मेक-इन-इंडिया के सपने के साथ, कम-बिजली खपत वाले उपकरणों को बनाने में मदद कर रहा है 'वर्चुअल फॉरेस्ट'
बेंगलुरु मुख्यालय वाले स्टार्टअप Virtual Forest की स्थापना 2019 में हुई। यह स्टार्टअप कम बिजली खपत वाले, किफायती मोटर कंट्रोलर और ह्यूमन इंटरफेस टेक्नोलॉजीज को डिजाइन और विकसित करती है।
जब इलेक्ट्रॉनिक्स की बात आती है तो भारत अपने आप को एक अनोखी स्थिति में पाता है। दरअसल इसके पास एयर कंडीशनर, वाशिंग मशीन और अब इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए एक विशाल कंज्यूमर बेस है। साथ ही इन डिवाइसों को बनाने के लिए पर्याप्त औद्योगिक क्षमता और मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स तक कच्चा माल ले जाने के लिए सप्लाई चेन है।
इसके बावजूद, इन अप्लायंस में इस्तेमाल होने वाले मोटर्स को रेगुलेट करने वाले अधिकतर कंट्रोलर, चीन और वियतनाम जैसे देशों में भारत के बाहर बनते हैं और वहां से आयात कर मंगाए जाते हैं। भारत के पास इस खास क्षेत्र में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट क्षमताओं का अभाव है, जिससे यह आयात पर निर्भर है।
2019 में शुरू हुआ
भारत के सबसे तेजी से बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग (ESDM) स्टार्टअप्स में से एक है। यह मेड-इन इंडिया मोटर कंट्रोलर और मानव इंटरफेस इलेक्ट्रॉनिक्स मुहैया कराके कम एनर्जी खपत वाले उपकरणों की मांग में बढ़ोतरी को भुनाने की कोशिश कर रहा है। साथ ही यह विदेशों से आयात होकर आए उत्पादों की तुलना में कम लागत वाले उत्पादों के स्थानीय निर्माण को बढ़ावा दे रहा है।वर्चुअल फॉरेस्ट के को-फाउंडर और सीईओ ओमर बासिथ ने योरस्टोरी को बताया, "इन्वर्टर एयर कंडीशनर, वाशिंग मशीन और रेफ्रिजरेटर जैसे आम उपकरणों को कम-एनर्जी खपत करने वाले उपकरणों में बदलने के लिए टेक्नोलॉजी में पूर्ण बदलाव की जरूरत है।"
वर्चुअल फॉरेस्ट के फाउंडरों में ओमर के अलावा ओमर, संदीप केजरीवाल, नजीर तोलागी, रवि सज्जन और गजानन पालकर शामिल हैं। इन्होंने 20 सालों तक विनिर्माण, आईटी / आईटीईएस और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में काम किया है। ओमर कहते हैं कि वर्चुअल फॉरेस्ट के पीछे मुख्य सोच यह है कि जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करना हमारी पीढ़ी का सबसे बड़ा चुनौती है।
ओमर बताते हैं, "यह बहुत अहम है कि जिस समय हम सभी अपनी पिछली नौकरियों में थे, तभी इस खास बदलाव को की दिशा में योगदान देने के लिए कुछ करना शुरू कर दिया था। बाद में, हमने कम एनर्जी खपत वाले उपकरणों, और कम एनर्जी खपत वाले मोटर एप्लिकेशन के मामले में इस विशेष बदलाव को लाने के साथ शुरुआत करने का फैसला किया।"
ओमर के अनुसार, करीब 65 प्रतिशत आवासीय ऊर्जा की खपत मोटरों द्वारा की जाती है। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पहला कदम कम एनर्जी खपत वाले उपकरणों का चयन करना है। स्टार्टअप ने सबसे पहले एयर कंडीशनिंग उपकरण के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स को बनाने पर काम किया। एसी के बाद इसने, इसने छत के पंखे, इन्वर्टर वाशिंग मशीन जैसे दूसरे कम एनर्जी खपत वाले उपकरणों के लिए तकनीकों का विकास किया।पिछले साल इन्होंने इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में प्रवेश किया था।
