कोरोनो वायरस से निपटने के लिए कैसे टेलीमेडिसिन सेवाओं को बढ़ा रहा है प्रैक्टो
कोरोना वायरस महामारी के कारण जहां लोगों ने घर से काम करना शुरू कर दिया है, वहीं चिकित्सा के क्षेत्र में भी इसके चलते एक अहम बदलाव आया है। इस बदलाव का नाम है टेलीमेडिसिन। पिछले कुछ हफ्तों में न सिर्फ विभिन्न प्लेटफॉर्मों के जरिए टेलीमेडिसिन परामर्श लेने वालों लोगों की संख्या बढ़ी है, बल्कि सरकार ने भी टेलीमेडिसिन को लेकर गाइडलाइंस जारी की है। इससे अब तक जो डॉक्टर टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के लिए अनिच्छुक थे, वे भी इसे अपनाने लगे हैं।
कोविड-19 यानी कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच संदिग्ध मरीजों की जांच में डॉक्टरों की मदद करने के लिए, बेंगलुरु मुख्यालय वाली हेल्थटेक स्टार्टअप- प्रैक्टो अपनी ऑनलाइन परामर्श और टेलीमेडिसिन सेवाओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
पिछले तीन वर्षों से यह हेल्थटेक प्लेटफॉर्म सुर्खियों से दूर रही है और माना जाता है कि यह चुपचाप अपनी सेवाओं को सुव्यवस्थित करने पर काम करी थी।
हालांकि इस साल मार्च की शुरुआत में जब भारत कोरोना वायरस महामारी में चपेट में आया तो प्रैक्टो इस क्षेत्र की दूसरी हेल्थकेयर प्लेटफार्मों के साथ-साथ यह सुनिश्चित करने में जुटी हैं, वे अपने हिस्से की जिम्मेदारी बखूबी निभाएं।
टेलीमेडिसिन की मांग में बढ़ोतरी
प्रैक्टो के को-फाउंडर और सीईओ शंशाक एनडी ने योरस्टोरी को बताया,
"टेलीमेडिसिन इस वक्त की जरूरत है। यह सिर्फ प्रैक्टो या किसी दूसरी हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म के बारे में नहीं है। यह सभी एक साथ आने और अपना काम करने के बारे में है।"
प्रैक्टो ने थायरोकेयर के साथ साझेदारी में मुंबई में कोरोना वायरस के टेस्ट का काम शुरू कर दिया है। जल्द ही इस टेस्ट को देश भर में उपलब्ध कराया जाएगा।
हालांकि फिलहाल कंपनी का ध्यान सिर्फ एक चीज पर केंद्रित है और वो है- ऑनलाइन कंसल्टेशन और टेलीमेडिसिन।
प्लेटफॉर्म पर बुखार, खांसी, सर्दी, गले में खराश और शरीर में दर्द से जुड़े आने वाले प्रश्नों में 200 पर्सेंट का इजाफा हुआ है। प्रैक्टो पर टेलीकंसल्ट्स में हर हफ्ते 100 पर्सेंट की बढ़ोतरी देखी जा रही है, जिसमें 53 प्रतिशत हिस्सा कोरोना वायरस से संबंधित समस्याओं के ई-कंसल्ट्स का है। अधिकतर प्रश्न 20-30 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों की ओर से आते हैं।
प्रैक्टो पर आने वाले सभी टेलीकंसल्ट अनुरोधों में से करीब 50 प्रतिशत टियर 2 और टियर 3 शहरों से आते हैं। हालांकि बेंगलुरु, दिल्ली एनसीआर, हैदराबाद, मुंबई, पुणे और चेन्नई जैसे बड़े शहरों से भारी संख्या में प्रश्न आते हैं।
प्लेटफॉर्म की तैयारी
शशांक बताते हैं,
"इसका मतलब एक पूरी टेक और इंजीनियरिंग टीम तैयार करना है जो टेलीमेडिसिन के बढ़े हुए लोड को संभालने के लिए एक मजबूत सिस्टम विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर सकें।"
