'पर्सनालिटी ऑफ द इयर' अमिताभ बच्चन
फ़िल्म ने वित्तीय सफ़लता तो प्राप्त नहीं की पर बच्चन ने अपनी पहली फ़िल्म के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ नवागंतुक का पुरस्कार जीता। उनकी एक और सफल व्यावसायिक और समीक्षित फिल्म मानी जाती है- आनंद, जिसमें उन्होंने उस समय के लोकप्रिय कलाकार राजेश खन्ना के साथ काम किया। इस फिल्म में अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। तब से चला आ रहा उनके सम्मानित होने का सिलसिला, जो आज भी बरकरार है...
अमिताभ बच्चन चूंकि महाकवि हरिवंश राय बच्चन के पुत्र हैं, इसलिए स्वाभाविक है, वह सिर्फ फिल्मी कलाकार ही नहीं, बल्कि अंदर से कवि हृदय भी हैं। इतना ही नहीं, वह लोगों के पसंदीदा गायक भी हैं। उन्होंने कई फिल्मों में गीतों को स्वर दिए हैं।
बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार अमिताभ बच्चन को जानना, सुख-दुख के एक ऐसे समुच्चय से रू-ब-रू होना है, जिसकी विराटता कभी सदी के नायक तो कभी अथाह सम्पत्तिवान के द्वैध रूपों से परिचित कराता है। अभी पिछले सप्ताह वह कोलकाता महानगर में बाल-बाल बच गए। उनकी मर्सिडीज गाड़ी का पिछला एक चक्का निकल गया। जिस ट्रैवल एजेंसी से कार उपलब्ध करवाई गई थी, उसे पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। बच्चन राज्य सरकार के निमंत्रण पर 23वें कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के उद्घाटन समारोह में भाग लेने पहुंचे थे। और इससे पहले वह एक निगेटिव हाइलाइट्स में छाए रहे।
पैराडाइज और पनामा पेपर्स लीक में उनका नाम आने से उनके चहेताओं के चेहरे पर मायूसी पसर गई। अमिताभ के बारे में तमाम लोगों की धारणा बदल गई। उन पेपर्स में संजय दत्त की पत्नी मान्यता दत्त का भी नाम शामिल है। लेकिन जब सदी का नायक खुशिया मना रहा हो तो हमे उसको उसी श्रेष्ठता के साथ लेना चाहिए। वह न सिर्फ पर्दे पर बल्कि सोशल मीडिया पर भी छाए रहते हैं। अब बच्चे तो मां-बाप के लिए हमेशा बच्चे ही रहते हैं तो चिल्ड्रेन्स डे पर अमिताभ बच्चन की अपने बच्चों के साथ तस्वीरें सोशल मीडिया पर जमकर शेयर हुईं। बेटे अभिषेक बच्चन और बेटी श्वेता नंदा के साथ उनकी तस्वीरों में ऐश्वर्या रॉय के भी शरीक होने से उनको पसंद करने वालों की बांछें खिल उठी।
इस बीच एक और सुखद सूचना आई है- इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में इस वर्ष पर्सनालिटी ऑफ द इयर पुरस्कार उनके नाम रहा। आईएफएफआई का आयोजन 20 नवंबर से 28 नवंबर तक होगा, जिसमें उन्हें यह सम्मान दिया जाएगा। आईएफएफआई की स्थापना वर्ष 1952 में हुई थी। इसे एशिया के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म महोत्सवों में से एक माना जाता है। अमिताभ बच्चन को आगामी भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में साल की शख्सियत (पर्सनालिटी ऑफ द ईयर) पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह समारोह गोवा में होगा। लगभग पांच दशक के फिल्मी करियर में 75 वर्षीय बच्चन ने 190 से अधिक फिल्मों में काम किया है। वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए चार बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुके हैं। उन्होंने 15 फिल्मफेयर पुरस्कार भी अपने नाम किए हैं।
अमिताभ बच्चन चूंकि महाकवि हरिवंश राय बच्चन के पुत्र हैं, इसलिए स्वाभाविक है, वह फिल्म कल्कार ही नहीं, अंदर से कवि हृदय भी हैं। इतना ही नहीं, वह लोगों के पसंदीदा गायक भी हैं। उन्होंने कई फिल्मों में गीतों को स्वर दिए हैं। अमिताभ खुद कहते हैं कि मधुशाला उनकी सबसे पसंदीदा पुस्तक है। उनके पिता ने इस पुस्तक की रचना 1933 में की थी और उसका प्रकाशन 1935 में हुआ। हरिवंश राय बच्चन भी मधुशाला की पंक्तियां कवि सम्मेलनों में गा-गाकर सुनाया करते थे। मधुशाला की हर रूबाई मधुशाला शब्द से समाप्त होती है।
हरिवंश राय 'बच्चन' ने मधु, मदिरा, हाला, साकी, प्याला, मधुशाला और मदिरालय की मदद से जीवन की जटिलताओं के विश्लेषण का प्रयास किया है। मधुशाला जब पहली बार प्रकाशित हुई तो शराब की प्रशंसा के लिए कई लोगों ने उनकी आलोचना की। बच्चन की आत्मकथा के अनुसार, महात्मा गांधी ने मधुशाला का पाठ सुनकर कहा कि मधुशाला की आलोचना ठीक नहीं है। मधुशाला बच्चन की रचना-त्रय 'मधुबाला' और 'मधुकलश' का हिस्सा है जो उमर खैय्याम की रूबाइयां से प्रेरित है। उमर खैय्याम की रूबाइयां को हरिवंश राय बच्चन मधुशाला के प्रकाशन से पहले ही हिंदी में अनुवाद कर चुके थे। मधुशाला की रचना के कारण बच्चन को "हालावाद का पुरोधा" भी कहा जाता है-
मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवला,
'किस पथ से जाऊँ?' असमंजस में है वह भोलाभाला,
अलग-अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूँ -
'राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला।'
सदी के महानायक का एक सच यह भी है कि मधुशाला की पंक्तियां सुनाते समय वह अक्सर भावुक हो जाया करते हैं। बहुत पहले सहारा परिवार के एक आयोजन के दौरान मधुशाला का सस्वर पाठ करते हुए उनका गला रुंध आया था। अमिताभ ने फिल्मों में अपने करियर की शुरूआत ख्वाज़ा अहमद अब्बास के निर्देशन में बनी सात हिंदुस्तानी के सात कलाकारों में एक कलाकार के रूप में की थी।
फ़िल्म ने वित्तीय सफ़लता तो प्राप्त नहीं की पर बच्चन ने अपनी पहली फ़िल्म के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ नवागंतुक का पुरस्कार जीता। उनकी एक और सफल व्यावसायिक और समीक्षित फिल्म मानी जाती है- आनंद, जिसमें उन्होंने उस समय के लोकप्रिय कलाकार राजेश खन्ना के साथ काम किया। इस फिल्म में अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। तब से चला आ रहा उनके सम्मानित होने का सिलसिला, जो आज भी बरकरार है।
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