इस उद्यमी का ‘कर्म’ और ‘स्वधर्म’ का इस्तेमाल कर लिंकडिन 2.0 बनाने का दावा
‘कर्म करो, फल की चिंता मत करो’
आपने कितनी बार बड़े बूढ़ों को आपसे ऐसा कहते सुना है? कई बार सुना होगा, है की नहीं. लेकिन कितनी बार आप दोराहे पर रुककर वास्तव में ऐसा सोच पाएं? अधिकतर के लिए यह कोई मायने नहीं रखता और वे इस विषय से हट जाते हैं. हालांकि, दीपक गोयल के लिए यह व्यक्तिगत प्रेरणा थी, इस सिद्धांत को क्रियाशील करने के लिए उऩ्होंने प्रौद्योगिकी के एक अनूठे एकीकरण को माध्यम बनाया. पेश है कर्म सर्कल्स (Karma Circles), यह हर किसी को मदद पाने और देने में सहायता करता है. हालांकि, इस व्यक्ति के कर्म का क्या होगा जो इस विचार का पक्का विश्वासी है. निश्चित ही भला. पिछले सात सालों से स्टार्टअप इकोसिस्टम में काम करने वाले दीपक सिलिकॉन वैली के 400 से अधिक स्टार्टअप को सलाह देते हैं और उनकी कोशिश को एंजल इनवेस्टमेंट में तब्दील करा पाए हैं.
LinkedIn 2.0
दीपक के मुताबिक लिंकडिन पर कर्म सर्कल्स एक और परत जोड़ता है. यह उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करता है जिसपर पेशेवर सोशल मीडिया दिग्गज नहीं करते.
लिंकडिन के मंच से मूल्य परिवर्धन की व्याखया करते हुए संस्थापक कहते हैं. “साझा अर्थव्यवस्था की अवधारणा पर कार्य करते हुए, कर्म सर्कल्स का लक्ष्य पेशेवर सलाहकार मुहैया कराने में मदद करना है. अब, कौशल का समर्थन विस्तृत परिदृश्य है. यह अन्य यूजरों को अनुमति देता है यह जानने के लिए कि कैसे एक शख्स ने उनकी मदद की. न सिर्फ यह लोगों को सार्वजनिक तौर मदद मांगने और देने की प्रेरणा देता है बल्कि यह आपकी ऑनलाइन छवि को भी बेहतर बनाता है ताकि आपकी पहुंच में बढ़ोतरी हो सके. लिंकडिन के विपरीत, हम नहीं सोचते कि पेशेवर कनेक्शन हो सकता है जब तक आपसी समझौता न हो.’’
आपसी समझौते वाले मंच को विकसित करते हुए दीपक को लगता है कि मंच पर आप जितना देंगे उससे कहीं अधिक आपको मिलेगा. इसके अलावा, अधिक स्कोर (अंक) के साथ आपकी मदद करने वालों का झुकाव अधिक बढ़ जाता है.
क्या आपने अंक सुना? हां, प्लेटफॉर्म पर कर्म अंक है.
मदद पाने वाले प्रशंसा पत्र कौशल की पुष्टि करते हुए लिख सकते हैं और उन्हें कर्म अंक दे सकते हैं, मदद की पेशकश करने वाले व्यक्तियों के लिए ऑनलाइन प्रतिष्ठा के निर्माण में सहायता कर सकते हैं.
यह कैसे काम करता है?
मान लीजिए दो व्यक्ति हैं ए और बी. अगर ए बी की मदद करता है, फिर अगली बार अगर ए मदद की इच्छा जताता है उसके सवाल न केवल प्रोफेशनल की फीड में पोस्ट होंगे जिनकी ए ने मदद की है बल्कि उनकी भी फीड में ए के सवाल जाएंगे जिन्हें ए की मदद मिली. इस मामले में बी ने जिन पेशेवरों की मदद की है उनके पास भी ए के मदद के सवाल जाएंगे. दीपक कहते हैं. “यह सिद्धांत चीजों की वास्तविक योजना में सही है और हमने सिर्फ मॉडल को ऑनलाइन लाया है. जब आप किसी परेशानी में होते हैं तो आप उनसे मदद मांगते हैं जिनकी आपने कभी मदद की है. और बदले में वे लोग ऐसे लोगों से पूछते जिनकी कभी उन्होंने मदद की हो. इस प्लेटफॉर्म के जरिए युवा उद्यमी किसी को भी संदेश भेज सकते हैं बिना किसी कनेक्शन को स्थापित किए और बड़े उद्योगपति से मुलाकात का समय पा सकते हैं बिना किसी कनेक्शन के.
सिद्धांत
दीपक का निजी सिद्धांत उनके व्यापार में भी कायम है. स्वधर्म पाने के सिद्धांत पर कर्म सर्कल्स काम करता है. लगातार सहायता करने का सिद्धांत, बिना किसी शर्त के साथ साथ हर किसी की ताकत का आदर करना और लोगों को जरूरत के मुताबिक और खास तौर पर सलाह देना. फिलहाल 6 सदस्यीय टीम वाले इस मंच के पास कोई सक्रिय राजस्व मॉडल नहीं. वे इसको सोशल उद्यम कहते हैं और कंपनी 2017 तक मंच को मॉनिटाइज नहीं करना चाहती. बूटस्ट्रैप कंपनी फिलहाल 1800 चुने हुए व्यक्तियां का नेटवर्क है जो इकोसिस्टम में जाने माने नाम है. कंपनी फिलहाल ऐसे प्रभावीशाली व्यक्तियों की तलाश कर रही है जो दाता श्रेणी के अंतर्गत आते हैं. मंच पर 90 फीसदी दाता हैं और सिर्फ 10 फीसदी ही सहायता मांगने वाले हैं. हर महीने 3,000 लोग इस मंच पर आते हैं और अगले दो महीने में आंकड़े को 8,000 पहुंचाने की योजना है.
अगर संस्थापक की माने तो वे चार महीने में बढ़ नहीं पाए हैं और अपने ग्राहकों को बेहतर तरीके से समझने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि अगले महीने एंड्रायड पर लॉन्च होने के बाद टीम को पूरा विश्वास है कि जिस तरह से चीजें काम कर रही है वे उसमें क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे. दिसंबर में आईओएस पर भी यह मंच आ जाएगा. सलाह कार्यक्रम चलाने वाले कॉरपोरेट और अन्य लोगों को कंपनी निमंत्रण दे रही है और साथ ही कर्म फीड पर भी काम कर रही है. कंपनी फिलहाल कोर समूह पर ध्यान केंद्रित कर रही है और मंच एप के लॉन्च होने के बाद अन्य यूजरों को साथ लाने पर काम करेगा. वेंचर के बारे में अपने अऩुभव के बारे में दीपक कुछ यूं कहते हैं. ‘कर्म सर्कल्स जिंदगी जोड़ रहा है. मुझे दूसरों की मदद करने में आनंद आता है और मैं किसी की जरूरत को पूरी कर पाऊं तो जिंदा महसूस करता हूं. यह ऐसा कुछ है जिसे मैं अपने मंच के जरिए हासिल करना चाहता हूं.’
लेखक-तरुष भल्ला
अनुवाद-आमिर अंसारी