Budget 2023: बजट से एडटेक सेक्टर को क्या हैं उम्मीदें?
आगामी बजट 2023-24 से एडटेक सेक्टर में काम करने वाली कंपनियों ने भी बड़ी उम्मीदें लगा रखी हैं. जहां कई कंपनियां एडटेक सेक्टर की जरूरत को ध्यान में रखते हुए विशेष राहत की उम्मीद कर रही हैं तो वे ऑनलाइन लर्निंग के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार भी चाहती हैं.
कोविड-19 महामारी के दौरान भारी उछाल देखने वाले एजुकेशनल-टेक्नोलॉजी (एडटेक) सेक्टर के सामने अब चुनौतियों का पहाड़ खड़ा हो चुका है. उन्हें अपने एडटेक बिजनेस को बचाने के लिए ऑफलाइन सेंटर्स खोलना पड़ रहा है.
वहीं, भारतीय एडटेक कंसोर्टियम (IEC) और स्वतंत्र शिकायत समीक्षा बोर्ड (The Independent Grievance Review Board) जैसी संस्थाओं के आने के बाद भी एडटेक सेक्टर के रेगुलेशन की चुनौतियां भी बनी हुई है.
साल 2021 में 60-65 अरब रुपये वाले भारतीय एडटेक बाजार का आकार 2031 तक 25 खरब रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है. भारत अमेरिका के बाद ई-लर्निंग के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार भी बन गया है.
ऐसे में आगामी बजट 2023-24 से एडटेक सेक्टर में काम करने वाली कंपनियों ने भी बड़ी उम्मीदें लगा रखी हैं. जहां कई कंपनियां एडटेक सेक्टर की जरूरत को ध्यान में रखते हुए विशेष राहत की उम्मीद कर रही हैं तो वे ऑनलाइन लर्निंग के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार भी चाहती हैं.
वहीं, प्रतियोगी परीक्षाओं और बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कराने वाली कई एडटेक कंपनियों ने नकल पर रोक लगाने के लिए खास उपाय करने और बेरोजगारी को दूर करने के लिए बेरोजगारी बोर्ड बनाने की मांग की. वहीं, कुछ एडटेक कंपनियों ने जीएसटी रेट पर भी चिंता जाहिर की और उसमें सुधार की वकालत की.
एडटेक कंपनी
के फाउंडर और सीईओ डॉ. निर्मल गहलोत ने कहा कि इस साल के केंद्रीय बजट से हमारी मुख्य उम्मीदों में से एक है कि सरकार एक केंद्रीय समिति या एक बोर्ड का गठन करे, जो परीक्षा पेपर लीक के मामलों से निपट सके, खासकर सरकारी परीक्षाओं में. हमें उम्मीद है कि इन परीक्षाओं में किसी भी तरह की कदाचार से बचने के लिए कड़ी कार्रवाई शुरू की जाएगी. यह लाखों उम्मीदवारों के प्रयासों को खत्म कर देता है और भर्ती बोर्डों और राज्य सरकारों के समय और संसाधनों को बर्बाद कर देता है.इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम यह भी उम्मीद करते हैं कि विभिन्न सरकारी विभागों में रिक्त पदों पर नियुक्तियों को भरने के लिए प्रावधान किए जाए. हमारा मानना है कि वित्त मंत्री यूनियन स्तर पर एक बेरोज़गारी बोर्ड के निर्माण की घोषणा कर सकती हैं, जो बेरोज़गार युवाओं को उनके सामने आने वाली चुनौतियों/मुद्दों को आवाज़ देने और समाधान खोजने के लिए एक एजेंसी की पेशकश करेगा.
वहीं,
की सीईओ रंजीता रमन ने कहा कि एडटेक सेक्टर इस वित्तीय वर्ष में बढ़ा है, जिसमें नई तकनीकें सामने आ रही हैं, जबकि कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि बड़े स्तर पर कर्मचारियों की छंटनी.उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि सरकार को एडटेक इंडस्ट्री को और प्रमुख स्थान देने की जरूरत है. हमें उम्मीद है कि बजट 2023-24 में प्रशिक्षण कार्यक्रमों, एडटेक सेक्टर के संस्थागतकरण और उन्नत अनुसंधान एवं विकास का समर्थन करने की पहल के लिए अधिक धन आवंटित किया जाएगा. यह भारत को कार्यकारी और डिजिटल-आधारित शिक्षा के लिए एक अधिक स्पष्ट बाजार बनने की राह पर ले जाएगा.
इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि 5G के रोलआउट के साथ, अधिक कनेक्टिविटी की उम्मीद है और अगर धन को सही जगह पर सही तरीके से लगाया जाता है, तो ऑनलाइन-एजुकेशन बड़ी पहुंच हासिल करेगी.
वहीं, डिजिटलीकरण के कारण आने वाले बदलावों से पैदा होने वाले स्किल गैप को पाटने की दिशा में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’ (NEP-2020) के नजरिए की सराहना करते हुए महिंद्रा यूनिवर्सिटी (Mahindra University) के वाइस चांसलर यजुलु मेदुरी ने कहा कि एजुकेशन में इनोवेशन को बढ़ावा देने और भारत में टैलेंट स्किल गैप की खाई को पाटने के लिए बजट में समर्थन देना सुनिश्चित किया जाए.
लो-इनकम हाउसहोल्ड के स्टूडेंट्स को अफोर्डेबल और एक्सेसिबल एजुकेशन मुहैया कराने के साथ ही उनके स्किल्स को निखारने का काम करने वाले
के सीईओ हिमांशु गौतम ने कहा कि देश में स्किल्ड युवाओं की भारी कमी है. तो भारत सरकार जो बजट लाने जा रही है उसमें इन युवाओं को स्किल्ड बनाने के लिए एक प्रावधान जरूर होना चाहिए.गौतम ने कहा कि इसके लिए सरकार 3 क्षेत्रों में काम कर सकती है:
1. छोटे शहरों और गांवों तक अफोर्डेबल इंटरनेट की पहुंच बनाना
2. युवाओं के सीखने के लिए सुगम संसाधन विकसित करना, सस्ती ब्याज दर पर लोन मुहैया कराना, उन्हें स्कॉलरशिप देना.
3. एजुकेशन सेक्टर में ऑनलाइन और ऑफलाइन एजुकेशन में जीएसटी रेट पर और अधिक स्पष्टता लाना
वहीं, FOSTIIMA Business School के चेयरमैन अनिल सोमानी ने उम्मीद जताई कि बजट में एजुकेशन सेक्टर के लिए फंडिंग में बढ़ोतरी होगी.
उन्होंने आगे कहा कि स्टूडेंट वेलफेयर को बढ़ाने और मौजूदा एजुकेशन सिस्टम का विस्तार करने के लिए भारत के GDP का 6% प्रदान करने की तत्काल आवश्यकता है. यह एलोकेशन स्कूलों और विश्वविद्यालयों को ज्यादा रिसोर्सेज प्रदान करेगा, जिसके परिणामस्वरूप बेहतर इंफ्रास्ट्रक्टर, उच्च गुणवत्ता वाले टीचिंग स्टाफ और सीखने के लिए बेहतर माहौल मिल पायेगा.
वहीं, माइंडलर
के फाउंडर और सीईओ प्रतीक भार्गव ने कहा कि भारतीय एडटेक इंडस्ट्री 2023 के बजट का उपयोग निर्णायक रूप से अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपने नेतृत्व को मजबूत करने के लिए कर सकता है. यूजीसी और शिक्षा नीति में सुधार एक ऐसे माहौल को बढ़ावा देते रहेंगे जो समग्र रूप से एडटेक क्षेत्र के विस्तार के अनुकूल है.उन्होंने कहा कि NEP ने शिक्षा में सकल घरेलू उत्पाद का 6 फीसदी निवेश करने का लक्ष्य रखा था. यह अनुमान है कि सरकार शिक्षा क्षेत्र पर खर्च बढ़ाएगी, जो पूरी अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर परिणाम दे सकती है, यह देखते हुए कि अब हम सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 3 फीसदी पर हैं. स्कूलों के लिए प्रौद्योगिकी के बुनियादी ढांचे में कर प्रोत्साहन और निवेश बजट 2023 के कुछ मुख्य एडटेक प्राथमिकता वाले क्षेत्र होने चाहिए.
OPJS University के फाउंडर डॉ. जोगिंदर सिंह बताते हैं, "भारत के पास एक बड़ी आबादी है. इसमें युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है. इनकी उम्र 18 से 35 साल है. ऐसे युवाओं को रोजगार मिलना एक बड़ी चुनौती है. इसके लिए युवाओं को स्किल्ड बनाने पर जोर दिया जा रहा है. सरकार ने टेक्नोलॉजी और डिजिटल सशक्तिकरण की दिशा में काफी सराहनीय काम किए हैं, जिसकी दुनियाभर में तारीफ हो रही है. हर बजट में मोदी सरकार का टेक्नोलॉजी और टेक फ्रेंडली एजूकेशन को बढ़ावा देने पर जोर रहा है. लेकिन इस सेक्टर और बढ़ावा दिया जाना चाहिए, क्योंकि आने वाला वक्त टेक्नोलॉजी का है, जिसमें टेक्नोलॉजी और डिजिटल से जुड़ी नौकरियों की डिमांड रहेगी. ऐसे में भारत सरकार को देश की बड़ी आबादी को टेक्निकली साउंड करना होगा."
