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ये है विदेशों में रहने वाले भारतीय शोधकर्त्ताओं के लिये रोजगार के बेहतर विकल्प, अवसर प्रदान करने वाली योजनाएं

ये है विदेशों में रहने वाले भारतीय शोधकर्त्ताओं के लिये रोजगार के बेहतर विकल्प, अवसर प्रदान करने वाली योजनाएं

Tuesday September 22, 2020 , 3 min Read

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने विदेशों में रह रहे भारतीय अनुसंधानकर्ताओं को भारतीय संस्थानों और विश्वविद्यालयों में काम करने के लिए आकर्षक विकल्‍प और अवसर प्रदान करने वाली निम्नलिखित योजना बनाई है:

विजिटिंग एडवांस्ड ज्‍वाइंट रिसर्च (वज्र) फ़ैकल्टी स्कीम

यह योजना अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) और विदेशी भारतीय नागरिकों (ओसीआई) सहित विदेशी वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों को सार्वजनिक वित्त पोषित संस्थानों और विश्वविद्यालयों में एक विशिष्ट अवधि तक काम करने के लिए, भारत लाने के लिए है। यह योजना भारतीय शोधकर्ताओं सहित विदेशी वैज्ञानिकों को एक या एक से अधिक भारतीय सहयोगियों के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अत्याधुनिक क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाले सहयोगशील अनुसंधान करने के लिए एडजंक्‍ट/विजिटिंग फैकल्टी असाइनमेंट प्रदान करती है।

रामानुजन अध्येतावृत्ति

यह अध्येतावृत्ति,विदेश में रह रहे उच्च क्षमतावान भारतीय शोधकर्ताओं को भारतीय संस्थानों/विश्वविद्यालयों में काम करने के लिए विज्ञान, इंजीनियरिंग और चिकित्सा के सभी क्षेत्रों में आकर्षक विकल्‍प और अवसर प्रदान करती है। यह विदेश से भारत लौटना चाह रहे 40 साल से कम उम्र के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के लिए लक्षित है।

क

रामलिंगस्वामी पुनः-प्रवेश अध्येतावृत्ति

यह कार्यक्रम देश के बाहर काम कर रहे उन वैज्ञानिकों (भारतीय राष्ट्रिकों) को प्रोत्साहित करने के लिए है, जो जीवन विज्ञान, आधुनिक जीव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी और अन्य संबंधित क्षेत्रों में अपने अनुसंधान विषयों का अनुशीलन करने के लिए स्वदेश लौटना चाहेंगे।

बायोमेडिकल रिसर्च करियर प्रोग्राम (बीआरसीपी)

यह कार्यक्रम शुरुआती, मध्यवर्ती और वरिष्ठ स्तर के शोधकर्ताओं को भारत में बेसिक बायोमेडिकल या क्लिनिकल एंड पब्लिक हेल्थ में अपने अनुसंधान और शैक्षणिक कैरियर को सुव्‍यवस्थित करने के लिए अवसर प्रदान करता है। ये अध्येतावृत्तियां उन सभी पात्र शोधकर्ताओं के लिए उपलब्‍ध हैं जो भारत में काम करना जारी रखना चाहते हैं या यहां काम करने के लिए पुन:स्‍थानन चाहते हैं।

भारतीय अनुसंधान प्रयोगशाला में भारतीय मूल के वैज्ञानिक/प्रौद्योगिकीविद (एसटीआईओ)

भारतीय मूल के वैज्ञानिकों/प्रौद्योगिकीविदों (एसटीआईओ) को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) प्रयोगशालाओं में अनुबंध आधार पर नियुक्‍त करने का उपबंध है जिससे कि सुविज्ञता के उनके अनुशासन में शोध क्षेत्र का पल्‍लवन हो सके।

वरिष्ठ अनुसंधान एसोसिएटशिप (एसआरए) (वैज्ञानिक पूल योजना)

यह योजना मुख्य रूप से विदेशों से लौट रहे उच्च योग्यता वाले उन भारतीय वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, प्रौद्योगिकीविदों और चिकित्सा कार्मिकों को अस्थायी प्लेसमेंट प्रदान करने के लिए अभिप्रेत है, जिनका भारत में कोई रोजगार नहीं है। वरिष्ठ अनुसंधान एसोसिएटशिप नियमित नियुक्ति नहीं है, बल्कि एक अस्थायी सुविधा है, जिससे एसोसिएट नियमित पद की तलाश करते हुए भारत में अनुसंधान/अध्‍यापन करने में समर्थ हो सके।

 

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत छोड़कर दूसरे देशों में काम करने के लिए जाने वाले भारतीय वैज्ञानिकों की संख्या की खोज-खबर नहीं रखता या अनुमान नहीं लगाता। तथापि, प्रतिभा पलायन न होने देने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय विभिन्न प्रतिस्पर्धी योजनाओं/कार्यक्रमों जैसे कोर रिसर्च ग्रांट, रिसर्च फैलोशिप जैसे जेसी बोस और स्वर्णजयंती फैलोशिप आदि के कार्यान्वयन के माध्यम से वैश्विक स्तर के अनुसंधान को बढ़ावा दे रहा है।


युवा वैज्ञानिकों को अना‍श्रित बनाने और उन्हें देश में बने रहने के लिए प्रेरित करने के लिए कुछ विशेष योजनाएं हैं; जैसे: स्टार्ट-अप रिसर्च ग्रांट, नेशनल पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप आदि। वैश्विक प्रतिस्‍पर्धात्‍मकता प्राप्त करने की दिशा में, विज्ञान मंत्रालय लगभग 80 देशों और विभिन्न बहुपक्षीय संगठनों/एजेंसियों के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्‍तर के द्विपक्षीय और बहुपक्षीय एस एंड टी सहयोग के माध्यम से भारतीय अनुसंधान को वैश्विक अनुसंधान से भी जोड़ रहा है।


स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री और पृथ्‍वी विज्ञान मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन ने राज्य सभा में एक लिखित जवाब के माध्यम से यह जानकारी दी।


(सौजन्य से- PIB_Delhi)