Brands
YSTV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory
search

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

ADVERTISEMENT

2021 की यूनिकॉर्न कंपनियां: गुड ग्लैम ग्रुप ने जुटाए 15 करोड़ डॉलर, बनी इस साल की 35वीं यूनिकॉर्न कंपनी

2021 की यूनिकॉर्न कंपनियां: गुड ग्लैम ग्रुप ने जुटाए 15 करोड़ डॉलर, बनी इस साल की 35वीं यूनिकॉर्न कंपनी

Friday November 19, 2021 , 35 min Read

और इसी के साथ गिनती शुरू हो जाती है, खासतौर से अगर आप भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम से उभरने वाले यूनिकॉर्न की अनुमानित संख्या ट्रैक कर रहे हैं तो।


साल 2021 के पहले दस महीने में ही भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम ने 34 नई कंपनियां 1 अरब डॉलर वैल्यूएशन को हासिल करने वाली प्रतिष्ठित क्लब में शामिल हो गई हैं। देश इन सभी यूनिकॉर्न की उपलब्धि पर उत्साहित है। इन यूनिकॉर्न में शामिल हैं- डिजिट इंश्योरेंस (इंश्योरटेक कंपनी), इनोवैसर (हेल्थटेक), फाइव स्टार फाइनेंस (एनबीएफसी), मीशो (सोशल कॉमर्स), इंफ्रा.मार्केट (बी2बी ईकॉमर्स), क्रेड (फिनटेक), फार्मईजी (हेल्थटेक), ग्रो (फिनटेक), गपशप (कन्वर्सेशनल मैसेजिंग), मोहल्ला टेक (सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म शेयरचैट और Moj की पैरेंट कंपनी), चार्जबी (SaaS), अर्बन कंपनी (होम सर्विसेज मार्केटप्लेस), मोग्लिक्स (बी2बी कॉमर्स), जीटा (फिनटेक), ब्राउजरस्टैक (SaaS), ब्लैकबक (लॉजिस्टिक्स), ड्रूम (ऑटोमोबाइल) , ऑफबिजनेस (बी2बी कॉमर्स), भारतपे (फिनटेक), माइंड टिकल (सेल्स इनब्लेमेंट), अपग्रेड (उच्च शिक्षा), कॉइनडीसीएक्स (यूनिकॉर्न स्टेटस हासिल करने वाला पहला भारतीय क्रिप्टो स्टार्टअप), एरुडिटस (एडटेक), जेटवर्क (बी2बी मैन्युफैक्चरिंग), ग्रोफर्स (ऑनलाइन ग्रॉसरी), मोबाइल प्रीमियर लीग (ईस्पोर्ट्स गेमिंग), अपना (जॉब और प्रोफेशनल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म), वेदांतु (एडटेक), लीशियस (D2C फ्रेश मीट ब्रांड), कॉइनस्विच कुबेर (क्रिप्टो स्टार्टअप), रिबेल फूड्स (क्लाउड किचन स्टार्टअप), कारदेखो (ऑटोटेक स्टार्टअप), मोबिक्विक (फिनटेक) और ACKO इंश्योरेंस (इंश्योरटेक कंपनी)। और अब नवीनतम द गुड ग्लैम ग्रुप (कंटेंट कॉमर्स)। इनके अलावा गुड ग्लैम ग्रुप अब देश की 35वीं यूनिकॉर्न बन गई है, जो एक कंटेंट कॉमर्स कंपनी है।


2021 की शुरुआत के साथ ही कई रिसर्च फर्मों और इंडस्ट्री के एक्सपर्ट ने यह अनुमान जताया था भारत में इस साल यूनिकॉर्न की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी। इससे पहले NASSCOM की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि 2021 के समाप्त होने से पहले भारत में 50 यूनिकॉर्न हो सकते हैं।


2020 में जब भारतीय अर्थव्यवस्था पर कहर बरपाने वाली महामारी का गहरा साया था, तब भी 11 स्टार्टअप ने यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया था। वहीं PhonePe, फ्लिपकार्ट से अलग होने के बाद एक स्वतंत्र बिजनेस के तौर पर 5.5 अरब डॉलर की वैल्यूएशन पर पहुंच गई। भारत के यूनिकॉर्न क्लब में पहले से ही पेटीएम और जीरोधा जैसे कुछ दिग्गज फिनटेक कंपनियां, मोबोलिटी प्लेयर ओला, फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो और ग्लांस, कार्स24, पोस्टमैन सहित बड़े स्टार्टअप है।

k

बहरहाल, इन नए यूनिकॉर्न ने स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए उम्मीदों को बढ़ाया है। आइए एक नजर डालते हैं 2021 की इन सभी 35 यूनिकॉर्न पर: 

डिजिट इंश्योरेंस

बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप डिजिट इंश्योरेंस कामेश गोयल के दिमाग की उपज है। यह प्लेटफॉर्म टेक्नोलॉजी की मदद से स्व-जांच और ऑडियो क्लेम जैसी स्मार्टफोन-आधारित सेवाएं देकर जनरल इंश्योरेंस खरीदने की प्रक्रिया को सरल बनाता है।

k

करीब 1.9 बिलियन डॉलर के वैल्यू के साथ यूनिकॉर्न क्लब में प्रवेश करने वाली डिजिट इंश्योरेंस 2021 की पहली भारतीय कंपनी है। हालांकि फंडिंग राउंड के जरिए कितना पैसा जुटाया गया, इसका खुलासा नहीं किया गया था, लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि फंडिंग 8.4 करोड़ डॉलर और 1.85 करोड़ डॉलर की दो किस्त में हुई थी। इस राउंड की फंडिंग में ए91 पार्टनर्स, फेयरिंग कैपिटल और टीवीएस कैपिटल फंड्स ने भाग लिया था।


2016 में अपनी स्थापना के बाद से, डिजिट इंश्योरेंस ने अब तक कुल 24.45 करोड़ डॉलर जुटाए हैं। कंपनी खुद के मुनाफे में होने का दावा करती है, जिसने वित्त वर्ष 2021 की सभी तीनों तिमाहियों में मुनाफा दर्ज किया है। साथ ही अप्रैल 2020 से दिसंबर 2020 के बीच कंपनी 31.9 प्रतिशत बढ़ी है और इस दौरान इसने 18.6 करोड़ डॉलर का प्रीमियम अर्जित किया। स्टार्टअप 1.5 करोड़ कस्टमर बेस होने का दावा करता है। 


कंपनी ने अपनी अब तक की यात्रा में कुछ प्रमुख उपलब्धियां हासिल की हैं:


जनवरी 2021: 8.4 करोड डॉलर जुटाए / सीरीज अज्ञात


अगस्त 2020: SME के लिए एक ऑनलाइन DIY इंश्योरेंस एडवाइजरी टूल लॉन्च किया


फरवरी 2020: अभिनेत्री अनुष्का शर्मा और भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली इन्वेस्टर कंसोर्टियम में शामिल हुए


नवंबर 2019: एशिया की सर्वश्रेष्ठ जनरल इंश्योरेंस कंपनी ऑफ द ईयर का खिताब हासिल कियाजून 2019: 5 करोड़ डॉलर जुटाए / सीरीज अज्ञात


जुलाई 2018: 4.5 करोड़ डॉलर जुटाए / सीरीज अज्ञात


जुलाई 2018: 7.28 करोड़ डॉलर में ITI पुनर्बीमा लिमिटेड का अधिग्रहण किया


जून 2017: 4.7 करोड़ डॉलर जुटाए / सीरीज अज्ञात 

इनोवैसर (Innovaccer)

इस हेल्थटेक कंपनी को 2014 में संदीप गुप्ता, अभिनव शशांक और कनव हसीजा ने मिलकर शुरू किया था। यह YourStory 2015 Tech30 लिस्ट में शामिल रही है। हाल ही में एक आयोजित एक फंडिंग राउंड में इसकी वैल्यू 1.3 अरब डॉलर लगी। इस फंडिंग राउंड की अगुआई टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट ने की थी।

k

कंपनी के मौजूदा निवेशक स्टीडव्यू कैपिटल, ड्रैगनियर, बी कैपिटल ग्रुप, मुबाडाला कैपिटल, और M12 (माइक्रोसॉफ्ट का वेंचर फंड) के साथ नए निवेशक ओमर्स ग्रोथ इक्विटी ने भी इस फंडिंग राउंड में भाग लिया था।