प्रैक्टो को 2007 में शुरू किया गया था। यह उन कुछ शुरुआती डिजिटल प्लेटफॉर्मों में से एक है, जिसने अपने बी2बी प्रॉडक्ट- प्रैक्टो रे के साथ ऑपरेशन शुरू किया था। जल्द ही इस प्लेटफॉर्म का विस्तार ऑनलाइन परामर्श, दवाओं की डिलीवरी और हॉस्पिटल मैनेजमेंट सिस्टम्स में हो गया। 2018 के अंत में इस स्टार्टअप ने चिकित्सा बीमा सेवा के क्षेत्र में भी एंट्री की।
उन्होंने बताया,
"हमने पिछले चार हफ्तों में अपने प्लेटफॉर्म पर डॉक्टरों की संख्या 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है, ताकि सेवाओं तक पहुंच और देखभाल की निरंतरता लोगों के लिए चिंता का विषय न बन जाए। इससे ने केवल अस्तपालों में भीड़ कम करने में मदद मिलती है, बल्कि यह चिकित्साकर्मियों को भी सुरक्षित रखने में मदद करता है। जैसे कि मान लीजिए अगर किसी व्यक्ति को पता नहीं है कि वह वायरस से संक्रमित है और वह अस्पताल में चला जाए तो, इससे मेडिकल स्टाफ भी खतरे में आ सकते है। हालांकि अगर वह व्यक्ति टेलीमेडिसिन की सेवा लेता है तो इस स्थिति से बचा जा सकता है।"
यह पूछे जाने पर कि सरकार ने टेलीमेडिसिन को लेकर जो दिशानिर्देश जारी किए उससे क्या मदद मिली है, शंशाक ने बताया कि अधिकतर डॉक्टर मदद करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें यहां बड़ी संख्या में मरीज नहीं दिखते थे। उन्होंने बताया,
''इसके अलावा, पहले टेलीमेडिसिन के लिए कोई दिशानिर्देश नहीं था, तो डॉक्टर पक्का नहीं थे कि यह काम करेगा या नहीं और यह कानूनी रूप से सही भी है या नहीं। दिशानिर्देश आने के बाज डॉक्टर भी अब ऑनलाइन परामर्श को अधिक सहजता से स्वीकार कर रहे हैं।”
टेलीमेडिसिन पिछले एक दशक से अधिक समय से मौजूद है, हालांकि इसके लेकर काफी अनिश्चितताएं थीं। दिशानिर्देशों ने अब काफी स्पष्टता मिली है, जिसकी भारी जरूरत थी। इसने पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर्स (आरएमपी) को रिमोट लोकेशन से परामर्श सेवा देने, साथ ही डिजिटल प्रौद्योगिकी की भूमिका को जन-जन तक पहुंचाने के लिए इसे मान्यता दी है।
टेक टीमें अब अन्य डॉक्टरों और हॉस्पिटल पार्टनर्स को प्रैक्टो के टेलीकंसल्टेशन प्लेटफॉर्म से जुड़ने में सक्षम बना रही हैं, ताकि उनके मरीज अपने क्लीनिक/अस्पतालों का दौरा किए बिना परामर्श ले सकें।
ट्रेनिंग और प्रोडक्ट में बदलाव
शंशाक ने बताया,
“प्रैक्टो के ऑनलाइन परामर्श मंच से जुड़ने वाले सभी डॉक्टरों को एक ट्रेनिंग से गुजरना होता है। ये ट्रेनिंग इंडस्ट्री के सीनियर और अनुभवी डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा तैयार किए गए प्रोटोकॉल और दिशानिर्देशों के आधार पर होता है। हमने सभी डॉक्टरों के लिए कोरोनोवायरस लक्षण-संबंधी ऑनलाइन परामर्शों को संभालने के लिए बने प्रोटोकॉल के आधार पर प्रशिक्षण की व्यवस्था की थी।"
वह कहते हैं कि डॉक्टरों का प्रशिक्षण टेलीमेडिसिन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि उन्हें सिस्टम के साथ भलीभांति परिचित कराने की जरूरत होती है। शंशाक ने बताया कि किसी मरीज को आमने-सामने बैठकर परामर्श देना और वीडियो या चैट के जरिए परामर्श देना, इन दोनों में काफी अंतर है।
उन्होंने बताया,