केंद्र सरकार नेशनल एजूकेशन पॉलिसी के जरिए एजूकेशन को मॉर्डन किया है. जिससे एजूकेशन में काफी नयापन आया है. सरकार ने स्कूलों में रोबोटिक लैब बनाने का काम किया है, जिसे अटल टिंकरिंग लैब के नाम से जाना जाता है. इसमें स्कूल को रोबोटिक लैब बनाने के लिए सरकार की तरफ से 12 लाख रुपये का अनुदान मिलता है. बता दें कि नेशनल एजूकेशन पॉलिसी 200 में 8 से 12 कक्षा के छात्रों के लिए रोबोटिक कोर्स जोड़ा गया है. इसमें सरकारी स्कूलों में नीति आयोग की सहायता से वर्कस्पेस बनाए जाते हैं, जिससे स्टूडेंट्स को इनोवेटिव और उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा. सरकार को इस तरह के और अटल टिंकरिंग लैब बनाने का बजट पेश करना चाहिए. नीति आयोग की तरफ से इन्क्यूबेशन सेंटर का आइडिया पेश किया गया था. इसमें व्यापारिक और टेक्नोलॉजी बेस्ड शिक्षा दी जाती है, जिससे स्टूडेंट्स का रुझान कम उम्र से ही स्टार्टअप और कारोबार की तरफ किया जा सके. इस बार के बजट में इन्क्यूबेशन के विस्तार को लेकर बजट के ऐलान की संभावना की जा रही है. सरकार ने स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए देश में 56 इन्क्यूबेटरों (Incubation Centers) को मान्यता दी है. मौजूदा वक्त में देश में करीब 250 मान्यता प्राप्त इनक्यूबेटर हैं. आगामी बजट में इनकी संख्या बढ़ाए जाने की उम्मीद की जा रही है.
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) काफी सफल रही है. यह एक भारत सरकार की योजना है, जिसे जुलाई 2015 में शुरू किया गया था. इस योजना के तहत 2020 तक एक करोड़ युवाओं को प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) देने की योजना बनाई गई थी. इस योजना में स्किल्ड वर्कर की बड़ी फोर्स को तैयार किया जाता है. इसमें कम पढ़े-लिखे हैं या बीच में स्कूल छोड़ने वालों को रोजगार के लिए तैयार किया जाता है. इस योजना से रोजगार मिलने की संख्या में इजाफा हुआ. ऐसे में इस बार के बजट में कौशल विकास योजना का बजट बढ़ने की उम्मीद की जा रही है.
NPTEL सरकार का शिक्षा की दिशा में एक सराहनीय काम रहा है. NPTEL यानी एन्हांस्ड लर्निंग ऑन टेक्नोलॉजी एन्हांस्ड लर्निंग. इस प्रोग्राम में देश की 7 आईआईटी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के साथ मिलकर एक वीडियो कोर्स तैयार किया गया है. जिसे स्टूडेंट्स ऑनलाइन एक्सेस कर सकेत हैं. इसमें 40 घंटे के लिए वेब बेस्ड 100 वीडियो कोर्स तैयारी किए गए हैं. इसमें IIT लेवल के कोर्स मौजूद है. सरकार को इंजीनियरिंग के अलावा एजूकेशन के बाकी क्षेत्र जैसे हिस्ट्री और मैथ के NPTEL कोर्स तैयार करने चाहिए. इसके लिए इस बार के बजट में बड़े ऐलान की संभावना है.
साथ ही सरकार को ज्यादा से ज्यादा स्वयम पोर्टल बनाने चाहिए. जैसा कि नाम से साफ है स्वयम एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है, जहां कक्षा 9 से लेकर पोस्ट-ग्रेजुएशन तक ऑनलाइन कोर्स मौजूद है. इसे देश के उम्दा शिक्षकों ने मिलकर बनाया है, जिसे कहीं से भी एक्सेस किया जा सकता है. यह स्टूडेंट्स के लिए लिए मुफ्त है.