शुरुआत
'वर्चुअल फॉरेस्ट' नाम रखने के पीछे यह विचार था कि यह स्टार्टअप ऐसे इलेक्ट्रॉनिक्स बनाता है जो कम ऊर्जा खपत के कारण कार्बन डाइऑक्साइड को वायुमंडल में छोड़ने से रोकेगा। यह पर्यावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने वाले जंगलों के जैसा ही है।
ओमर ने बताया, "जैसे हर एक पेड़ CO2 की मात्रा को कम करता है, उसी तरह हमारा हर एक उपकरण जिसे हम बाजार में उतारते हैं, वह CO2 को कम करने में मदद करेगा और हमारे पास जितने अधिक उपकरण होंगे, यह एक आभासी जंगल के निर्माण के समान होगा।"
यह स्टार्टअप आईएफबी, क्रॉम्पटन ग्रीव्स, वोल्टास सहित इंडस्ट्री के कई बड़े कंज्यूमर ड्यूरेबल ब्रांडों के लिए मोटर कंट्रोलर और मानव इंटरफेस तकनीकों को डिजाइन और विकसित करता है।
इसने भारत और विदेशों में बढ़ते दोपहिया और तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग को देखते हुए ईवी मोटर कंट्रोलर्स को स्थानीय रूप से विकसित करने और उनका उत्पादन करने के लिए एक बड़ी यूरोपीय टेक्नोलॉजी कंपनी के साथ भागीदारी की है।
पिछले दो तिमाहियों से थोड़ा कम समय से वर्चुअल फॉरेस्ट काफी अधिक मात्रा में कमर्शियल प्रोडक्शन कर रहा है और स्टार्टअप का दावा है कि इसने वित्त वर्ष 2022 में 50 करोड़ रुपये से अधिक का ग्रॉस मैन्युफैक्चरिंग वैल्यू हासिल की है।
बिजनेस मॉडल
कंपनी ने अपने बड़े पैमाने पर उत्पादन को आगे बढ़ाने के लिए एक अनूठा बिजनेस मॉडल बनाया है। इसका कोई कारखाना या मैन्युफैक्चरिंग प्लांट नहीं है। न ही इसने किसी भी प्लांट में निवेश किया है। यह कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर देश में मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्टर को उधार लेता है।
वर्चुअल फॉरेस्ट बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए मैन्युफैक्चरर्स और सप्लाई चेन प्रोवाइडर्स के साथ कॉन्ट्रैक्ट करता है, जबकि यह रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के साथ-साथ व्यवसाय के बिक्री पक्ष को संभालता है।
ओमर बताते हैं, “हम भारत में बड़े मैन्युफैक्चरर्स के साथ साझेदारी करने में कॉन्ट्रैक्ट हैं और वे हमारे लिए कॉन्ट्रैक्ट मैनपावर के रूप में काम करते हैं। इसलिए हम उनके साथ अपने डिजाइन और उत्पादन लाइन को साझा करते हैं, हम इसे तीसरे पक्ष के साथ मैन्युफैक्च कराते हैं, जिसका मतलब है कि हमारे ग्राहकों को सप्लाई।”
दूसरा मॉडल मैन्युफैक्चरर्स को अपने आईपी लाइसेंस देने का है। तीसरा, कंपनी के पास एक ब्लू चिप अप्लायंस मैन्युफैक्चरर के साथ दो रिसर्च एंड डिवेलपमेंट कॉन्ट्रैक्ट हैं।
उन्होंने आगे कहा कि "हम भौतिक क्षमता के निर्माण के बिना तेजी से बढ़ने में सक्षम हैं और हमारा विस्तार भी लीनियर कैपिटल एक्सपेंडिचर पर निर्भर नहीं है।"
शुरुआती टीम