“हमें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अच्छे डॉक्टरों की जरूरत है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि वे थोड़े समय में तैयार हों जाएं। खासतौर से इस समय में, जब काफी लोग टेलीमेडिसिन को चुन रहे हैं। हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वे बिना किसी रुकावट के बेहतरीन परामर्श हासिल करें।”
एप्लिकेशन में मिथ बनाम फैक्ट, टेस्टिंग सेंटर्स और FAQ आदि जैसे खास सेक्शन है, जहां संक्रमण के बारे में सबसे अधिक प्रासंगिक, ताजा और विश्वसनीय जानकारियां दी जाती हैं।
घर तक सेवाएं पहुंचाना
“हमने अपने उत्पाद के प्रत्येक आयाम को बेहतरीन बनाने में वर्षों का समय बिताया है। इसके चलते रोगियों और डॉक्टरों दोनों के लिए सबसे अच्छे टेलीकंसल्ट अनुभवों में से एक बनाया जा सका। हमारा लक्ष्य यह है कि वास्तविक समय पर बातचीत को सक्षम करके एक व्यक्ति के परामर्श में अनुभव को शानदार बनाया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि मरीजों की सत्यापित डॉक्टर तक पहुंच हो। प्लेटफॉर्म पर ETA काफी कम करीब 60 सेकंड के आसपास है।”
वे बताते हैं कि पिछले कुछ हफ्तों में टेक और इंजीनियरिंग टीमों ने हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स/डॉक्टर के बारे में व्यापक और सटीक जानकारी मुहैया करने के लिए काम किया है, ताकि मरीज इस बारे में बेहतर फैसला कर सके कि उससे किससे परामर्श लेना है।
उन्होंने बताया,
"डॉक्टरों की योग्यता को उनके परामर्श शुल्क के साथ सूचीबद्ध किया गया है ताकि मरीज पहली बार परामर्श/उसके बाद होने वाले परामर्श का विकल्प चुन सकें। यहां तक वे चाहें तो किसी दूसरे डॉक्टर से राय लेने का भी विकल्प चुन सकते हैं।"
प्रैक्टो पर ऑनलाइन डॉक्टर से परामर्श करने के दो तरीके हैं:
1. मरीज चैट सेक्शन में जा सकते हैं, अपने लक्षण दर्ज कर सकते हैं और फिर प्रैक्टो उन्हें उन डॉक्टरों की सूची देता है, जो उनकी समस्यों से निपटने में विशेषज्ञ हैं।
2. रोगी अपनी पसंद के डॉक्टरों के साथ चैट करना चुन सकते हैं (उदाहरण के रूप में मैंने बेंगलुरु में जीपी का उपयोग किया था, आप कोई भी चुन सकते हैं)।
शशांक कहते हैं,
"हमने मजबूत तकनीकी उपायों और कमजोरियों के लगातार आकलन और पेंट्रेशन टेस्टिंग के जरिए सुरक्षा प्रणालियों को रखा है।"
टेलीमेडिसिन का एक अभिन्न अंग यह भी सुनिश्चित करना है कि अपनी स्वास्थ्य समस्याएं दर्ज कराने के अलावा, दवाओं और लैब टेस्टिंग का भी ऑर्डर दे सकते हैं।
टेलीमेडिसिन को बढ़ाने के साथ, टीम यह सुनिश्चित करती है कि डॉक्टर मंच को इस तरह से समझें कि वे यहां मरीज की बीमारी से जुड़ी पूरी हिस्ट्री देख सकते हैं।
यह मरीज की पूरी यात्रा को मैप करता है। इसमें अप्वाइटमेंट की बुकिंग से लेकर, लैब की तलाश, दूसरे डॉक्टर से सलाह लेने, रोगी अनुभव से जुड़ी प्रतिक्रिया, दवाओं का रिमाइंडर और रोगी के दरवाजे तक दवा पहुंचाना शामिल है।
यह प्लेटफॉर्म फिलहाल 20 से अधिक देशों में मौजूद है। इस पर सालाना करीब 18 करोड़ मरीज आते हैं। इस पर एक लाख से अधिक डॉक्टर मौजूद हैं और करीब 70,000 क्लिनिक व हॉस्पिटल पार्टनर इससे जुड़े हैं।
शशांक बताते हैं,
"उम्मीद है कि हम प्लेटफॉर्म से अधिक डॉक्टरों को जोड़ने और इस पर अधिक यूजर्स को लाने के लिए अपने ऑपरेशन को और तेज करेंगे।"