हालांकि फंडिंग की राशि का खुलासा नहीं किया गया, लेकिन इसके करीब 105 मिलियन डॉलर होने का अनुमान है। इससे पहले, स्टार्टअप ने इस साल फरवरी में अपने सी सीरीज की फंडिंग के तहत 70 मिलियन डॉलर जुटाए थे।


2014 में अपनी स्थापना के बाद से, कंपनी ने लगभग 229.1 मिलियन डॉलर जुटाए हैं।


इनोवैसर ने अपनी अब तक की यात्रा में कुछ प्रमुख उपलब्धियां हासिल की हैं:


फरवरी 2021: 105 मिलियन डॉलर जुटाए/ सीरीज डी फंडिंग


फरवरी 2021: NCQA PHM प्रीवैलिडेशन अर्जित किया


अक्टूबर 2020: बेहतर कोडिंग सटीकता के लिए एक रिस्क एडजस्टेड सॉल्यूशंस लॉन्च किया


फरवरी 2020: 70 मिलियन डॉलर जुटाए/सीरीज सी फंडिंग


जून 2019: 2019 मेडटेक ब्रेकथ्रू अवार्ड्स में "सर्वश्रेष्ठ हेल्थकेयर बिग डेटा प्लेटफॉर्म" के रूप में सम्मानित किया गया


फरवरी 2019: HIMSS19 में अपना AI-आधारित डेटा एक्टिवेशन प्लेटफॉर्म लॉन्च किया


जनवरी 2019: 11 मिलियन डॉलर जुटाए/सीरीज बी फंडिंग


मई 2018: 25 मिलियन डॉलर जुटाए/सीरीज बी फंडिंग


जुलाई 2016: 15.6 मिलियन डॉलर जुटाए/सीरीज ए फंडिंग


अक्टूबर 2015: योरस्टोरी की टेक30 लिस्ट में बाजार में तहलका मचाने वाले 30 सबसे जबरदस्त भारतीय स्टार्टअप्स के रूप में पहचान मिली


मई 2015: 2.5 मिलियन डॉलर जुटाए/सीड फंडिंग

फाइव स्टार बिजनेस फाइनेंस

छोटे बिजनेसों को कर्ज मुहैया कराने वाली फाइव स्टार बिजनेस फाइनेंस ने इस साल 1.4 बिलियन डॉलर के वैल्यूएशन पर 234 मिलियन डॉलर जुटाए है। इस फंडिंग राउंड की अगुआई मौजूदा निवेशकों सिकोइया कैपिटल इंडिया ने किया। इसके अलावा इसमें नॉरवेस्ट वेंचर पार्टनर्स, केकेआर, टीवीएस कैपिटल ने भी हिस्सा लिया।

k

कंपनी में यह निवेश प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों तरह के शेयरों की बिक्री से हुआ। सेंकेडरी शेयर के तहत कंपनी के मौजूदा निवेशक मॉर्गन स्टेनली प्राइवेट इक्विटी ने अपने शेयर बेचे। कंपनी के अन्य मौजूदा निवेशक- मैट्रिक्स पार्टनर्स और टीपीजी कैपिटल ने कंपनी में अपना निवेश बनाए रखा है।


यह लेंडर इस पूंजी का इस्तेमाल अपने लेंडिंग बिजनेस को बढ़ाने पर करने पर विचार कर रही है, जिससे देश के छोटे उद्योगों के लिए बेहद जरूरी फंडिंग सॉल्यूशंस को मुहैया कराया जा सके। छोटे उद्योग में देश की अर्थव्यवस्था का एक काफी बड़ा और बढ़ता हुआ सेगमेंट शामिल है।


फाइव स्टार बिजनेस फाइनेंस की देश के सेंट्रल और साउथ इलाकों में फैले करीब 8 राज्यों में उपस्थित है। स्टार्टअप के इन राज्यों में कुल 262 शाखाएं हैं। 31 दिसंबर, 2020 तक कंपनी का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 4,030 करोड़ रुपये था और इसका GNPA 1.29 प्रतिशत था। 

मीशो

k

Vidit Aatrey, Founder and CEO, Meesho

सोशल कॉमर्स प्लेटफॉर्म मीशो इस हफ्ते की शुरुआत में सॉफ्टबैंक विजन फंड-2 की अगुआई वाले एक नए फंडिंग राउंड में 300 मिलियन डॉलर जुटाकर यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गया। कंपनी का वैल्यूएशन अब 2.1 बिलियन डॉलर है।


इस राउंड में मौजूदा निवेशकों प्रोसस वेंचर्स, फेसबुक, शुनवेई कैपिटल, वेंचर हाईवे और नॉलवुड इन्वेस्टमेंट की भागीदारी भी देखी गई। इस फंडिंग के साथ, स्टार्टअप की योजना 100 मिलियन छोटे उद्योगों के लिए सिंगल डिजिटल इकोसिस्टम बनाने की है।


मीशो जिन छोटे व्यवसायों को टारगेट कर रहा है, उनमें महिला उद्यमियों और होमप्रेन्योर्स के स्वामित्व और संचालन वाले व्यक्तिगत व्यवसाय शामिल हैं, जो मीशो के जरिए मिली मदद से सालों में आर्थिक रूप से स्वतंत्र और सफल हुए हैं और अपनी खुद की पहचान बनाई है। 

इंफ्रा.मार्केट (Infra.Market)

k

एक B2B कॉमर्स कंपनी है। हाल ही में इसने टाइगर ग्लोबल की अगुआई वाले C-सीरीज फंडिंग राउंड में 100 मिलियन डॉलर जुटाए। मौजूदा निवेशकों नेक्सस वेंचर पार्टनर्स, एक्सेल पार्टनर्स, सिस्टेमा एशिया फंड, इवॉल्वेंस इंडिया फंड और फंडामेंटल कैपिटल जीएमबीएच ने भी फंडिंग राउंड में भाग लिया। इस फंडिंग राउंड के साथ ही इंफ्रा.मार्केट का वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर के पार चला गया है।


इंफ्रा.मार्केट को 2016 में सौविक सेनगुप्ता और आदित्य शारदा ने शुरू किया था। यह एक प्रोक्योरमेंट मार्केटप्लेस है जो कंस्ट्रक्शन इकोसिस्टम में मौजूद सभी हितधारकों को प्रोक्योरमेंट से जुड़े एक बेहतर अनुभव मुहैया कराने के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ उठाता है।


कंपनी का टारगेट 140 अरब डॉलर के कंस्ट्रक्शन मटेरियल मार्केट पर है, जिसमें यह इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर खासतौर से फोकस कर रही है। 

क्रेड (CRED)

k

CRED एक बेंगलुरु-मुख्यालय वाली फिनटेक स्टार्टअप है, जिसे कुणाल शाह ने शुरू किया था। कंपनी ने हाल ही में अपनी डी सीरीज की फंडिंग पूरा किया है, जिसमें उसने 215 मिलियन डॉलर जुटाए थे। इस फंडिंग राउंड के दौरान कंपनी की वैल्यूएशन 2.2 अरब डॉलर लगी थी, जिसके साथ ही यह एक यूनिकॉर्न में बदल गई।


CRED ने पिछली बार जनवरी 2020 में 800 मिलियन डॉलर के वैल्यूएशन पर सीरीज C फंडिंग राउंड के तहत 86 मिलियन डॉलर जुटाने की घोषणा की थी।


