार जगत की इस नामचीन हस्ती ने सफलता, असफलता, संचार के महत्व पर अपने अनुभव साझा करने के अलावा खुलकर इस बारे में भी बताया कि कि उनकी सोच के अनुसार जब से सिर्फ 26 वर्ष की उम्र थे तब वे क्या अलग कर सकते थे। इस मौके पर मौजूद तमाम दर्शक उनके मुंह से निकलने वाले प्रत्येक शब्द और मनोरंजक किस्सों में बंधकर रह गये और उन्होंने अपने बिल्कुल अनोखे और सादगी भरे लहजे से सबका दिल जीत लिया।

उन्हें किस प्रकार के विचारों का साथ देना पसंद है

जब मैं किसी चीज को अच्छी तरह से काम करते देखने में असफल होता हूं तब मेरे मन में कई प्रकार के विचार जन्म लेने लगते हैं। जब आपके पास समाधान उन्मुखकरण मौजूद के पर्याप्त मौके उपलब्ध होते हैं तब आप आराम स बैठकर यह सोच सकते हैं कि यह किस तरीके से बेहतर या फिर तेजी के साथ काम कर सकता है या फिर इसे कैसे कम खर्च में किया जा सकता है। कई लोग ऐसे होते हैं जो इन विचारों को सिर्फ अपनने मस्तिष्क में ही छोड़ देते हैं और दूसरी तरफ कई ऐसे लोग भी होते हैं जो इन विचारों से कुछ सकारात्मक निकालने के लिये अपना खून-पसीना बहाकर इन विचारों से एक सफल उद्यम का निर्माण करते हैं।

वह क्या चीज है जो उन्हें स्टार्टअप्स की तरफ आकर्षित करती है

अगर स्टार्टअप्स एक असेवित या मौकों के अभाव वाले क्षेत्र में काम करने के बावजूद उसके आसपास एक विचार का निर्माण कर रहे हैं। मैंने 20 से 30 वर्षों तक चिमनी से चलने वाले ऐसे उद्योगों में काम किया है जहां आपको एक छोटे से पदार्थ का निर्माण करने के लिये भी लाखों डाॅलर खर्च करने पड़ते हैं तब जाकर आपको सफलता मिलती है। आज के समय के स्टार्टअप जगत के साथ सबसे बेहतरीन बात यह है कि आप अपने विचार को बहुत ही कम समय मे मूर्त रूप दे सकते हैं, फिर चाहे वह साॅफ्टवेयर का क्षेत्र हो या फिर चिपसेट डिजाइन का, और साथ ही आप दुनिया का उस विशेष क्षेत्र को देखने का नजरिया भी बदलने में कामयाब होते हैं। इस क्षेत्र की यही बात अपने आप में अद्भुत और स्फूर्तिदायक है।

मैं बहुत विनम्रता के साथ यह स्वीकार करना चाहूंगा कि कई बार मुझे ऐसा लगा है कि अमुक विचार काम नहीं करेगा और फिर वही विचार एक बहुत बड़ी सफलता बनकर दुुनिया के सामने आया है।

‘‘मैं अभी भी सीखने की अवस्था में हूं और देखकर सीख रहा हूं कि कि किस प्रकार युवा और बुद्धिमान युवा एक बहुत ही महत्वपूर्ण परिवर्धन के साथ क्या कुछ नहीं कर रहे हैं और यह है तकनीक।’’

उदाहरण के लिये स्मार्टफोन को ही लें, यह लोगों की जिंदगी में कितना बड़ा बदलाव लाने में सफल रहा है। अगर आपके पास स्मार्टफोन नहीं होता, तो अबतक कितने नए विचार ऐसे ही खत्म हो गए होते। आज के दौर में तकनीक आपको ऐसे उद्यम स्थापित करने का मौका प्रदान करवा रही है जिनके बारे में आज से 20 वर्ष पूर्व कोई सोच भी नहीं सकता था।

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किसी भी व्यवसाय के लिये मूल सिद्धांतो पर

मेरे लिये, व्यक्तिगत तौर पर, आंशिक रूप से परोपकार में रूचि के चलते, जब कोइ विचार बदलाव वाले वाला लगता है, जो किसी समुदाय के जीवन में समृद्धता ला सकता है या फिर लोगों के जीवनस्तर में सुधार ला सकता है, तो उसमें मेरी रुचि और अधिक बढ़ जाती है। दूसरा वह है जब कोई विचार खेन को ही पलटने का माद्दा रखता हो, तो वह मुझे यबये अधिक रोमांचक लगता है।

‘‘अगर आप लोगों के रहने, सोचने और खुद को बनाए रखने के तरीकों को बदल रहे हैं तो वह बहुत ही अधिक उत्साहजनक होता है। आपको उसके बदले मिलने वाले लाभ से भ कहीं अधिक।’’

