Biocon की चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ के पति जॉन शॉ का निधन
जॉन शॉ ने बॉयोकॉन में 22 साल तक काम किया और जुलाई 2021 में वह रिटायर हुए. किरण मजूमदार-शॉ और जॉन-शॉ की शादी 1998 में हुई थी.
बेंगलुरु स्थित बायोकॉन लिमिटेड (
Limited) की कार्यकारी चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ (Kiran Mazumdar Shaw) के पति जॉन शॉ (John Shaw) का सोमवार सुबह एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. पारिवारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी. वह 73 वर्ष के थे.उन्होंने बताया कि शॉ को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा था. मौत के सही कारणों का फिलहाल पता नहीं चल सका है.
किरण मजूमदार-शॉ ने पति जॉन शॉ के निधन के बाद ट्वीट किया है, "अपने पति, मेंटोर और हमसफर के निधन से बेहद दुखी हूं. जॉन आपकी आत्मा को शांति मिले. मेरे जीवन को बेहद खास बनाने के लिए धन्यवाद. मैं आपको बहुत याद करूंगी."
किरण शॉ के कार्यालय ने एक बयान में कहा, "अत्यंत दुख के साथ हम आपको सूचित कर रहे हैं कि किरण शॉ के पति और बायोकॉन लिमिटेड के पूर्व उपाध्यक्ष जॉन शॉ का 24 अक्टूबर 2022 को निधन हो गया."
1949 में जन्में जॉन शॉ ने Biocon के वाइस प्रेसिडेंट और नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में सेवाएं दी और 1999 से कंपनी के बोर्ड में शामिल थे. वह विदेशी प्रमोटर थे और बॉयोकॉन ग्रुप ऑफ कंपनीज के एडवाइजरी बोर्ड में शामिल थे.
मूल रूप से स्कॉटलैंड के रहने वाले शॉ ने 1999 में Boicon से जुड़ने से पहले टेक्सटाइल मैन्यूफैक्चरर मधुरा कोट्स (Madhura Coats) का नेतृत्व किया था. वह मदुरा कोट्स लिमिटेड के पूर्व चेयरमैन और कोट्स वियेला समूह के पूर्व वित्त और प्रबंध निदेशक भी थे.
जॉन शॉ ने बॉयोकॉन में 22 साल तक काम किया और जुलाई 2021 में वह रिटायर हुए. किरण मजूमदार-शॉ और जॉन-शॉ की शादी 1998 में हुई थी.
इंफोसिस (Infosys) के पूर्व निदेशक टी वी मोहनदास पई ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, "किरण मजूमदार-शॉ के पति जॉन शॉ का निधन हो गया है. एक असाधारण व्यक्ति, बेहद सज्जन, स्नेही, दयालु, सकारात्मक, हमेशा मददगार, भारत से प्यार करने वाले, भारत निर्माण में योगदान करने वाले जॉन! हम आपको याद करेंगे, ओम शांति."
शॉ को यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिली थी. उन्होंने इसी संस्थान से इतिहास और राजनीतिक अर्थशास्त्र में एमए किया था.
एक समय में बॉयोकॉन एक छोटी सी इन्जाइम कंपनी हुआ करती थी. इसे दुनिया की एक प्रतिष्ठित बायोफार्माश्यूटिकल कंपनी बनाने में उनका योगदान बहुत बड़ा रहा है. उन्होंने कंपनी में सर्वोच्च मानक का कॉरपोरेट गवर्नेंस सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका निभाई. इसके साथ ही ग्रुप के फाइनेंशियल और स्ट्रेटेजिक डेवलपमेंट में भी उनका योगदान बहुत अधिक था.
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