हालांकि फंडिंग राउंड के पूरा होने के साथ उसकी वैल्यूएशन तीन गुना बढ़ गई। डी सीरीज की फंडिंग राउंड के दौरान सबसे बड़ा निवेश एक नए इनवेस्टर- फाल्कन एज कैपिटल ने किया। इसके अलावा मौजूदा निवेशक कोट्यू मैनेजमेंट ने इस राउंड में निवेश किया। यह भी कहा कि गया इनसाइट पार्टनर्स ने भी इस फंडिंग राउंड में हिस्सा लिया था।

फार्मईजी (PharmEasy)

k

PharmEasy एक डिजिटल हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म है, जिससे देश भर के करीब 16,000 पिन कोड में 60,000 से अधिक ऑफलाइन फार्मेसियों और 4,000 डॉक्टरों को जुड़ हैं। यह फार्मेसी या मेडिकल स्टोरों से उत्पाद की खरीद को आसान बनाने के लिए यह पूरी सप्लाई चेन का डिजिटलीकरण करता है।


PharmEasy, मेडिकल स्टोरों को SaaS सॉल्यूशंस भी मुहैया कराता है, जिसका वह डिलीवरी और लॉजिस्टिक सपोर्ट के साथ प्रोक्योरमेंट में इस्तेमाल कर सकें। इसके अलावा यह उन्हें करीब 3,000 से अधिक दवा कंपनियों से 200,000 से अधिक तरह के मेडिसिन खरीदने पर क्रेडिट सॉल्यूशंस भी मुहैया कराता है।


कंपनी ने हाल ही में सीरीज ई-राउंड में 350 मिलियन डॉलर जुटाए। इस राउंड में उसकी अनुमानित वैल्यूएशन 1.5 बिलियन लगी, जिससे यह इस साल यूनिकॉर्न क्लब में प्रवेश करने वाला भारत का सातवां स्टार्टअप बन गया। इस फंडिंग राउंड की अगुवाई प्रॉसेस वेंचर्स और टीपीजी ग्रोथ ने की थी।

ग्रो (Groww)

k

ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ग्रो को 2017 में फ्लिपकार्ट के चार पूर्व अधिकारियों - ललित केशरे, हर्ष जैन, नीरज सिंह और ईशान बंसल ने मिलकर शुरू किया था। वर्तमान में, ग्रो के 1.5 करोड़ से अधिक यूजर्स हैं। जून 2020 से इसके प्लेटफॉर्म पर 20 लाख से अधिक नए डीमैट खाते खोले गए हैं। 


स्टार्टअप ने हाल ही में अपने सीरीज डी राउंड के दौरान यूनिकॉर्न क्लब में प्रवेश किया। इस राउंड में इसने टाइगर ग्लोबल की अगुआई में 83 मिलियन डॉलर जुटाए। सिकोइया इंडिया, वाईसी कॉन्टिन्यूइटी, रिबिट कैपिटल और प्रोपेल वेंचर पार्टनर्स जैसे मौजूदा निवेशकों ने भी राउंड में हिस्सा लिया।


ग्रो सरलता और पारदर्शिता पर ध्यान केंद्रित करता है, और इसे एक सलाहकार या 'दोस्त' के रूप में डिजाइन किया गया है। इसका प्लेटफॉर्म इंटेलीजेंट UI और UX से लैस है। यह स्टार्टअप लोगों को बिना किसी पेपरलेस इनवेस्टमेंट की सुविधा मुहैया करता है, जिससे ग्राहकों को ऑनलाइन म्यूचुअल फंड खरीदने और बेचने की सुविधा मिलती है। 


यह स्टार्टअप इमेज प्रोसेसिंग जैसी तकनीक का उपयोग करता है, जो मशीन लर्निंग मॉडल का उपयोग करता है। यह मैन्युअल वर्कफ्लो को ऑटोमेटिक करने, गलतियों को कम करने और पूरी प्रक्रिया के दौरान यूजर्स की आसानी को बढ़ाने में मदद करता है। 

गपशप (Gupshup)

k

गपशप, सिलिकॉन वैली मुख्यालय वाली एक कन्वर्सेशनल मैसेजिंग टेक स्टार्टअप है, जिसके को-फाउंडर आईआईटी-बॉम्बे के पूर्व छात्र बीरुद शेठ है। Gupshup का लक्ष्य ऐसे टूल बनाना है जो व्यवसायों को मोबाइल मैसेजिंग और कन्वर्सेशनल एक्सपीरियंस के जरिए ग्राहकों से बेहतर ढंग से जुड़ने में मदद करता है।


हाल ही में इसने टाइगर ग्लोबल की अगुवाई वाले एक फंडिंग राउंड में 1.4 बिलियन डॉलर के वैल्यूएशन पर 100 मिलियन डॉलर जुटाए और यूनिकॉर्न क्लब में प्रवेश किया।


गपशप के अनुसार, इसका एपीआई 100,000 से अधिक डेवलपर्स और व्यवसायों को मैसेजिंग और कन्वर्सेशनल अनुभव बनाने में सक्षम बनाता है और इसके बनाए 30 से अधिक मैसेजिंग चैनलों में प्रति माह छह बिलियन से अधिक मैसेज डिलीवर होते हैं। 

ShareChat (शेयरचैट)

k

शेयरचैट, भारतीय भाषाओं पर आधारित एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है, जिसकी पैरेंट कंपनी मोहल्ला टेक है। मोहल्ला टेक, Moj नाम के शॉर्ट वीडियो ऐप की भी मालिक है। शेयरचैट ने कुछ हफ्ते पहले बताया था कि उसने लाइटस्पीड वेंचर्स और टाइगर ग्लोबल की अगुआई वाले एक लेटेस्ट फंडिंग राउंड में 502 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। इस फंडिंग राउंड में स्नैप इंक, ट्विटर और इंडिया क्वोशंट सहित अन्य निवेशकों ने भाग लिया था। इस दौर के साथ, यह सोशल मीडिया स्टार्टअप अब एक यूनिकॉर्न बन गया है, जिसकी वैल्यूएशन 2.1 बिलियन डॉलर है।


शेयरचैट ने बताया कि वह इस फंड का इस्तेमाल अपने यूजर्स बेस को बढ़ाने और विश्व स्तरीय ऑर्गनाइजेशन बनने के लिए करेगा। यह अपने क्रिएटर कम्युनिटी, एआई-पावर्ड रिकमेंडेशन इंजन और प्लेटफॉर्म हेल्थ को मजबूत करने पर भी विचार कर रहा है। 

चार्जबी (Chargebee)

k

राजारामन संथानम, त्यागराजन थियागु, सरवनन केपी (CTO), कृष सुब्रमण्यम (CEO), Co-Founders, Chargebee (फोटो: Chargebee Website)

2011 में चार दोस्तों - राजारामन संथानम, त्यागराजन थियागु, सरवनन केपी (CTO), कृष सुब्रमण्यम (CEO) ने मिलकर शुरू किया था। चार्जबी का प्रोडक्ट, बिलिंग और रेवेन्यू ऑपरेशंस की जटिल चुनौतियों को ऑटोमेट करता है, जिसका सामना एक सब्सक्रिप्शन बिजनेस को बड़े उद्योग में बदलने के दौरान करना पड़ता है। इसके अलावा यह अहम रिपोर्ट्स, मैट्रिक्स और सब्सक्रिप्शन बिजनेस पर अहम जानकारियां भी मुहैया कराता है।


सैन फ्रांसिस्को मुख्याल वाले इस SaaS स्टार्टअप ने हाल ही में सीरीज जी फंडिंग के तहत 125 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। इस फंडिंग राउंड की अगुआई नए निवेशक नीलमणि वेंचर्स ने की। मौजूदा निवेशकों टाइगर ग्लोबल और इनसाइट वेंचर पार्टनर्स के साथ-साथ एक अन्य मौजूदा निवेशक, स्टीडव्यू कैपिटल ने भी इस फंडिंग राउंड में भाग लिया।


चार्जबी का वैल्यूएशन अब 1.4 बिलियन डॉलर है, और छह महीने से भी कम समय में इसके वैल्यूएशन तीन गुना हो गया है।


कंपनी ने हाल ही में यूरोप के लिए उपयोग-आधारित बिलिंग और एक समर्पित डेटा केंद्र जैसी एंटरप्राइज-कैटेगरी की क्षमताओं को सामने लाया है। 