स्टार्टअप के पास 25 सदस्यीय टीम है, जिनमें से करीब 17 लोग रिसर्च एंड डिवेलपमेंट से जुड़े डिपार्टमेंट में हैं। ओमर सीईओ के तौर पर स्टार्टअप की रणनीति, उत्पाद और बिजनेस डिवेलपमेंट का काम संभालते हैं। वर्चुअल फॉरेस्ट शुरू करने से पहले, वह सॉलिड स्टेट सिस्टम्स के सीईओ थे, जो कैपेसिटर बनाने वाली एक कंपनी है। इसके अलावा वह जॉसबॉक्स के भी सीईओ रह चुके हैं, जो एक रिटेल मार्केटिंग एनालिटिक्स कंपनी है।
संदीप, स्टार्टअप के COO और CFO है और वह स्ट्रैटजी, ग्रोथ, फाइनेंस, आईटी और पूरे बिजनेस ऑपरेशंस के लिए जिम्मेदार हैं। वह ईएमसी इंडिया (DELL-EMC) के पूर्व CFO हैं और वह MNC निर्माण, टेक स्टार्टअप और वैश्विक IT/ITES संगठनों में अंतर्राष्ट्रीय अनुभव हैं। उन्होंने हेवलेट-पैकार्ड, ईएक्सएल सर्विस और गुडइयर इंडिया में सीनियर लीडरशिप भूमिकाओं में काम किया है और नैसकॉम जीआईसी फोरम के पूर्व-रीजनल चेयरपर्सन हैं।
नजीर स्टार्टअप के सीटीओ हैं और प्रोडक्ट इनोवेशन के लिए जिम्मेदार हैं। वर्चुअल फॉरेस्ट में शामिल होने से पहले, वह थिंक सर्किट टेक्नोलॉजीज के फाउंडर/सीईओ थे। इससे पहले उन्होंने टीसीएस और ईसीएडी टेक्नोलॉजीज के साथ काम किया था।
रवि, स्टार्टअप में इंजीनियरिंग-हार्डवेयर के हेड हैं और मोटर कंट्रोलर्स के लिए रिसर्च एंड डिवेलपमेंट की अगुआई करते हैं। इससे पहले उन्होंने ईसीएडी टेक्नोलॉजीज और ईटन (Eaton) के साथ काम किया है, जो बिजली की गुणवत्ता, वितरण और नियंत्रण के लिए इलेक्ट्रिक सिस्टम में दुनिया की अग्रणी टेक कंपनियों में से एक हैं।
गजानन स्टार्टअप के इंजीनियरिंग-सॉफ्टवेयर हेड हैं और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग से जुड़े रिसर्च एंड डिवेलपमेंट की अगुआई करते हैं। वर्चुअल फॉरेस्ट से पहले, वह थिंक सर्किट टेक्नोलॉजीज के को-फाउंडर थे। इससे पहले उन्होंने EMC और Intel के साथ काम किया था।
फंडिंग और बाजार में उपलब्ध मौके
स्टार्टअप ने अगस्त 2020 में 16 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी के बदले नेपिनो ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड से पहले दौर की फंडिंग जुटाई। कंपनी फिलहाल इस साल के भीतर सीरीज ए राउंड के तहत फंडिंग जुटाने की प्रक्रिया में है और अपनी टीम को कुल 100 सदस्यों तक बढ़ाने की योजना बना रही है।
वर्चुअल फॉरेस्ट का लक्ष्य मेक इन इंडिया और मेड फॉर इंडिया ब्रांड बनना है। यह बड़े पैमाने पर चीन से आयात होने वाले सामानों के साथ कॉम्पिटिशन करता है। इसके साथ ही, यह देश में माइक्रो चिप्स और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स की जैसे कुछ कच्चे माल की उपलब्धता की कमी से जूझ रहा है।
फिलहाल, कंपनी जिन कच्चे माल का इस्तेमाल करती है, उसका केवल 40 प्रतिशत ही भारत में ही प्राप्त किया जाता है। ओमर बताते हैं कि भारत में इसका कुल बाजार करीब 16 करोड़ डॉल का है और 2025-2026 तक इसके बढ़कर लगभग ढाई अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
उन्होंने आगे कहा कि मोटर कंट्रोलर के लिए वैश्विक बाजार फिलहाल कीब ढाई बिलियन डॉलर का है और 2025 तक ग्लोबल स्तर पर यह करीब 16 बिलियन डॉलर तक बढ़ जाएगा।
Edited by Ranjana Tripathi