भारत में 5G की एंट्री हो चुकी है. सरकार ने सेमींकड्कटर पॉलिसी मिली है, उससे फायदा मिलेगा. भारत में आने वाली दिनों में गेमिंग के साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑग्मेंटेड रिएलिटी, मिक्सड रिएलिटी के साथ ही मेटावर्स सेक्टर में खूब सारी नौकरियां निकलने की उम्मीद है. इसलिए सरकार को बजट में इन्हीं सेक्टर को ध्यान में रखकर आगे के लि प्लानिंग करनी चाहिए, जिससे आने वासी आबादी को रोजगार परख बनाया जा सके.
सरकार को युवाओं को डिजिटली साउंड बनाने के लिए स्कूल और कालेज के स्तर पर ही कुछ नए कोर्स जैसे को पेश करना होगा. इसमें AR और VR लैब्स शामिल हैं और उनके लिए फंड जारी करना चाहिए. सरकार की स्कूल-कालेज में नए डिजिटल लैब बनाने के लिए फंड जारी करना चाहिए. साथ ही टैक्स और जीएसटी में छूट देनी चाहिए.
STEM कोर्सेस का भारत को काफी फायदा मिला है. इसमें साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स को शामिल किया जाता है. इन कोर्सेस को स्कूली लेवल पर लागू किया जाता है, जिसका फायदा मिलता दिख रहा है. पिछले साल इसरो ने SSLV से AzadiSAT सैटलाइट लॉन्च किया. जिसे 750 छात्रों ने मिलकर बनाया था. हालांकि STEM कोर्सेस को ज्चादा बढ़ावा दिया जाना चाहिए. और STEM कोर्सेस और उसके इस्तेमाल में आने वाली चीजों पर लगने वाली जीएसटी की दर को कम करना चाहिए.
Netratvshaala के फाउंडर प्रणव द्विवेदी कहते हैं, "भारत के टेक्नोलॉजी सेक्टर में पिछले कुछ वर्षों में शानदार ग्रोथ दर्ज की गई है. हाल के वर्षों में भारत में डिजिटल एडॉप्शन में तेजी दर्ज की गई है. जबकि ई-कॉमर्स सेक्टर में भारी बढ़ोतरी देखी गई है. इसके अलावा भारत में 5G सर्विस रोलआउट शुरू हो गया है. साथ ही क्लाउड सर्विस के विस्तार में बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में केंद्रीय बजट 2023 को पेश करते वक्त इन सेक्टर्स पर खास ध्यान देना चाहिए, जिससे आने वाले वक्त में इन सेक्टर को ज्यादा गति मिलेगी, जिससे भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के सपने को पूरा करने में मदद मिलेगी. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इन तीनों सेक्टर की ग्रोथ को लेकर बजट में कुछ प्रावधान किए जा सकते हैं."
क्लाउड सर्विस और डीप टेक्नोलॉजी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेन कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जिसमें भारी डिमांड दर्ज की जा रही है. ऐसे में केंद्रीय बजट 2023 में सरकार को इन क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए. सरकार को बजट में इन सर्विस सेक्टर के विकास और एकीकरण पर ध्यान देना चाहिए. सरकार की यह पहल कारोबार को ज्यादा चुस्त दुरुस्त बनाने के साथ इसे उच्च स्तर पर ले जाएगी.
अगर ओवरऑल बात करें, तो सरकार को टेक्नोलॉजी सेक्टर की क्षमता को पहचानना होगा और सरकार को टेक्नोलॉजी सेक्टर में निवेश पर जोर देना चाहिए, जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास को रफ्तार देगी. अगर केंद्रीय बजट 2023 में टेक्नोलॉजी सेक्टर को सही प्रोत्साहन दिया जाता है, तो यकीकन भारत को दुनिया की सबसे सफल इकोनॉमी के तौर पर खुद को स्थापित करने में मदद मिलेगी.
सांझी सिखिया की जिला प्रमुख ममता बिष्ट बताती हैं, "आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए, भारत सरकार इस वर्ष 76वां वित्तीय बजट पेश करेगी. किन्तु कुछ मूलभूत मुद्दों पर बजट में अभी भी उतनी चर्चा नहीं होती जितनी की होनी चाहिए, जैसे की शिक्षा. राष्ट्र की प्राथमिक आवश्यकताओं में से एक होने पर भी, शिक्षा बजट पिछले कुछ सालों से केवल 3% के आसपास ही रहा है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कहा गया है कि बजट का कम से कम 6% शिक्षा के लिए निर्धारित किया जाना चाहिए. हालांकि यह समझ में आता है कि बजट एक वर्ष के अंतराल में दोगुना नहीं होगा, लेकिन इस ओर कुछ पाज़िटिव प्रयास जरूर किए जा सकते हैं ताकि एक राष्ट्र के तौर पर हमारी शिक्षा की बुनियाद और मजबूत हो सके."