एक निवेशक को कैसा होना चाहिये

मुझे ऐसा लगता है कि एक निवेशक को किसी संगीत कंपनी के प्रतिभा स्काउट की तरह होना चाहिये क्योंकि वहां पर प्रतिभा स्काउट को प्रभावित करने के लिये विभिन्न बैंड अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं। उसे इस बात का कोई इल्म नहीं होता है कि कोई भी समूह कितने नंबर लेने में सफल होगा या फिर वह कैसा प्रदर्शन करेगा लेकिन उसे भीतर से यह मालूम होता है कि फलाना समूह अच्छा काम करेगा और वह इसी के आधार पर मानसिक रूप से कंसर्ट और रिकार्डिंग की योजना तैयार करता है। कोई भी निवेशकों की तरफ इसी प्रकार के उत्साह के साथ देखता है कि उसकी कंपनी क्या करने की तैयारी कर रही है, क्या वह सिर्फ अपने पैसे का ही जोखिम नहीं ले रहा है बल्कि इसे सफल बनाने के लिये अपने संपर्कों और जानकारी का उपयोग कर इस सफर में उसका साथी भी बन रहा है। यह सिर्फ आंकड़ों का ही खेल नहीं है क्योंकि कई बार भीतरी सहज बोध भी होता हहै जिसकी तरफ हम अधिक ध्यान नहीं देते हैं लेकिन हमें इस निष्कर्ष तक पहुंचने से पहले कि यह एक रोमांचक नया उद्यम है हमें ध्यान देना चाहिये।

निवेश पाने के लिये नए उद्यमियों को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है - विकास बनाम लाभप्रदता

इसका कोई निश्चित पैमाना या एक सूत्र नहीं है। बीते दो या तीन वर्षों में कुछ कंपनियां जिनमें मैंने निवेश किया है मेरे विश्वास से अधिक बढ़त दर्ज करने में सफल रही हैं। सवाल यह उठता है कि क्या इस विकास दर को आगे भी पाया जा सकता है क्योंकि प्रारंभ में आपके पास खर्च करने के लिये काुी पैसा होता है जो आगे चलकर आपके गले का फंदा बन जाता है। इसके बावजूद कई ऐसी कंपनियां हैं जो अपनी वकास दर को बनाए रखती हैं और लगातार कुछनया करती रहती हैं और कुछ ऐसी भी हैं जो किनारे पर गिरकर खत्म हो जाती हैं। मैं दोबारा कहूंगा कि या आपका सहजबोध है कि आप इसे कैसे लागू करना है यह सोचें और जो कछ भी हो रहा है उसपर करीब से निगरानी रखें।

विभिन्न सीईओ द्वारा व्यक्तिगत ब्रांड के निर्माण के महत्व पर

मैं एक शर्मीला व्यक्ति हूं इसलिये मैं अपना ब्रांड नहीं बनाना चाहूंगा। लेकिन एक कंपनी के ब्रांड को तैयार करने की आवश्यकता होती है। कई ऐसे लोग हैं जो अपने द्वारा तैयार की गई कंपनी पर अपना व्यक्तिगत ब्रांड छोड़ते हैं लेकिन यह कुछ लोगों के लिये काम करता है और कुछ के लिये नहीं।

कब बेचा जाए या फिर एक विरासत का निर्माण किया जाए के बारे में

मैं सिर्फ अपना स्वयं का उदाहरण दे सकता हूं। जब मैंने टाटा समूह का काम संभाला तब मीडिया में इस बात का हल्ला था कि कैसे हमारे पास 80 कंपनियां हैं और हमारा ध्यान अपने मुख्य कारोबार पर नहीं है। मुझे टाटा समूह को छोटी व्यापार इकाइयों में बदलने के लिये एक युक्तिसंगत विचार लाना पड़ा और बेकार की कंपनियों को बेचने का फैसला किया। इनमें से एक थी टाॅमको (टाॅयलेटरीज व्यापार) जिसका बाजार में शेयर 25 प्रतिशत था और यूनिलीवर बाजार की अगुवा थी। मैंने बहुत सोचविचार के बाद उसे एम सम्मानजनक तरीके से यूनिलीवर को बेचने का फैसला किया और इसमें मेरे शेयरहोल्डरों को अपनी रकम के अच्छे दाम मिलने के अलावा तीन वर्षो तक किसी भी कर्मचारी या फिर वितरक को काम नहीं छोड़ना पड़ा। मेरे विचार से यह एक अच्छा सौदा था लेकिन अगले ही दिन नीडिया, शेयर बाजार, दूसरी और तीसरी पीढ़़ी के कुछ कर्मचारी, मुझ पर बरस पड़ेे। और इस प्रकार मेरी योजना मिट्टी में मिल गई। मेरा आत्मविश्वास गायब हो गया। इसे करने का कोई आसान तरीका नहीं है। आप क्या करना चहते हो आपको इस बारे में विस्तार से संवाद करना होता है।