अर्बन कंपनी (Urban Company)

क

अर्बन कंपनी के को-फाउंडर्स: अभिराज, राघव और वरुण

होम सर्विसेज मार्केटप्लेस स्टार्टअप अर्बन कंपनी ने प्रोसस की अगुआई वाले नवीनतम फंडिंग राउंड में 188 मिलियन डॉलर जुटाए। अर्बन कंपनी की इस फंडिंग राउंड में दो नए निवेशकों - DF इंटरनेशनल और वेलिंगटन मैनेजमेंट ने भी हिस्सा लिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान स्टार्टअप की वैल्यू करीब 2 अरब डॉलर आंकी गई।


रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (RoC) के मुताबिक, अर्बन कंपनी ने 2,613 इक्विटी शेयर और 50,490 कंपलसरी कनवर्टेबल प्रेफरेंस शेयर्स (CCPS) जारी किए। इस नए फंडिंग राउंड के बाद अर्बन कंपनी भी प्रतिष्ठित यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गया है क्योंकि 2019 में एक फंडिंग राउंड के दौरान इसकी वैल्यू लगभग 933 मिलियन डॉलर थी।


पहले अर्बनक्लैप के नाम से जानी जाने वाली अर्बन कंपनी में टाइगर ग्लोबल, एक्सेल, और एलिवेशन कैपिटल (जिसे पहले SAIF पार्टनर्स के नाम से जाना जाता था) जैसे दिग्गज निवेशकों ने निवेश किया हुआ है। रतन टाटा और कल्याण कृष्णमूर्ति इसके प्रमुख एंजेल निवेशकों में से हैं।


अर्बन कंपनी के नवीनतम फंडिंग दौर के बाद इसके तीनों को-फाउंडरों - अभिराज सिंह भाल, वरुण खेतान और राघव चंद्र की संयुक्त हिस्सेदारी घटकर 24.66 प्रतिशत तक आ गई।

मोग्लिक्स (Moglix)

क


नोएडा मुख्यालय वाली बी2बी इंडस्ट्रियल गुड्स ईकॉमर्स मार्केटप्लेस मोग्लिक्स ने पिछले महीने ऐलान किया कि उसने फाल्कन एज कैपिटल और हार्वर्ड मैनेजमेंट कंपनी (एचएमसी) के अगुआई वाले सीरीज ई राउंड में 120 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। टाइगर ग्लोबल, सिकोइया कैपिटल इंडिया और वेंचर हाईवे सहित दूसरे मौजूदा निवेशकों ने भी इस राउंड में भाग लिया।


मोग्लिक्स इस फंडिंग राउंड के साथ मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री का पहला बी2बी इंडस्ट्रियल गुड्स ईकॉमर्स मार्केटप्लेस बन गया है, जिसने यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया है।


इस नए फंडिंग में जुटाए राशि को लेकर Moglix अब तक करीब 220 मिलियन डॉलर तक जुटा चुकी है।


फ्लिपकार्ट के सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति, जेके फेनर के एमडी विक्रमपति सिंघानिया, गूगल के पूर्व एग्जिक्यूटिव शैलेश राव जैसे स्टार्टअप और मैन्युफैक्चरिंग कम्युनिटी के कई दिग्गज मोग्लिक्स में निवेशक रहे हैं।


मोग्लिक्स को IIT कानपुर और ISB के पूर्व छात्र राहुल गर्ग ने 2015 में शुरू किया था। इसका मकसद मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की सप्लाई चेन को डिजिटल में बदलना है। यह भारत, सिंगापुर, यूके और यूएई में 500,000 से अधिक छोटे और मझोले उद्योगों और 3,000 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स को सॉल्यूशंस मुहैया कराता है। 

जीटा (Zeta)

क


जीटा एक बैंकिंग टेक स्टार्टअप है। हाल ही में इसने सीरीज सी फंडिंग राउंड के दौरान 250 मिलियन डॉलर जुटाए है। इस राउंड में सबसे अधिक निवेश जापान की दिग्गज इनवेस्टमेंट फर्म सॉफ्टबैंक विजन फंड-2 ने किया। फंडिंग राउंड के दौरान जीटा की वैल्यूएशन 1.45 बिलियन डॉलर लगाई और इसी के साथ यह एक यूनिकॉर्न कंपनी बन गई।


फ्रांस मुख्यालय वाली फूड सर्विस कंपनी सोडेक्सो ने भी फंडिंग राउंड में एक अतिरिक्त माइनॉरिटी निवेशक के रूप में भाग लिया। एवेंडस कैपिटल इस राउंड में फाइनेंशियल एडवाइज की भूमिका में था।


भाविन तुरखिया और रामकी गद्दीपति ने मिलकर 2015 में जीटा का शुरू किया था। यह बैंकिंग स्टार्टअप है, जो एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, इंडसइंड बैंक, यस बैंक, आरबीएल बैंक और एक्सिस बैंक सहित 10 बैंकों और 25 से अधिक फिनटेक फर्मों के साथ काम करता है।


जीटा में करीब 750 कर्मचारी है और इसके ऑफिस अमेरिका, एशिया, यूनाइटेड किंगडम और पश्चिम एशिया में हैं।

ब्राउजरस्टैक (BrowserStack)

ब्राउजरस्टैक एक देसी SaaS (सॉफ्टवेयर एज ए सर्विस) स्टार्टअप है। कंपनी ने 4 अरब डॉलर के वैल्यूएशन पर सीरीज बी फंडिंग राउंड में 200 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। इसके साथ ही साल 2021 में यूनिकॉर्न बनने वाली भारत की 15वां कंपनी बन गई है। यह चार्जबी के बाद साल का दूसरा SaaS यूनिकॉर्न भी है। चार्जबी इसी साल अप्रैल में यूनिकॉर्न कंपनी बनी थी।


फंडिंग राउंड के दौरान सबसे अधिक निवेश बॉन्ड (BOND) ने किया। वहीं इनसाइट पार्टनर्स और मौजूदा निवेशक एक्सेल ने भी इस दौरान हिस्सा लिया। एक्सेल ने साल 2018 में सीरीज ए राउंड के तहत कंपनी में 50 मिलियन डॉलर निवेश किया था। 


ब्राउजरस्टैक की स्थापना रितेश और नकुल अग्रवाल ने 2011 में की थी। यह क्लाउड पर सॉफ्टवेयर टेस्टिंग की कैटेगरी में अग्रणी कंपनी होने का दावा करती है। इसके प्लेटफॉर्म पर 50,000 से अधिक ग्राहकों और 40 लाख से अधिक डेवलपर्स के साइन-अप कर चुके हैं। यह माइक्रोसॉफ्ट, ट्विटर, बार्कलेज, एक्सपीडिया जैसी कई विशाल कंपनियों को सेवाएं मुहैया कराती है और हर दिन अपने 15 ग्लोबल सेंटर्स में 20 लाख से अधिक टेस्ट की क्षमता से लैस है।


स्टार्टअप जुटाई गई रकम का इस्तेमाल रणनीतिक अधिग्रहण करने, डेवलपर्स के लिए उत्पाद की पेशकश का विस्तार करने, दुनिया भर में अपनी क्षमता को बढ़ाने और "इंटरनेट की टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर" बनने के अपने लक्ष्य को पूरा करने में खर्च करने का है।

ब्लैकबक (BlackBuck)

ब्लैकबक एक ऑनलाइन ट्रकिंग प्लेटफॉर्म है। स्टार्टअप ने 1 अरब डॉलर से अधिक के वैल्यूएशन पर 67 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। इस राउंड में सबसे अधिक निवेश ट्राइब कैपिटल, IFC इमर्जिंग एशिया फंड और VEF ने किया था। मौजूदा निवेशकों वेलिंगटन मैनेजमेंट, सैंड्स कैपिटल और इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन ने भी इस राउंड में भाग लिया। 


