Budget 2023: मोदी राज के 10 बजट- आम आदमी पर टैक्स का कब बढ़ा बोझ और कब मिली राहत
मोदी सरकार साल 2014 से अब तक कुल 10 बजट पेश कर चुकी है.
1 फरवरी को पेश होने वाला बजट 2023 (Union Budget 2023) मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पांचवां बजट होगा. साथ ही मौजूदा सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा. इसके बाद 2024 में लोकसभा चुनाव के चलते फरवरी 2024 में मौजूदा सरकार अंतरिम बजट पेश करेगी. केन्द्र की सत्ता में मोदी सरकार साल 2014 में पहली बार और साल 2019 में दूसरी आर आई. मोदी सरकार साल 2014 से अब तक कुल 10 बजट पेश कर चुकी है. पहले कार्यकाल में 5 बार तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश किया था और 2019 में लोकसभा चुनाव होने के कारण फरवरी 2019 में अंतरिम बजट पेश किया गया. इसके बाद जुलाई 2019 में उस वित्त वर्ष का फुल आम बजट आया.
2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार के केन्द्र की सत्ता में आने के बाद से लेकर अब तक पेश किए गए 10 बजटों में टैक्सपेयर्स के लिए कई बड़े ऐलान हो चुके हैं. फिर चाहे बात होम लोन के ब्याज पर अतिरिक्त डिडक्शन की राहत की हो, रिबेट बढ़ने की हो या फिर वैकल्पिक टैक्स स्लैब की पेशकश की हो या फिर क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स इंट्रोड्यूस किए जाने की. आइए जानते हैं कि मोदी राज में 2014 से अब तक आम लोगों के लिए टैक्स के मोर्चे पर बजट के पिटारे से क्या-क्या निकाला है…
केन्द्रीय फुल बजट 2014
2014 में लोकसभा चुनाव होने के कारण फरवरी में अंतरिम बजट पेश हुआ था. फिर मोदी सरकार सत्ता में आई और तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जुलाई में आम बजट पेश किया. 2014 के फुल बजट में बेसिक टैक्स छूट सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दिया गया. वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़कर 3 लाख रुपये हो गई. वहीं सेक्शन 80(सी) के तहत टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये कर दी गई. सेक्शन 24 के तहत होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख रुपये से बढ़कर 2 लाख रुपये हो गई.
बजट 2015
- सेक्शन 80CCD(1b) के तहत NPS में निवेश पर 50 हजार रुपये की टैक्स छूट की घोषणा
- सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश पर मिलने वाले ब्याज को टैक्स फ्री किया गया
- इंडिविजुअल्स के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन लिमिट 15 हजार रुपये से बढ़कर 25 हजार रुपये हो गई. वरिष्ठ नागरिकों के मामले में यह 20 हजार रुपये से बढ़कर 30 हजार रुपये हो गई.
- वेल्थ टैक्स खत्म कर दिया गया
- 1 करोड़ रुपये से अधिक की सालाना आय वाले इंडिविजुअल्स पर सरचार्ज 10% से बढ़ाकर 12% कर दिया गया.
- सैलरीड क्लास का ट्रांसपोर्ट अलाउंस लिमिट 800 रुपये से बढ़ाकप 1600 रुपये प्रति माह कर दिया गया.
बजट 2016
- 5 लाख से कम आय वालों के लिए टैक्स रिबेट 2000 से बढ़ाकर 5000 रुपये किया गया.
- नए होम बायर्स को 35 लाख रुपये तक के लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज के लिए अतिरिक्त 50,000 रुपये की टैक्स छूट दी गई.
- घर का किराया देने वालों के लिए सेक्शन 80GG के तहत टैक्स छूट को 24,000 से बढ़ाकर 60,000 रुपये किया गया.
- 1 करोड़ रुपये से अधिक की सालाना आय वाले इंडिविजुअल्स पर सरचार्ज 3% बढ़ाकर 15% कर दिया गया.
बजट 2017
- 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की इनकम के लिए इनकम टैक्स रेट को 10% से घटाकर 5% किया गया.
- सभी टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये का टैक्स रिबेट दिया गया.
- 50 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये की सालाना आय वालों पर 10% सरचार्ज का प्रावधान किया गया.
बजट 2018
मोदी सरकार में वित्त मंत्री के तौर पर अरुण जेटली ने अंतिम बार 2018-19 का बजट पेश किया था. इसमें स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया.
- सैलरीड इंडीविजुअल्स के लिए 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. हालांकि इसके बदले में 15000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट को खत्म कर दिया गया.