नई कंपनियों को किस प्रकार से अपने बोर्ड और सलाहकारों का गठन करना चाहिये

‘‘सफल कंपनियां अपने तमाम हितधारकों के साथ संवाद स्थापित करने में जमीन-आसमान एक करर देती हैं। इस प्रक्रिया में सिर्फ बोर्ड आॅफ डायरेक्टर्स ही नहीं बल्कि साथ जुडत्र प्रत्येक व्यक्ति शामिल होता है।’’

कोई भी चैंकते हुए आंखें नहीं खोलना चााहता। तमाम हितधारकों के साथ संवाद स्थापित करने की एक विवकपूर्ण और सक्रिय प्रणाली वह व्यवस्था है जिसमें कोई भी सफल सीईओ पारंगत होता है और यह खासियत उसकी शख्सियत में चार चांद लगा देती है। आप स्वयं को दुनिया के सामने किस प्रकार प्रदर्शित करते हो और कैसे दूसरों के साथ संवाद करते हैं दुनिया की नजरें इसपर टिकी होती हैं।

वे सफलता का जश्न किस प्रकार मनाते हैं

टाटा नैनों को लाँच करना मेरे जीवन में सफलता का सबसे बडा क्षण था, कम से कम इसका सकारात्मक हिस्सा (थोड़ी देर के लिये रुकते हुए ...... इसी दौरान दर्शक इसके निहितार्थ समझने में कामयाब होते हैं और समूचा हाॅल ठहाकों से गूंज उठता है।) बैंगलोर में आयोजित एक लंबी बोर्ड बैठक के दौरान नैनों की उत्पत्ति का विचार सामने आया। पूर्व में मैं अपनी आंखों से वह मंजर देख चुका था जब एक परिवार के चार लोग एक स्कूटर पर सवार होकर कहीं जा रहे थे और एक फिसलन भरी रोड पर वे दुर्घटना के शिकार हो गए। इसने मुझे एक सस्ती पारिवारिक कार के बारे में सोचने क लिये मजबूर किया। इसी विचार के चललते मैंने बोर्ड बैठक में स्कूटर को अधिक सुरक्षित बनाने के बारे में विचार-विमर्श प्रारंभ किया जो आगे ाकर एक सस्ती पारिवारिक कार की अवधारणा के निर्माण पर समाप्त हुआ। वहां से लेकर एक टीम के निर्माण तक वास्तव में जिसने इस अवधारणा को मूर्त रूप देते हुए नैनो का निर्माण किया से लेकर दिल्ली मं आयोजित होने वाले आॅटो एक्स्पो तक, जहां मैं खुद इसे चलाकर स्टेज तक लेकर गया। वास्तव में वह भी अपने आप में एक बहुत बड़ी मुसीबत जैसा था क्योंकि जब मैं उसे चलाकर ले जा रहा था तभी मुझे अहसास हुआ कि इसमें तो लाइट है ही नहीं और मुझे इस बात का कोई इल्म ही नहीं था कि कहां स्टेज खत्म हो रही है और दर्शक शुरू हो रहे हैं।

मुझे कार को एक मोटराइज़्ड टर्नटेबल पर रोकना था। मुझे संगीत के बंद होने से पहल कार के इंजन को बंद करना था क्योंकि अगर वह शानदार संगीत पहले बंद हो जाता तो उस दौरान कार के इंजन से आने वाली पुट-पुट क आवाज बहुत अपमानजनक साबित होती!

कोई ऐसी चीज जो वे चाहते हों कि जब वे 26 के थे तब उन्हें मालूम होती

जब मैं जमशेदपुर में एक युवा कर्मचारी के रूप में काम कर रहा था और जब भी मेे मन में कोई नया विचार आता तो मैं अपने अधिकारियों के पास जाता तो वे मुझे सब्र रखने की सलाह देते हुए कहते कि उस काम को पिछले 30 वर्षों से इसी विशेष तरीके से किया जा रहा है। और मैं चुपचाप वापस चला जाता। मैं एक ऐसे वातावरण के लिये तरसता था जहां मैं खुलकर अपने विचारों को सामने रख सकूं। मैं उम्मीद करता हूं कि मैं उस समय और अधिक बेहतर तरीके से संवाद कर सकता था।

महिला नेतृत्व के बारे में

कई मायनों में, भारत में विशेषकर, महिलाएं अन्य देशों की तुलना में अधिक तेजी से ऊपर की तरफ पहुंची हैं। बोर्डरूम में और उद्यमिता में भी कई महिलाएं हैं जो सामने आई हैं और कामयाबी के झंडे गाड़ रही हैं लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि ऐसी महिलाओं की गिनतीी अभी उम्मीद से कहीं कम है। उनमें किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं है और मुझे ऐसा लगता है कि जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे हमें कंपनियों मे और अधिक महिला अगुवा देखने को मिलेंगी।


(विशेष: रतन टाटा और कालारी कैपिटल याॅरस्टोरी में निवेषक हैं)