स्टार्टअप ने कहा कि वह इस फंडिंग का उपयोग बाजार में और आगे बढ़ने और अपने ग्राहकों के लिए नई सेवाओं को लॉन्च करने के लिए करेगा।


कंपनी भारतीय ट्रकिंग इकोसिस्टम के लिए अधिक कुशल माल ढुलाई को सक्षम करने के उद्देश्य से प्रोडक्ट और डेटा साइंस क्षमताओं में भारी निवेश करेगी। 


ब्लैकबक ट्रक ड्राइवरों के लिए फ्लीट ऑपरेशन को डिजिटाइज करता है और एक मार्केटप्लेस को ऑपरेट करता है जो ट्रकों को उनकी क्षमता के मुताबिक वाले लोड्स से मेल कराता है। यह स्टार्टअप अपने प्लेटफॉर्म पर करीब 700,000 ट्रक और 1.2 मिलियन ट्रकों को जोड़ तुका है हैं और हर महीने 15 मिलियन डॉलर से अधिक के ट्रांजेक्शन का दावा करता है।

ड्रूम (Droom)

ड्रूम एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित ऑनलाइन ऑटोमोबाइल मार्केटप्लेस है। एक हालिया फंडिंग राउंड में इसकी वैल्यूएशन 1.2 बिलियन डॉलर आंका गई है, जिसके बाद यह यूनिकॉर्न क्लब में प्रवेश कर गई। कंपनी ने अपने मौजूदा प्री-आईपीओ ग्रोथ फंडिंग राउंड को पूरा कर लिया है और इस दौरान इसने 200 मिलियन डॉलर जुटाए।


इस राउंड में कंपनी के मौजूदा निवेशकों के अलावा, 57 स्टार्स और सेवन ट्रेन वेंचर्स सहित नए निवेशकों ने भाग लिया। यह राउंड वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही के अंत में हुआ था।


ड्रूम एक तकनीक और डेटा साइंस आधारित ऑनलाइन ऑटोमोबाइल मार्केटप्लेस है, जो भारत में ऑटोमोबाइल की खरीद और बिक्री की पेशकश करता है। ड्रूम के प्लेटफॉर्म 1.1 मिलियन से अधिक ऑटोमोबाइल चुनने के लिए हैं। प्लेटफॉर्म पर 20.6 हजार से अधिक ऑटो डीलर्स की 15.7 अरब डॉलर से अधिक मूल्य की इनवेंट्री लिस्ट है। इसकी उपस्थिति 1,105 शहरों में है। 


ड्रूम ने डिजिटल इकोनॉमी को ध्यान में रखकर इस्तेमाल किए गए ऑटोमोबाइल पर आधारित एक पूरा इकोसिस्टम बनाया है। इसमें ऑरेंज बुक वैल्यू (इस्तेमाल किए गए वाहन का कीमत तय करने का सिस्टम | 503 मिलियन से अधिक सवाल), ECO (वाहन में 1,000 से अधिक बिंदुओं की जांच | 150 हजार से अधिक जांच), इतिहास (इस्तेमाल किए वाहनों का ट्रैक रिकॉर्ड | 250 मिलियन से अधिक वाहनों का डेटाबेस), डिस्कवरी (वाहन की खरीद से पहले के दर्जनों रिसर्च टूल), और वित्तीय सेवाएं (लोन और बीमा) शामिल हैं।


कंपनी संभावित आईपीओ के साथ दोहरी रणनीति पर काम कर रही है, जिसके तहत न्यूयॉर्क के स्टॉक एक्सचेंज NASDAQ या भारत में लिस्ट होना शामिल है।


ड्रूम का GMV के लिए मौजूदा सालाना रन-रेट 1.7 अरब डॉलर और शुद्ध राजस्व 54 मिलियन डॉलर है। कंपनी CY2021 में 2 अरब डॉलर के GMV और 65 मिलियन डॉलर से अधिक के शुद्ध राजस्व को छूने के लिए ट्रैक पर है। मौजूदा स्तर, टेक्नोलॉजी आधारित बिजनेस और ऑपरेशन में कुशलता के साथ ड्रूम लगभग मुनाफे को छूने के बराबर है।

ऑफबिजनेस (OfBusiness)

गुरुग्राम मुख्यालय वाली बी2बी स्टार्टअप ऑफबिजनेस ने सॉफ्टबैंक के विजन फंड 2 की अगुआई वाले एक फंडिंग राउंड में 160 मिलियन डॉलर जुटाए और इसी के साथ कंपनी यूनिकॉर्न क्लब में प्रवेश कर गई। स्टार्टअप की तरफ से प्रेस रिलीज के मुताबिक, मौजूदा निवेशक फाल्कन एज कैपिटल ने भी इस दौर में भाग लिया।


फंडिंग के दौरान ऑफबिजनेस की वैल्यूएशन 1.5 अरब डॉलर जुटाई गई, जो इस साल अप्रैल में इसके 800 मिलियन डॉलर के वैल्यूएशन से लगभग दोगुना है। यह ऑटोमोबाइल मार्केटप्लेस ड्रूम और ऑनलाइन ट्रकिंग प्लेटफॉर्म ब्लैकबक के बाद इस साल यूनिकॉर्न बनने वाला 18वां भारतीय स्टार्टअप है।


ऑफबिजनेस का लक्ष्य सितंबर 2021 तक मुनाफे में आने का है। इसके लिए कंपनी ने कॉमर्स में 1.1 बिलियन डॉलर से अधिक के रेवेन्यू रन रेट को हासिल करने का लक्ष्य रखा है। कंपनी साल दर साल चार गुना ग्रोथ का दावा करती है।


B2B कच्चे माल की सप्लाई चेन में संचालन के अलावा, स्टार्टअप इंफ्रास्ट्रक्चर और फूड प्रोसेसिंग, इंजीनियरिंग, भारी मशीनरी जैसे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और कैपिटल गुड्स में भी सेवाएं मुहैया कराती है। 

भारतपे (BharatPe)

फिनटेक स्टार्टअप भारतपे ने 2.85 बिलियन डॉलर के पोस्ट-मनी वैल्यूएशन पर टाइगर ग्लोबल की अगुआई वाले सीरीज ई राउंड में 370 मिलियन डॉलर जुटाए हैं और इसी के साथ यह एक यूनिकॉर्न कंपनी बन गई।


देश के अग्रणी फिनटेक स्टार्टअप्स में गिने जाने वाले भारतपे की स्थापना 2018 में अश्नीर ग्रोवर और शाश्वत नाकरानी ने की थी। इस स्टार्टअप वे काफी तेज ग्रोथ के साथ यूनिकॉर्न क्लब में जगह बनाई है क्योंकि अभी इसकी इस साल फरवरी में आयोजित हुए इसके पिछले फंडिंग राउंड के दौरान इसका वैल्यूएशन 900 मिलियन डॉलर लगा था। 


भारतपे एक कंपनी के रूप में इंटर ऑपरेबल क्यूआर कोड और लोन सेवाएं प्रदान करती है। भारतपे देश के 140 शहरों में 70 लाख से अधिक व्यापारियों को सेवाएं मुहैया करती है। यह 1800 करोड़ रुपये से अधिक के लोन वितरण के साथ 11 करोड़ से अधिक के UPI ट्रांजैक्शन को प्रॉसेस करती है। भारतपे का पॉइंट-ऑफ-सेल (POS) बिजनेस प्रति माह 1400 करोड़ रुपये से अधिक के भुगतान की प्रक्रिया करता है।


भारतपे एक और महत्वाकांक्षी योजना पर आगे बढ़ रही है। हाल ही में इसने सेंट्रम फाइनेंशियल सर्विसेज के साथ साझेदारी में मिलकर संकटों का सामना कर रहे PMC बैंक का अधिग्रहण का ऐलान किया है। RBI भी से इसे एक स्मॉल फाइनेंस बैंक खोलने की सैद्धांतिक मंजूरी पहले ही मिल चुकी है। 

माइंडटिकल (Mindtickle)