- इक्विटीज से 1 लाख रुपये से अधिक के लांग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) पर 10% टैक्स लगाया गया.
- सेस 3% से बढ़ाकर 4% कर दिया गया.
- सीनियर सिटीजंस की 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स छूट दी गई, पहले यह सीमा 10,000 रुपये थी. इसके अलावा सीनियर सिटीजंस के लिए सेक्शन 80D के तहत 50,000 रुपये तक मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट क्लेम कर सकने की सुविधा दी गई.
अंतरिम बजट 2019
- टैक्स रिबेट की लिमिट को 2500 रुपये से बढ़ाकर 12500 रुपये किया गया. इसके चलते 5 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री हो गई.
- स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40000 रुपये से बढ़ाकर 50000 रुपये किया गया.
- बैंक या डाकघरों में जमा पर आने वाले 40000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया. पहले यह लिमिट 10000 रुपये थी.
- किराए पर TDS की सीमा को भी 1.80 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.40 लाख रुपये किया गया.
- किसी व्यक्ति के दूसरे सेल्फ ऑक्यूपाइड मकान को टैक्स फ्री कर दिया गया. इससे पहले नियम था कि आपके दूसरे मकान में भले ही आपके परिवार के सदस्य रह रहे हों यानी आपने मकान किराए पर न दिया हो, फिर भी उस मकान पर आस-पास के एरिया के मुताबिक रेंट कैलकुलेशन होता था. इसी पर सरकार टैक्स कैलकुलेट करती थी.
- सेक्शन 54 के तहत प्रावधान किया गया कि अगर कोई एक मकान को बेचकर मिले पैसों से दो मकान खरीदता है तो दोनों मकानों पर टैक्स से छूट मिलेगी. पहले यह छूट केवल एक नए मकान तक ही सीमित थी. हालांकि शर्त है कि मकान बेचकर हुए कैपिटल गेन्स की रकम 2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए.
बजट 2019
मार्च 2019 में हुए आम चुनावों के बाद मोदी सरकार के एक बार फिर केन्द्र की सत्ता में आने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2019 में फुल बजट पेश किया.
- 45 लाख रुपये तक का घर खरीदने के लिए 31 मार्च 2020 तक लिए गए होम लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर टैक्स डिडक्शन लाभ बढ़ाकर 3.5 लाख रुपये तक कर दिया गया. पहले आयकर कानून के सेक्शन 24 के तहत टैक्स डिडक्शन की लिमिट 2 लाख रुपये थी. लेकिन बजट 2019 में नए सेक्शन 80EEA के तहत 1.5 लाख रुपये तक का अतिरिक्त डिडक्शन होम लोन ब्याज पर प्रस्तावित किया गया.
- 2 से 5 करोड़ आमदनी पर सरचार्ज 3% और 5 करोड़ से ज्यादा की आय पर सरचार्ज 7% बढ़ाया गया.
- किसी शख्स के एक ही बैंक/को-ऑपरेटिव बैंक/पोस्ट ऑफिस में मौजूद सभी अकाउंट को मिलाकर एक वित्त वर्ष में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा के कैश विदड्राल पर 2% TDS लगाए जाने की घोषणा की गई.
- इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) खरीदने के लिए लोन लेने पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर 1.5 लाख रुपये तक के टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकने की घोषणा की गई. EV लोन के ब्याज पर नए टैक्स डिडक्शन का क्लेम 1 अप्रैल 2020 से आयकर कानून के सेक्शन 80EEB के तहत किया जा सकता है. इसके लिए यह लोन 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2023 के बीच लिया गया होना चाहिए.
- ठेकेदारों या पेशेवरों को एक साल में 50 लाख रुपये सालाना से अधिक का भुगतान करने वाले व्यक्ति और HUF के लिए पांच फीसदी की दर से स्रोत पर कर कटौती (TDS) अनिवार्य कर दी.
- अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए किए गए भुगतान से TDS के लिए कुछ अन्य चार्जों को भी कंसीडरेशन में लिए जाने का प्रस्ताव रखा गया. इनमें संपत्ति की खरीद के साथ क्लब की सदस्यता, कार पार्किंग शुल्क, बिजली या जलापूर्ति सेवाओं का भुगतान, रख.रखाव शुल्क समेत अन्य तरह के शुल्क शामिल हैं.
- चालू खाते में एक करोड़ रुपये से अधिक जमा करने, एक लाख रुपये से अधिक बिजली बिल का भुगतान करने और एक साल में विदेश यात्रा पर दो लाख रुपये खर्च करने वालों के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य करने का एलान किया गया.
