ब्रिक्स देशों ने कोविड-19 के असर से उबरने के लिए पर्यावरण सुधार, पुन:चक्रण अर्थव्यवस्था पर दिया जोर
ब्रिक्स देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के पर्यावरण मंत्रियों ने बृहस्पतिवार को रूस की अध्यक्षता में वीडियो कांफ्रेंस के जरिए एक बैठक में भाग लिया।
नयी दिल्ली, ब्रिक्स देशों ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने सतत विकास और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के लिए 2030 के एजेंडा की आकांक्षाओं को हासिल करने में एक गंभीर चुनौती पेश की है। साथ ही उन्होंने पर्यावरण में सुधार करने तथा राष्ट्रीय योजनाओं में संसाधनों के अधिकतम इस्तेमाल की पुन: चक्रण अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।
ब्रिक्स देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के पर्यावरण मंत्रियों ने बृहस्पतिवार को रूस की अध्यक्षता में वीडियो कांफ्रेंस के जरिए एक बैठक में भाग लिया।
ब्रिक्स पर्यावरण मंत्रियों की छठी बैठक में राष्ट्रों ने माना कि कोविड-19 से सामाजिक चुनौतियां बढ़ीं और लोगों ने नौकरियां गंवाई।
ब्रिक्स देशों ने एक संयुक्त बयान में कहा,
‘‘हम चिंता जताते हैं कि कोविड-19 वैश्विक महामारी का असर सतत विकास और सतत विकास लक्ष्यों के लिए 2030 के एजेंडा की आकांक्षाओं को पूरा करने में गंभीर चुनौती पैदा करता है, वह भी ऐसे वक्त में, जब दुनिया के काम करने के दशक में प्रवेश करने की संभावना है।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘कोविड-19 महामारी ने सामाजिक कमजोरियों को बढ़ाया जिससे लोगों की नौकरियां गई खासतौर से अनौपचारिक क्षेत्र में जो सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ और इसलिए इस क्षेत्र को पर्याप्त समर्थन मुहैया कराना महत्वपूर्ण है।’’
भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडे़कर ने ब्रिक्स के तहत विभिन्न पहलों को लागू करने की जरूरत और ब्रिक्स समझौता ज्ञापन के तेजी से कार्यान्वयन पर जोर दिया।
उन्होंने सतत शहरी प्रबंधन, समुद्री कचरे से निपटने, वायु प्रदूषण और नदियों को साफ करने से संबंधित क्षेत्रों में भारत के प्रयासों की जानकारी दी।
मंत्री ने कहा कि भारत मानता है कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए वैश्विक लक्ष्यों को हासिल करने में वित्त और तकनीकी साझेदारियां अहम स्तंभ हैं।
उन्होंने कहा,
‘‘भारत पेरिस समझौते और उसकी जलवायु प्रतिबद्धताओं पर काम कर रहा है।’’
ब्रिक्स देशों ने कोविड-19 के बाद अर्थव्यवस्था की बहाली के लिए राष्ट्रीय योजनाओं में पर्यावरण में सुधार करने और संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने वाली पुन:चक्रण अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने की पहलों को शामिल करने का आह्वान किया।
देशों ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण जलवायु परिवर्तन संबंधी बातचीत में देरी हुई है और अब 26वीं कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज टू द यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज नवंबर 2021 में होगी।
ब्रिक्स देशों ने एक बयान में कहा,
‘‘महामारी के कारण पैदा अभूतपूर्व चुनौतियों के बावजूद हम यूएनएफसीसीसी, उसके क्योटो प्रोटोकॉल और पेरिस समझौते का पूर्ण और प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धताओं को दोहराते हैं।’’
भारत 2021 में ब्रिक्स की अध्यक्षता संभालेगा।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया,
‘‘जावड़ेकर ने ब्रिक्स पर्यावरण बैठकों में भाग लेने के लिए ब्रिक्स देशों को निमंत्रण दिया है। बैठक में ब्रिक्स पर्यावरण मंत्रियों के बयान को स्वीकार किया गया। सभी देशों ने इसका स्वागत किया।’’