पल भर में किसी भी भाषा को ट्रांसलेट कर देगी यह डिवाइस
विदेशी भाषा को समझने की दिक्कत दूर करेगी ऑस्ट्रेलियन स्टार्टअप 'लिंगमो इंटरनेशनल' द्वारा विकसित की गई 'ट्रांसलेट वन टू वन' डिवाइस...
सोचिये अगर आपको ऐसी भाषा समझ में आने लगे जो आपने कभी सीखी ही नहीं। अभी तक हमारे पास दूसरी भाषा को समझने के लिए एकमात्र सहारा गूगल ट्रांसलेट था। लेकिन उसकी भी एक सीमा थी। कभी-कभी गूगल हमारे शब्दों का ऐसा ट्रांसलेट कर देता है जिससे अर्थ का अनर्थ हो जाता है। इसके अलावा हमारे पास रियल टाइम में किसी की आवाज को ट्रांसलेट करने का कोई साधन अभी तक नहीं था। लेकिन ऐसी मुश्किलों को दूर करने के लिए ऑस्ट्रेलियन स्टार्टअप लिंगमो इंटरनैशनल ने एक ऐसी मशीन विकसित की है जो रियल टाइम में ट्रांसलेट कर देगा। सुनने में यह किसी साइंस फिक्शन फिल्म के जैसे लगता है लेकिन यह बिलकुल सच है। इस डिवाइस का नाम 'ट्रांसलेट वन टू वन' है।
'ट्रांसलेट वन टू वन' डिवाइस के ईयरपीस में एक माइक्रोफोन फिट किया गया है जो बोले गये शब्दों को समझ लेता है और ईयरपीस में लगी मशीन उसे कुछ सेकंड के भीतर ट्रांसलेट कर देती है। इसे iOS ऐप से भी जोड़ा जा सकेगा, जिसके माध्यम से स्पीच को टेक्स्ट में या टेक्स्ट को स्पीच में बदलना काफी आसान है।
'वन टू वन' डिवाइस सिर्फ 3 से 5 सेकंड में किसी भी भाषा को ट्रांसलेट कर पाएगी। फिलहाल, यह मशीन अंग्रेजी, जापानी, फ्रेंच, स्पैनिश, ब्रीजिलियन, जर्मन, चीनी, इटैलियन और पुर्तगाली भाषा को ट्रांसलेट कर सकती है। इसे इस्तेमाल करने के लिए दो बात करने वाले लोगों को दो ईयरफोन पहनने होंगे। इसे फोन के जरिए ब्लूटूथ या वाइ-फाइ से भी जोड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसकी कीमत 179 डॉलर (लगभग 11,551 रुपये) बताई जा रही है। अभी यह मार्केट में नहीं आई है, लेकिन टेक इंडस्ट्री के एक्सपर्ट बता रहे हैं कि अगले महीने से यह बाजार में उपलब्ध हो जायेगी। इस डिवाइस में आईबीएम का वॉटसन नेचुरल लैंगुएज प्रोसेसर और लैंगुएज ट्रांसलेशन का एपीआई लगा हुआ है। इसके ईयरपीस में एक माइक्रोफोन फिट किया गया है जो हमारे बोले हुए शब्दों को समझ लेता है और ईयरपीस में लगी मशीन उसे सेकंडों के भीतर ट्रांसलेट कर देती है। इसे iOS ऐप से भी जोड़ा जा सकेगा जिसके माध्यम से आप स्पीच को टेक्स्ट में या टेक्स्ट को स्पीच में बदल सकेंगे।
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"दूसरी भाषा को समझने में सबसे ज्यादा दिक्कतें उन पर्यटकों को उठानी पड़ती हैं, जो अक्सर ट्रैवल के बहाने दूसरे देश जाते हैं। इसके अलावा सरकार के तमाम प्रतिनिधि किसी दूसरे देश में कोई सम्मेलन में शामिल होने जाते हैं तो उन्हें भी भाषा की समस्या का सामना करना पड़ता है। यह मशीन ऐसे सभी लोगों के लिए काफी मददगार साबित होगी, जिन्हें दूसरी भाषा के चलते मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।"
ट्रांसलेशन की तकनीक दिन प्रतिदिन विकसित होती जा रही है। गूगल और स्काइप जैसे प्लेटफॉर्म इस पर काम कर रहे हैं। पिछले साल नवंबर में गूगल ट्रांसलेट ने न्यूरल मशीन ट्रांसलेशन लॉन्च किया था। इस दौरान यह सिर्फ 8 लैंग्वेज में ही उपलब्ध था, लेकिन अब गूगल ने बेहतर ट्रांसलेशन करने वाले इस सिस्टम को हिंदी, रूसी और वियनताम की लैंग्वेज के लिए जारी कर दिया है। गूगल के मुताबिक, न्यूरल मशीन ट्रांसलेशन में एक-एक शब्द का ट्रांसलेशन करने के बजाय पूरे वाक्य को समझकर उसका ट्रांसलेशन किया जाता है।
ट्रांसलेट वन टू वन मशीन पहली ऐसी मशीन नहीं है। पिछले साल टेक स्टार्टअप वेवरली लैब्स ने एक पायलट लैब्स ईयरपीस ईजाद किया था जो बिना किसी इंटरनेट या ब्लूटूथ कनेक्शन के किसी भी भाषा को आसानी से ट्रांसलेट कर सकती थी। वन टू वन डिवाइस उसी तकनीक के सहारे विकसित की गई है। लेकिन इसके लिए भी लैंगुएज कलेक्शन का पैक डाउलनोड करना होगा और इसके लिए आपको स्मार्टफोन की जरूरत होगी।
वन टू वन डिवाइस को इसी महीने जिनेवा में यूनाइटेड नेशन के गुड समिट में लॉन्च किया गया था।