बजट 2020
- वैकल्पिक आयकर स्लैब्स की घोषणा की गई. अब करदाताओं के लिए पुराने परंपरागत इनकम टैक्स स्लैब्स और नए वैकल्पिक टैक्स स्लैब्स दोनों उपलब्ध हैं. वैकल्पिक टैक्स स्लैब्स अपनाने वाले आयकरदाता कुछ डिडक्शंस और एग्जेंप्शन का फायदा नहीं ले सकते हैं.
- कंपनियों और म्यूचुअल फंड्स की ओर से दिए जाने वाले डिविडेंड पर DDT खत्म
- सस्ते मकान की खरीद के लिए सेक्शन 80EEA के तहत 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त कटौती को एक साल बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया
- स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए कर में रियायत
- ओवरसीज रेमिटेंस और ओवरसीज टूर पैकेज की बिक्री पर TCS वसूल करने के लिए आयकर कानून के सेक्शन 206C में संशोधन करने का प्रस्ताव
- डायरेक्ट टैक्स की मुकदमेबाजी कम करने के लिए विवाद से विश्वास स्कीम की घोषणा
बजट 2021
- 75 साल से ज्यादा उम्र के ऐसे बुजुर्ग (Senior Citizen) जो केवल पेंशन और जमा से होने वाली ब्याज आय पर निर्भर हैं, उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) करने की जरूरत नहीं होगी. भुगतानकर्ता बैंक उनकी आय पर आवश्यक टैक्स की कटौती कर लेगा. जिन वरिष्ठ नागरिकों की आय के, पेंशन व बैंक जमा से ब्याज आय के अलावा अन्य स्रोत भी हैं, उन्हें आयकर रिटर्न भरना होगा.
- प्राइवेट सेक्टर कर्मचारियों के मामले में EPF और VPF खाते में 2.5 लाख रुपये तक सालाना कॉन्ट्रीब्यूशन पर मिलने वाला ब्याज ही टैक्स फ्री करने का प्रस्ताव. इस लिमिट से ऊपर के कॉन्ट्रीब्यूशन पर मिलने वाला ब्याज टैक्स के दायरे में आएगा. सरकारी कर्मचारियों के लिए EPF और VPF खाते में 5 लाख रुपये तक के सालाना कॉन्ट्रीब्यूशन पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री कर दिया गया है.
- सस्ते मकान की खरीद के लिए होम लोन के ब्याज पेमेंट पर सेक्शन 80EEA के तहत 1.5 लाख रुपये तक के अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन को और एक साल बढ़ाया गया. अब पहली बार घर खरीद रहे करदाता इस अतिरिक्त डिडक्शन का लाभ 31 मार्च 2022 तक ले सकेंगे.
- यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसीज (ULIPs) में एक साल में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के प्रीमियम का भुगतान करने पर सेक्शन 10 (10डी) के तहत उपलब्ध टैक्स एग्जेम्पशन हटाने का प्रस्ताव. यह केवल 1 फरवरी 2022 के बाद बेची गई पॉलिसियों पर ही प्रभावी
डायरेक्ट टैक्स को लेकर बजट 2021 के ये ऐलान भी अहम
- असेसमेंट की रीओपनिंग के लिए टाइम लिमिट को मौजूदा 6 वर्ष से घटाकर 3 वर्ष किया गया. गंभीर टैक्स चोरी के ऐसे मामलों में जहां एक वर्ष में 50 लाख या इससे अधिक की आय छिपाने का प्रमाण है, उनमें असेसमेंट की रीओपनिंग 10 साल तक किए जा सकने का प्रस्ताव
- साल में 50 लाख रुपये से ज्यादा की खरीद पर 0.1% टीडीएस लगाए जाने का प्रस्ताव. हालांकि यह केवल उन लोगों तक सीमित रहेगा, जिनका टर्नओवर 10 करोड़ रुपये से ज्यादा है.