पुणे और सैन फ्रांसिस्को में ऑफिस वाली माइंडटिकल एक टेक स्टार्टअप है, जो बिक्री के लिए बिल्कुल तैयार टेक्नोलॉजी मुहैया कराती है। स्टार्टअप ने बताया कि उसने सॉफ्टबैंक विजन फंड 2 की अगुआई वाले सीरीज ई राउंड में 1.2 अरब डॉलर के वैल्यूएशन पर अतिरिक्त 100 मिलियन डॉलर जुटाए हैं।


इस फंडिंग राउंड में मौजूदा निवेशकों - नॉर्वेस्ट वेंचर पार्टनर्स, कनान, न्यूव्यू कैपिटल और क्वालकॉम वेंचर्स की भागीदारी भी देखी गई। माइंडटिकल ने कहा कि उसने अब कुल मिलाकर 281 मिलियन डॉलर जुटाए हैं।


स्टार्टअप की स्थापना 2011 में कृष्णा देपुरा, दीपक दिवाकर और निशांत मुंगली ने की थी। 

अपग्रेड (upGrad)

मुंबई मुख्यालय वाली हायर एजुकेशन स्टार्टअप अपग्रेड ने टेमासेक ($120 मिलियन), IFC ($40 मिलियन), और इंडिया इंफोलाइन फाइनेंस ($25 मिलियन) की अगुआई वाले फंडिंग राउंड में 1.2 बिलियन डॉलर के वैल्यूएशन पर 185 मिलियन डॉलर जुटाए हैं।


इस के साथ ही यह इस साल अगस्त में भारत का तीसरा एडटेक यूनिकॉर्न बन गया। अपग्रेड से पहले , यह BYJU'S और Unacademy एडटेक सेक्टर से यूनिकॉर्न का दर्जा पा चुकी हैं। कुछ रिपोर्ट की मानें तो स्टार्टअप अब 4 बिलियन डॉलर के वैल्यूएशन पर 40 मिलियन डॉलर जुटाने के लिए एक बड़ा फंडिंग राउंड जुटाने के लिए बातचीत कर रहा है।


अपग्रेड के संस्थापक समूह में रॉनी स्क्रूवाला, मयंक कुमार और फाल्गुन कोमपल्ली शामिल हैं और ये कंपनी के 70 प्रतिशत से अधिक के मालिक बने रहेंगे। 

कॉइनडीसीएक्स (CoinDCX)

CoinDCX एक क्रिप्टोएक्सचेंज है। हाल ही इसने फेसबुक के को-फाउंडर एडुआर्डो सेवरिन की अगुआई वाले सीरीज सी फंडिंग राउंड में 90 मिलियन डॉलर जुटाए हैं।


सीरीज सी फंडिंग राउंड ने CoinDCX के वैल्यूएशन को 1.1 बिलियन डॉलर तक बढ़ा दिया, जिससे यह यूनिकॉर्न बनने वाला भारत का पहला क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज बन गया। फंडिंग राउंड में कॉइनबेस वेंचर्स, पॉलीचैन कैपिटल, ब्लॉक.वन, जंप कैपिटल, सहित अन्य अनुभवी और मौजूदा निवेशकों ने भी हिस्सा लिया।


CoinDCX के को-फाउंडर और सीईओ सुमित गुप्ता ने बताया, 'जुटाए गए फंड का इस्तेमाल विस्तार करने (अधिक भारतीयों को क्रिप्टो से जोड़ना/क्रिप्टो को भारतीयों में निवेश के लिहाज से एक लोकप्रिय एसेट बनाना) और हमारे वर्कफोर्स को मजबूत बनाने में किया जाएगा। हम विभिन्न वर्टिकल में लोगों को हायर करेंगे और बिजनेस की नई पहलों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।'


2018 में शुरू हुए CoinDCX का दावा है कि उसके प्लेटफॉर्म पर 35 लाख से अधिक यूजर्स जुड़े हैं। यह अब भारत में क्रिप्टो को सुलभ बनाने और 5 करोड़ भारतीयों को क्रिप्टो में लाने की दिशा में अपने प्रयासों को तेज करने को लेकर कदम बढ़ाएगा। 

एरुडिटस (Eruditus)

एरुडिटस मुंबई मुख्यालय वाला एक एडटेक स्टार्टअप है। यह प्रमुख विश्वविद्यालयों के साथ पार्टनरशिप कर प्रोफेशनल और एजुकेशनल कोर्स ऑफर करता है। स्टार्टअप ने अपने हालिया फंडिंग राउंड के दौरान 3.2 बिलियन के वैल्यूएशन पर 650 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। इसके साथ ही यह यूनिकॉर्न क्लब में प्रवेश कर गई।


एरुडिटस ने 650 मिलियन डॉलर की यह फंडिंग सीरीज ई के राउंड के तहत जुटाई। इस राउंड में सबसे अधिक निवेश एक्सेल (Accel) और सॉफ्टबैंक विजन फंड-2 ने किया। इसके अलावा चैन जुकरबर्ग इनिशिएटिव, सिकोइया इंडिया, बर्टेल्समैन, प्रोसस और लीड्स इल्यूमिनेट जैसे मौजूदा निवेशकों ने भी इस राउंड में हिस्सा लिया।


एरुडिटस ने बताया कि वह फंडिंग से मिले रकम का इस्तेमाल नए पाठ्यक्रम को बनाने, नए प्रोडक्ट और वर्टिकल तैयार करने में करेगी। इसके अलावा कंपनी गवर्नमेंट और एंटरप्राइज जैसे नए वर्टिकल में विस्तार और अधिग्रहण पर भी रकम खर्च करेगी।

जेटवर्क (Zetwerk)

जेटवर्क एक B2B मैन्युफैक्चरिंग स्टार्टअप है। स्टार्टअप ने सीरीज E राउंड में 1.33 बिलियन के वैल्यूएशन पर 150 मिलियन डॉलर जुटाए है। इसके साथ ही यह भी प्रतिष्ठित यूनिकॉर्न कंपनी में शामिल हो गई। कंपनी का दावा है कि वह EBITDA के स्तर पर मुनाफे में है।


फंडिंग राउंड के दौरान सबसे अधिक निवेश न्यूयॉर्क मुख्यालय डी1 कैपिटल ने किया था। वहीं एवेनिर और मुंबई मुख्यालय वाली IIFL एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड नए निवेशकों के रूप में शामिल हुए। सिकोइया कैपिटल, लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर्स और ग्रीनोक्स कैपिटल सहित अन्य मौजूदा निवेशकों ने भी इस राउंड में भाग लिया। बेंगलुरु मुख्यालय वाली जेटवर्क का कहना है कि वह इस रकम का इस्तेमाल रिसर्च एंड डेवलपमेंट, नए भौगोलिक इलाकों में विस्तार और टीम निर्माण पर करेगी।


जेटवर्क के सीईओ और को-फाउंडर अमृत आचार्य ने योरस्टोरी को बताया, "हम इतनी तेजी से बढ़े हैं कि हमें अभी भी अपने सॉफ्टवेयर और अपनी टीम पर काफी काम करना है।"

ग्रोफर्स (Grofers)

क

Albinder Dhindsa, Co-founder, Grofers


ग्रोफर्स ने तब प्रतिष्ठित यूनिकॉर्न क्लब में एंट्री की, जब जोमैटो ने इस ग्रॉसरी डिलीवरी स्टार्टअप में 120 मिलियन डॉलर का निवेश किया। इस साल अगस्त में कंपनी के को-फाउंडर और सीईओ अलबिंदर ढींडसा ने इस डील की पुष्टि की और कहा कि कंपनी ने "आराम से यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल कर किया है।"


दिसंबर 2013 में अलबिंदर ढींडसा और सौरभ कुमार ने गुरुग्राम से ग्रोफर्स को शुरू किया था। इसका लक्ष्य लोकल किराना दुकानों के साथ साझेदारी कर ऑन-डिमांड पिकअप और ड्रॉप-ऑफ सेवाएं देना था, जो इस समस्या की वजह से जूझ रहे थे।


