जानें भारत रत्न क्यों है सबसे खास? हालांकि कई बार उठते रहे हैं ये कुछ सवाल
देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न भी कई चीजों को लेकर विवाद का विषय बना रहा है, जिसमें लैंगिक असमानता भी शामिल है।
देश में आज़ादी के बाद से ही सेना और आम नागरिकों को विशिष्ट रूप से सम्मानित करने की परंपरा चली आ रही है। सेना के पराक्रम व आम नागरिकों की उपलब्धि के लिए अलग-अलग सम्मान की व्यवस्था है।
नागरिक पुरस्कार की बात करें तो इस श्रेणी में सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न है, जिसके बाद पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री का नंबर आता है। जबकि सैन्य सेवाओं में दो तरह के पुरस्कार दिये जाते हैं, एक है युद्ध के दौरान प्रदर्शन के लिए पुरस्कार और दूसरा है शांति के दौरान प्रदर्शन के लिए सम्मान। युद्ध के दौरान प्रदर्शन के लिए सैनिकों को सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र मिलता है, इसके बाद महावीर चक्र और फिर वीर चक्र का नंबर आता है। शांति काल के दौरान सैनिकों को अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाता है।
भारत रत्न
भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो किसी भी क्षेत्र में राष्ट्रिय सेवा के लिए दिया जाता है। इस पुरस्कार के लिए व्यक्ति भारतीय हो, ऐसा कोई लिखित प्रावधान नहीं है। भारत रत्न की स्थापना देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 2 जनवरी 1954 को की थी, तब पहले भारत रत्न से देश के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को सम्मानित किया गया था। शुरुआत में भारत रत्न मरणोपरांत नहीं दिया जाता था, लेकिन साल 1955 में इस प्रावधान को भी जोड़ लिया गया, तब से 14 बार मरणोपरांत भारत रत्न दिया जा चुका है, हालांकि साल 1992 में नेता जी सुभाष चंद्र बॉस के परिवार ने भारत रत्न स्वीकार करने से इंकार कर दिया था।
साल 2014 में मनमोहन सिंह सरकार ने मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न के लिए चुना था और इस तरह सचिन तेंदुलकर सबसे कम उम्र में भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले शख्स बन गए थे। जब सचिन को भारत रत्न से सम्मानित किया गया तब वे 40 साल के थे। भारत रत्न के लिए देश के प्रधानमंत्री राष्ट्रपति के पास सिफ़ारिश भेजते हैं, लेकिन पंडित जवाहर लाल नेहरू को बिना सिफ़ारिश तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भारत रत्न से सम्मानित किया था। भारत रत्न के लिए प्रधानमंत्री प्रत्येक साल राष्ट्रपति से अधिकतम तीन नामों की ही सिफ़ारिश कर सकते हैं।
पद्म पुरस्कार
भारत रत्न के बाद नागरिक सम्मान की श्रेणी में पद्म पुरस्कारों का नंबर आता है। किसी व्यक्ति को किसी क्षेत्र में असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए पद्म विभूषण, उत्कृष्ट कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए पद्म भूषण और विशिष्ट सेवा के लिए पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा जाता है। पद्म सम्मानों की घोषणा भी गणतन्त्र दिवस की पूर्व संध्या की जाती है।
भारत रत्न से जुड़े खास फ़ैक्ट
- भारत रत्न देते समय क्षेत्र, रंग, नस्ल, लिंग और भाषा जैसे आधारों पर ध्यान नहीं दिया जाता है, बावजूद इसके भारत रत्न के मामले में लिंग आधारित भेदभाव साफ झलकता है। 2019 तक के आंकड़ों के अनुसार अब तक कुल 48 लोगों को भारत रत्न दिया जा चुका है, लेकिन उनमे से सिर्फ 5 महिलाएं शामिल हैं। इन पाँच नामों में इन्दिरा गांधी (1972), मदर टरेसा (1980), अरुणा असफ अली (1997, मरणोपरांत), एमएस सुब्बलक्ष्मी (1998) और लता मंगेशकर (2001)का नाम शामिल है।
- यूं तो भारत रत्न देने के लिए किसी विशेष क्षेत्र का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन फिर भी देश का सर्वोच्च पुरस्कार अधिकांशतः राजनीति से जुड़े लोगों को ही मिला है।
- भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति के लिए कुछ खास तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं, हालांकि इस पुरस्कार में किसी भी तरह की राशि शामिल नहीं है। भारत रत्न विजेता को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर वाला एक प्रशस्ति पत्र और पीपल के पत्ते के आकार वाला एक खास पदक मिलता है। इसी के साथ सम्मानित हुए व्यक्ति को किसी राज्य जाने पर अतिथि का दर्जा, डिप्लोमैटिक पासपोर्ट, एयर इंडिया में जीवन भर के लिए एक्सिकिटिव क्लास की यात्रा, टेबल ऑफ प्रेसिडेंट में 7A पोजिशन पर जगह आदि सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
- देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उनकी बेटी इन्दिरा गांधी को भारत रत्न उनके प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए मिला, लेकिन इस दौरान दोनों ने ही अपने नामों की सिफ़ारिश राष्ट्रपति से नहीं की थी। नेहरू के समय देश के राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे और जब इस सम्मान की घोषणा हुई तब नेहरू सोवियत संघ के दौरे पर थे, इस दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति ने खुद ही प्रधानमंत्री को भारत रत्न के लिए चुना था।
- इन्दिरा गांधी के समय में राष्ट्रपति वीवी गिरी ने उन्हे भारत रत्न से नवाजा था। तत्कालीन राष्ट्रपति ने 1971 में पाकिस्तान के साथ चली 14 दिनों की जंग में अहम भूमिका निभाने के लिए उन्हे भारत रत्न दिया था। गौरतलब है कि नेहरू और इन्दिरा दोनों ने ही अपना कार्यकाल समाप्त होते हिए भारत रत्न राष्ट्रपति को वापस कर दिया था।