ये है मुफ्त उर्वरक पाने का आसान तरीका, ढैंचा से बनाएं हरी खाद, इसकी खेती से होगी तगड़ी कमाई
एक ऐसी भी खेती होती है, जिसके बहुत सारे फायदे हैं. ये खेती है ढैंचा की. अगर आप इसकी पैदावार हासिल करना चाहते हैं तो तगड़ी कमाई कर सकते हैं. वहीं इससे हरी खाद भी मिलती है.
खेती में आजकल नए-नए प्रयोग हो रहे हैं. तमाम तरह के उर्वरक भी आ गए हैं, लेकिन आज भी एक पुराना तरीका खूब काम आता है. ये हैं ढैंचा के जरिए हरी खाद (Green Manure) बनाने का तरीका. दलहनी फसल लगाने से पहले खेत में ढैंचा बोने से खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती है. इससे खेत में नाइट्रोजन की पूर्ति हो जाती है और पौधों को पोषण मिलता है. कई राज्य तो ढैंचा की खेती के लिए सब्सिडी तक देते हैं, क्योंकि यह नेचुरल खाद का काम करती है और इससे रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल कम होता है. आइए जानते हैं कैसे करें ढैंचा की खेती (How to do Dhaincha Farming) और इससे आप कैसे कमा सकते हैं मुनाफा.
कब और कैसे की जाती है ढैंचा की खेती?
वैसे तो ढैंचा को किसी भी मौसम में लगाया जा सकता है, लेकिन अधिक पैदावार के लिए इसे खरीफ के सीजन में बोया जाता है. इसकी बुआई से पहले खेत को अच्छे से जोत लें और फिर ढैंचा बो दें. इसकी बुआई भी सरसों की तरह या तो लाइनों में होती है या फिर छिड़काव विधि से होती है. अगर आप ढैंचा सिर्फ हरी खाद बनाने के लिए बो रहे हैं तो खेत को सिर्फ एक बार जोतकर उसमें ढैंचा छिड़काव विधि से बो सकते हैं. इसकी खेती में ध्यान रहे कि खेत में पानी ना रुके, वरना पैदावार पर असर होगा.
अगर आप ढैंचा की खेती कर रहे हैं तो आपको इसे लाइनों में बोना चाहिए, जिससे अच्छी पैदावार मिल सके. इसके लिए आप ड्रिल मशीन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. एक एकड़ में ढैंचा की खेती में करीब 10-15 किलो बीज लगेंगे. वहीं इसकी फसल में 4-5 सिंचाई की जरूरत पड़ती है. बेहतर पैदावार के लिए निराई-गुड़ाई का भी ध्यान रखें, ताकि अच्छा उत्पादन हो. साथ ही रोगों से बचाने के लिए कीटनाशक का प्रयोग भी करें.
ढैंचा की फसल करीब 4-5 महीने में काटने के लिए तैयार हो जाती है. इसकी फलियों में बीज होते हैं, जिन्हें तोड़कर धूप में सुखाया जाता है और फिर मशीन की मदद से बीज अलग कर लिए जाते हैं. ढैंचा की बची हुई सूखी फसल का इस्तेमाल कई जगह ईंधन के रूप में होता है. वहीं इसका इस्तेमाल टाट बांधने या सब्जियों के खेतों में पौधों को हल्की छांव देने में भी किया जाता है. एक एकड़ से करीब 25 टन तक की पैदावार मिल सकती है. ढैंचा के बीडज 40 रुपये प्रति किलो के करीब बाजार में बिकते हैं. यानी किसान इस फसल को लगभग 10 लाख रुपये में बेच सकते हैं.
कैसे बनाई जाती है हरी खाद
ढैंचा से हरी खाद बनाने के लिए सबसे पहले इसे उसी खेत में उगाया जाता है, जिसमें हरी खाद की जरूरत है. जब इसके पौधे डेढ़ से दो फुट के हो जाते हैं तो खेत की मिट्टी को जुताई की मशीनों से पलटा जाता है. इससे वह पौधे मिट्टी के नीचे दब जाते हैं और हरी खाद बन जाते हैं. ढैंचा की हरी खाद से मिट्टी में नाइट्रोजन की जरूरत होती है.