ग्रोफर्स में सॉफ्टबैंक का भी निवेश है। करीब 8 साल पुराने ग्रोफर्स अब एक्सप्रेस डिलीवरी सर्विस पर दांव लगा रही है। 

एमपीएल (MPL)

ईस्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म, मोबाइल प्रीमियर लीग (MPL) ने भी यूनिकॉर्न क्लब में जगह बना ली है। कंपनी ने लेगाटम कैपिटल की अगुआई वाले सीरीज ई फंडिंग राउंड में 2.3 बिलियन डॉलर के प्री-मनी वैल्यूएशन पर फंड जुटाए हैं।


सिकोइया कैपिटल, एसआईजी, आरटीपी ग्लोबल, गो-वेंचर्स, मूर स्ट्रेटेजिक वेंचर्स, प्ले वेंचर्स, बेस पार्टनर्स, टेल्स्ट्रा वेंचर्स और फाउंडर्स सर्कल कैपिटल सहित अन्य मौजूदा निवेशकों ने भी इस फंडिंग राउंड में भाग लिया।


ईस्पोर्ट्स और स्किल गेमिंग वाले इस प्लेटफॉर्म ने हाल ही में अमेरिका में अपना ऑपरेशन शुरू किया है और इंडोनेशिया में इसके ऑपरेशन को दो साल पूरे हो गए हैं। इसके साथ ही यह भारत की इकलौती मोबाइल गेमिंग कंपनी बन गई है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति भी बढ़ रही है। वर्तमान में MPL के प्लेटफॉर्म दुनिया भर 8.5 करोड़ लोग से अधिक यूजर्स हैं।


एमपीएल ने बताया कि वह फंडिंग राउंड में जुटाई रकम का इस्तेमाल इंटरनेशनल मार्केट में विस्तार करने, अपनी घरेलू तकनीक में निवेश करने और भारतीय बाजार में निरंतर विकास को बढ़ावा देने में करेगी।

अपना.को (Apna.Co)

जॉब और प्रोफेशनल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म Apna.Co ने टाइगर ग्लोबल की अगुआई वाले सीरीज सी फंडिंग में करीब 100 मिलियन डॉलर हासिल किए हैं। इस राउंड के दौरान ऑउल वेंचर्स, इनसाइट पार्टनर्स, सिकोइया कैपिटल इंडिया, मावेरिक वेंचर्स और जीएसवी वेंचर्स ने भी हिस्सा लिया था।


इस फंडिंग राउंड के साथ ही अपना का कुल वैल्यूएशन 1.1 अरब डॉलर पहुंच गया, जिससे यह यूनिकॉर्न बन गया।


इस स्टार्टअप का उद्देश्य बेरोजगारी, गरीबी और अपस्किलिंग की विशाल चुनौतियों को स्थायी रूप से हल करना है।


फंडिंग राउंड में मिली रकम को कंपनी उन 28 शहरों में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करने के लिए करेगी, जहां इसकी सेवाएं चालू हैं। इसके अलावा भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी लाने में मदद करने के लिए 2021 के अंत देश भर में अपने विस्तार पर काम करेगी।


अपना ने स्किलिंग के लिए अपने एडटेक प्लेटफॉर्म को दोगुना करने, अच्छी प्रतिभाओं को हायर करने और विश्व स्तरीय इंजीनियरिंग और उत्पाद क्षमताओं के निर्माण में निवेश करने की भी योजना बनाई है। यह 2022 में अमेरिका, दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका जैसे नए बाजारों में प्रवेश करके एक ग्लोबल स्टार्टअप बनने की योजना बना रहा है। 

वेदांतु (Vedantu)

क

The founders of Vedantu

लाइव ऑनलाइन ट्यूशन सर्विस मुहैया कराने वाली एडटेक स्टार्टअप वेदांतु ने बताया कि उसने सिंगापुर स्थित इम्पैक्ट इन्वेस्टमेंट फंड एबीसी वर्ल्ड एशिया की अगुआई वाले सीरीज ई फंडिंग में 100 मिलियन डॉलर जुटाए हैं।


इस फंडिंग राउंड में मौजूदा निवेशकों - Coatue, टाइगर ग्लोब, GGV कैपिटल और वेस्टब्रिज ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया।


फंडिंग के इस ताजा राउंड के बाद, वेदांतु का वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर पहुंच गया, जिससे यह यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गई।


कंपनी फंडिंग में मिली रकम का इस्तेमाल मुख्य रूप से प्रोडक्ट इंजीनियरिंग फंक्शन्स को मजबूत करने के और ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक दोनों मार्गों के जरिए नई कैटेगरी में विस्तार करने में करेगी।

लीशियस (Licious)

लीशियस ताजा मीट की ऑनलाइन डिलीवरी करने वाला स्टार्टअप है। इसने हाल ही यूनिकॉर्न क्लब में जगह बनाई है।


बेंगलुरु मुख्यालय वाले इस स्टार्टअप ने IIFL AMC के लेट-स्टेज टेक फंड के अगुआई वाले सीरीज जी राउंड में 52 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। इस राउंड में लीशियस की वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर लगी।


इस बारे में बताते हुए लीशियस के कोफाउंडर्स- विवेक गुप्ता और अभय हंजुरा ने कहा,

"डी2सी सेक्टर में पिछले कुछ समय से फंडिंग गतिविधियां तेज हुई है। हालांकि अभी भी इसमें FMCG को आकर्षक कैटेगरी नहीं माना जाता है। हम उम्मीद करते हैं कि लीशियस के यूनिकॉर्न बनने के बाद इस स्थिति में बदलाव आएगा। ताजा मांस और सीफूड सेक्टर अभी भी काफी हद तक वंचित और असंगठित है, जिसमें करीब 40 बिलियन डॉलर तक का विशाल मौका है।"


उन्होंने कहा, "इंडस्ट्री की अग्रणी कंपनी होने के नेता हमारा लक्ष्य दूसरे नए स्टार्टअप के लिए रास्ता तैयार करना भी है, दो इंडस्ट्री की पेशकश की क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने में हाथ मिला सकते हैं।"


लक्ष्य युवा स्टार्टअप की दूसरी लहर के लिए मार्ग प्रशस्त करना है जो उद्योग की पेशकश की क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने में हाथ मिला सकते हैं। हम टेक्नोलॉजी,सप्लाई चेन, प्रोडक्ट में इनोवेशन, टैलेंट और वेंडर पार्टनर अपग्रेड में निवेश के जरिए कैटेगरी का निर्माण जारी रखेंगे।"

कॉइन स्विच कुबेर (CoinSwitch Kuber)

भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइन स्विच कुबेर ने सीरीज सी राउंड की फंडिंग में 260 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। इस राउंड में आंद्रेसेन होरोविट्ज़ (a16z), कॉइनबेस वेंचर्स और पैराडिग्म, रिबिट कैपिटल, सिकोइया, कैपिटल इंडिया जैसे मौजूदा निवेशकों ने भी निवेश किया।


कॉइन स्विच कुबेर, यूनिकॉर्न क्लब में प्रवेश करने वाला दूसरा भारतीय क्रिप्टो स्टार्टअप है। इससे पहले अगस्त 2021 में CoinDCX ने पहली भारतीय क्रिप्टो स्टार्टअप के तौर पर यूनिकॉर्न क्लब में जगह बनाई थी। CoinSwitch अपनी स्थापना के बाद अब तक करीब 300 मिलियन डॉलर जुटा चुकी है। 


a16z एक ग्लोबल स्तर की दिग्गज वेंचर कैपिटल फर्म है। इस फर्म को साहसी टेक उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। यह कॉइनबेस की शुरुआती निवेशकों में से एक हैं, जिसने क्रिप्टो इकॉनमी को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई और आज वह दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंजों में से एक है।


सीरीस सी से जुटाए फंड का इस्तेमाल कंपनी अपने प्लेटफॉर्म पर 50 मिलियन यूजर्स को जोड़ने, लेंडिंग और स्टेकिंग जैसे नए क्रिप्टो प्रोडक्ट को लॉन्च करने, अच्छे टैलेंट हायर करने, नए एसेट क्लास को जोड़ने, संस्थागत निवेशकों / ग्राहकों को जोड़ने, एक इकोसिस्टम फंड लॉन्च करने और क्रिप्टो जागरूकता पर खर्च करने की तैयारी में है।