- छोटे करदाताओं के लिए मुकदमेबाजी को और कम करने के लिए फेसलेस तरीके से काम करने वाली विवाद समाधान समिति गठित करने का प्रस्ताव
- स्टार्टअप्स के लिए टैक्स हॉलिडे का दावा करने के लिए पात्रता अवधि और स्टार्टअप्स में निवेश करने के लिए पूंजी लाभ छूट को 31 मार्च 2022 तक बढ़ाने का प्रस्ताव
- एंप्लॉयर द्वारा कर्मचारियों का अंशदान वक्त पर उनके प्रोविडेंट फंड व अन्य वेलफेयर फंड में जमा न करने पर, देरी से जमा किए गए अंशदान पर एंप्लॉयर को डिडक्शन का लाभ नहीं मिलने का प्रस्ताव
- फेसलेस इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल बनाने का प्रस्ताव
- प्रवासी श्रमिकों के लिए सस्ते किराए के घरों की सप्लाई को बढ़ावा देने के लिए अधिसूचित किफायती किराया आवास प्रॉजेक्ट्स के लिए नया टैक्स एग्जेंप्शन लाए जाने का प्रस्ताव
- अनिवासी भारतीयों यानी NRI को देश लौटने पर फॉरेन रिटायरमेंट बेनिफिट अकाउंट से आय के मामले होने वाली मुश्किलों को दूर करने के लिए नियम अधिसूचित करने का प्रस्ताव
- 95% लेन देन डिजिटली करने वालों के लिए टैक्स ऑडिट की लिमिट 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव
- विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए लाभांश आय पर कमतर सुलह दर पर टैक्स डिडक्शन का प्रस्ताव
- अगर टैक्स रेट मिनिमम अल्टरनेट टैक्स रेट से कम है तो विदेशी कंपनी के लिए डिविडेंड भुगतान को मिनिमम अल्टरनेट टैक्स से छूट देने का प्रस्ताव
- किफायती आवास प्रॉजेक्ट्स द्वारा 31 मार्च 2020 तक टैक्स हॉलिडे का लाभ लिए जा सकने का ऐलान
- रियल एस्टेट इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट्स/इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स में लाभांश के भुगतान को टीडीएस से छूट देने का प्रस्ताव
बजट 2022
बजट 2022 में प्रस्ताव किया गया कि वर्चुअल डिजिटल एसेट्स यानी क्रिप्टोकरेंसी की बिक्री/ट्रान्सफर से होने वाली कमाई 30 प्रतिशत टैक्स के दायरे में आएगी. साथ ही वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के ट्रान्सफर के दौरान अगर पेमेंट एक वित्त वर्ष में 10,000 रुपये से ज्यादा का रहा तो 1 प्रतिशत टीडीएस कट जाएगा. इसके लिए आयकर कानून में एक नया सेक्शन 115BBH जोड़ा गया. क्रिप्टोकरेंसी की बिक्री से होने वाले गेन पर 30 प्रतिशत टैक्स का नियम 1 अप्रैल 2022 से प्रभावी हो चुका है, वहीं 10000 रुपये से ज्यादा के लेनदेन पर 1 प्रतिशत टीडीएस का नियम 1 जुलाई 2022 से लागू हुआ है.
हालांकि क्रिप्टो पेमेंट पर टीडीएस के लिए थ्रेसहोल्ड लिमिट कुछ विशिष्ट व्यक्तियों के लिए 50,000 रुपये प्रति वर्ष है. इन खास लोगों में ऐसे व्यक्ति/एचयूएफ शामिल हैं जिनके लिए आयकर अधिनियम के तहत अपने खातों का ऑडिट कराना आवश्यक है. नकदी या अन्य वर्चुअल करेंसी में ट्रान्सफर की स्थिति में टीडीएस लागू होगा.
बजट भाषण 2022 में यह भी कहा गया कि वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के लेनदेन के मामले में एक्वीजीशन कॉस्ट को छोड़कर क्रिप्टोकरेंसी से आय का कंप्यूटेशन करते वक्त किसी व्यय या भत्ते के मामले में कोई डिडक्शन नहीं मिलेगा. डिजिटल एसेट्स के ट्रान्सफर के दौरान किसी भी तरह का लॉस, किसी अन्य आय के साथ सेटऑफ नहीं किया सकेगा. गिफ्ट के रूप में प्राप्त हुए वर्चुअल डिजिटल एसेट भी टैक्स के दायरे में आएंगे और प्राप्तकर्ता को टैक्स देना होगा.
इसके अलावा...
- सहकारी समितियों के लिए वैकल्पिक न्यूनतम कर और सरचार्ज की दर कम की गई.
- दिव्यांगजनों को कर राहत देते हुए प्रस्ताव किया गया कि दिव्यांग व्यक्ति के माता-पिता या अभिभावक, उसके लिए बीमा स्कीम ले सकते हैं. इससे पहले माता-पिता या अभिभावक के लिए तभी टैक्स कटौती का प्रावधान था, जब दिव्यांग के लिए माता-पिता या अभिभावक की मृत्यु होने पर एकमुश्त पेमेंट या वार्षिकी की सुविधा उपलब्ध हो. बजट 2022 में प्रस्ताव रखा गया कि माता-पिता/अभिभावकों के जीवनकाल के दौरान भी यानी माता-पिता/अभिभावकों के 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर वार्षिकी और एकमुश्त राशि की अदायगी की अनुमति दी जाए.