'डायल कश्मीर' और जानो सबकुछ, कश्मीर के लोगों के लिए पहला एंड्रॉयड ऐप...
23 साल की मेहविश मुश्ताक हकाक की दूसरी नहीं बल्कि पहली होने की ज्वलंत इच्छा ने सुंदर दृश्यों वाली कश्मीर घाटी के लोगों के लिए 2013 में पहला एंड्रॉयड एप विकसित करने के लिए प्रेरित किया।
अपने परिवार के समर्थन से मेहविश ने वो कर दिखाया जो कश्मीर में रहने वाली किसी भी लड़की के लिए करना सोचा भी नहीं जा सकता था। मेहविश कहती हैं, “वे हमेशा से ही मेरे काम का समर्थन करते रहे हैं और उन्होंने मुझे मेरे जुनून का पीछा करने के लिए हमेशा प्रेरित किया – नतीजा डायल कश्मीर ऐप का जन्म हुआ।” मेहविश कहती हैं कि कश्मीर में पहली महिला एप डेवलपर का तमगा मिलना अच्छा लगता है।
श्रीनगर में पली-बढ़ी मेहविश में काफी कम उम्र से ही तकनीकी को लेकर दीवानापन था। वह एक कंप्यूटर साइंस इंजीनियर है और चार लोगों के परिवार में ये सबसे छोटी है। उनके पिता भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत अधिकारी हैं जबकि उनकी माताजी एक गृहिणी हैं। उनके बड़े भाई ने भी इंजीनियरिंग के बाद एमबीए किया और अब दिल्ली में नौकरी करते हैं।
तो उनका ऐप आखिर है किसलिए?
मेहविश कहती हैं, “किसी जरूरी सेवा से संपर्क करने के लिए जरूरी फोन नंबर को तलाशना काफी मुश्किल काम था और मैंने फैसला किया कि अगर मुझे कुछ बनाना होगा तो मैं एक ऐसा डाटाबेस या वर्चुअल येलो पेजेज बनाउंगा जहां हर तरह की जरूरी सेवाओं से संपर्क साधने के लिए फोन नंबर मौजूद होंगे।” घाटी के लोगों के लिए सही समय पर किसी जरूरी सेवा के फोन नंबर तलाशना हमेशा से ही मुश्किल भरा रहा है। मेहविश कहती हैं, “मुझे एक वाकया याद आ रहा है, मुझे किसी जरूरी बात के लिए अपने कजन के लिए स्कूल में फोन करना था, लेकिन मुझे कॉन्टैक्ट नंबर नहीं मिला। मैं जानती हूं कि हर कोई इस तरह की समस्या से दो-चार होते हैं, और यहीं से मुझे इस एप को बनाने का आइडिया आया।” 2013 की सर्दियों में उन्होंने एंड्रॉयड एप्लिकेशन डेवलपमेंट का ऑनलाइन कोर्स पूरा किया। कोर्स के तहत छात्रों को अपना एक ऐप विकसित करना होता है। इस तरह प्रोजेक्ट के तहत ही डायल कश्मीर एप तैयार हुआ। मेहविश को इसके पहले वर्जन को तैयार करने में दो हफ्ते का समय लगा।
मेहविश बताती हैं, “सबसे बड़ी चुनौती उन नंबरों और जानकारियों को हासिल करना था जो मैं अपने ऐप पर डालना चाहती थी। मुझे नहीं पता कि ये एक प्रेरणा थी या नहीं, लेकिन मुझे जिस एक बात ने प्रेरित किया वो ये कि कश्मीर में रहने वालों को इस तरह के एप की बहुत ही जरूरत थी।” कई बार जरूरत के वक्त ऑफिशियल वेबसाइट काम नहीं करती है, और कई बार तो उन वेबसाइट्स पर जरुरत के नंबर ही नहीं होते थे।
डायल कश्मीर पर जो सबसे प्रमुख सेवा मुहैया कराई जाती है वो है जानकारी देना। डायल कश्मीर ऐप में मुख्य तौर पर एक डायरेक्टरी के फीचर्स हैं जहां कश्मीर की जरूरी और व्यापारिक सेवा मुहैया कराने वाली संस्थाओं के फोन नंबर, ई-मेल आईडी और उनके पते हैं। डायरेक्टरी के फीचर्स के अलावा इसमें कई दूसरे फीचर भी हैं, जैसे पिन कोरड का पता लगाएं, रेलवे समय-सारिणी, छुट्टियों की सूची, मुसलमानों की नमाज के समय इत्यादि शामिल हैं।
ऐप की उपयोगिता
उन्होंने जब इस ऐप को लॉन्च किया तो कई लोगों ने इसे काफी फायदेमंद माना। युवा ऐप डेवलपर मेहविश कहती हैं, “एक बार मुझे पता चला कि मेरे इलाके में एक मवेशी की मौत हो गई थी और वहां का एक शख्स इस ऐप के जरिए म्यूनिसिपल प्रशासन तक पहुंचा और मवेशी के शव को वहां से हटाने में कामयाब हुआ। जब इस तरह की चीजें होती हैं तो अच्छा लगता है। ट्रेन का समय देखने या फिर नमाज का वक्त का पता लगाने के लिए लोग इस ऐप की मदद लेते हैं, इस तरह की छोटी-छोटी चीजों में लोगों की मदद कर अच्छा लगता है।”
कश्मीर और ऐप
ये तो तय है कि वक्त के साथ घाटी में भी बदलाव आ रहे हैं। मेहविश कहती हैं कि हिंसा और तनाव के अलावा यहां सबकुछ बाकी जगहों जैसा ही है। यह युवा उद्यमी कहती हैं, “मैं ये नहीं कहती कि यहां सबकुछ बिलकुल सही है, लेकिन लोग धीरे-धीरे अच्छे भविष्य की ओर आगे बढ़ रहे हैं।” बदलते समय के साथ यहां के लोगों की जिंदगी में भी प्रौद्योगिकी अपनी जगह बना रही है। पहले जहां बहुत कम लोग तो जो इस तरह का ऐप विकसित कर रहे थे, अब कई सारे लोग सामने आ रहे हैं और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से लोगों की मदद कर रहे हैं। मेहविश अपने एप में कई नई सेवाएं और फीचर्स जोड़ना चाहती हैं। मेहविश को जब भी वक्त मिलता है वो फिल्मे देखना, सीरियल्स देखना और सोशल नेटवर्किंग पर चैट करने जैसे अपने शौक को पूरा करती हैं।