रिबेल फूड्स (Rebel Foods)

क्लाउड किचन स्टार्टअप रिबेल फूड्स भी साल 2021 में यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गई। स्टार्टअप ने कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (QIA) की अगुआई वाले सीरीज F फंडिंग के तहत 175 मिलियन डॉलर जुटाए है। इस राउंड में कोट्यू और इवॉल्वेंस जैसे मौजूदा निवेशकों ने भी 1.4 अरब डॉलर के वैल्यूएशन पर रिबेल फूड्स में निवेश किया।


रिबेल फूड्स करीब ग्लोबल स्तर पर 10 देशों के 60 से अधिक शहरों में 450 से अधिक किचन चलाती है, जिसमें फासोस, बेहरोज बिरयानी और ओवनस्टोरी पिज्जा जैसे प्रमुख ब्रांड शामिल हैं।


भारत के बाहर, रिबेल फूड्स की उपस्थिति इंडोनेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम, सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड, हांगकांग, फिलीपींस और बांग्लादेश में है।


फंड जुटाने के साथ, रिबेल फूड्स ने कहा कि वह इंटरनेशनल मार्केट में अपनी उपस्थिति बढ़ाने, अपनी तकनीक में सुधार करने और ब्रांड अधिग्रहण पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेगी। 

कारदेखो (CarDekho)

k


कारदेखो, जयपुर-मुख्यालय वाली एक ऑटोमोबाइल क्लासीफाइड्स प्लेटफॉर्म है। हाल ही में इस अपने प्री-आईपीओ राउंड में 250 मिलियन डॉलर का फंड जुटाया है, जिसमें 200 मिलियन डॉलर सीरीज E इक्विटी की फंडिंग और 50 मिलियन डॉलर का कर्ज शामिल है।


इस फंडिंग राउंड के दौरान कारदेखो की वैल्यूएशन 1.2 अरब डॉलर पहुच गई और यह एक यूनिकॉर्न कंपनी बन गई। साथ ही जयपुर, राजस्थान मुख्यालय वाली पहली यूनिकॉर्न है।


ताजा फंडिंग राउंड में सबसे अधिक निवेश लीपफ्रॉग इन्वेस्टमेंट्स ने किया था, जो एक ग्लोबल इम्पैक्ट इनवेस्टर्स है, जिसका फोकस वित्तीय सेवाओं और हेल्थकेयर सर्विस पर रहता है। लीपफ्रॉग लाखों नए उभरते उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण और किफायती दरों पर वाहन, बीमा और फाइनेंस मुहैया करने की कारदेखो की योजना का समर्थन करेगा। आवाजाही के बेहतर साधन हेल्थकेयर, एजुकेशन और रोजगार के मौकों को बढ़ाने वाली भी साबित हुई है।


अमेरिका आधारित कैन्यन पार्टनर्स, मिराए एसेट और हार्बर स्प्रिंग कैपिटल जैसे नए निवेशकों ने भी इस राउंड में भाग लिया। इसके अलावा सिकोइया कैपिटल इंडिया और सनली हाउस जैसे के मौजूदा निवेशकों ने भी अपने निवेश को इस राउंड में बढ़ाया।


यह कारदेखो द्वारा अब तक का सबसे बड़ा फंडिंग राउंड था और इससे मिली राशि का इस्तेमाल सेकेंड-हैंड कारों के लेनदेन, वित्तीय सेवाओं और बीमा बिजनेस में ग्रोथ बढ़ाने, मजबूत उत्पाद और टेक्नोलॉजी फंक्शन का बढ़ाने, ब्रांड जागरूकता बढ़ाने और नए बाजारों में विस्तार करने के लिए किया जाएगा।


कारदेखो के को-फाउंडर और सीईओ अमित जैन ने कहा, "कारदेखो की शुरुआत एक कार रिसर्च पोर्टल से हुई थी जो अब बढ़कर कार खरीदने, कार के मैनेजमेंट और बिक्री का एक पूरा इकोसिस्टम बन गया है। हम अपने ग्राहकों को सशक्त बनाने और उन्हें सुविधाजनक और परेशानियों से मुक्त अनुभव प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। नया फंडिंग से हमें अपने सेकेंड-हैंड कारों के लेनदेन और वित्तीय सेवाओं के कारोबार का विस्तार करने में मदद करेगा। हमारे निवेशकों का विश्वास और भरोसा हमें अपनी विकास योजनाओं में तेजी लाने में मदद करेगा।”

मोबिक्विक (MobiKwik)

मोबिक्विक को आईपीओ लाने की मंजूरी मिल चुकी है। यह कंपनी हाल में एंप्लॉयी स्टॉक ऑप्शन (ESOP) के सेकेंडरी सेल्स राउंड के दौरान यूनिकॉर्न बनी। सूत्रों के मुताबिक इस राउंड की अगुआई ब्लैकस्टोन इंडिया के पूर्व चीफ मैथ्यू साइरिएक ने की।


MobiKwik के कर्मचारियों ने इस राउंड के दौरान अपने शेयरों का एक हिस्सा सेकेंडरी सेल में बेचकर अपने ESOP (एंप्लॉयी स्टॉक ऑप्शन प्रोग्राम) का इस्तेमाल किया।


सूत्रों ने कहा, "सेकेंडरी सेल्स की अगुआई ब्लैकस्टोन इंडिया के पूर्व चीफ मैथ्यू सिरिएक ने किया, जिन्होंने अपनी पिछली कीमत से लगभग दोगुने दाम पर अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई।"


ट्रांजैक्शन के साइज का पता नहीं लगाया जा सका। सूत्रों ने कहा, "इस दौर में ट्रांजैक्शन करीब 1 अरब डॉलर के अधिक के वैल्यूएशन पर हुआ।" 


मोबिक्विक ने अपने वैल्यूएशन को लेकर आखिरी जानकारी मई 2021 में बताई थी, जब यूएई की सॉवरेन वेल्थ फंड अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी ने 720 मिलियन डॉलर के वैल्यूएशन पर कंपनी में 20 मिलियन डॉलर की हिस्सेदारी खरीदी थी।


मोबिक्विक की चेयरपर्सन, को-फाउंडर और सीओओ उपासना ताकू ने बताया कि दिए गए विकल्पों के पूरे अभ्यास से जितने इक्विटी शेयर पैदा होंगे, वह पूरी तरह से डाइल्यूटेड बकाया शेयरों का 7 प्रतिशत है।


कंपनी को अपना इनीशियल पब्लिक ऑफर लाने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी की मंजूरी मिल गई है, जिसके जरिए उसकी 1,900 करोड़ रुपये तक जुटाने की योजना है।


गुरुग्राम मुख्यालय वाले स्टार्टअप ने जुलाई में सेबी के पास इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) के लिए ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DHRP) जमा कराए थे।

ACKO इंश्योरेंस

ACKO Insurance, एक इंश्योरेंस टेक स्टार्टअप है, जिसकी स्थापना वरुण दुआ और रुचि दीपक द्वारा 2016 में की थी। इसने इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स को देखने और उसे खरीदने और बेचने के नजरिए को लेकर कंज्यूमर्स में डिजिटल तरीके से बदलाव लाया है। खासकर ऐसे देश में जहां इस कैटेगरी में अभी ऐसे प्रोडक्ट काफी कम है। 


कंपनी ने हाल ही में सीरीज डी फंडिंग के दौरान 1.1 अरब के वैल्यूएशन पर 255 मिलियन डॉलर जुटाए। इसके साथ ही यह एक यूनिकॉर्न कंपनी बन गया। इस फंडिंग राउंड की अगुआई जनरल अटलांटिक सहित कई प्राइवेट इक्विटी कंपनियों ने किया।इसने इसके पिछले फंडिंग राउंड में अमेजन, एक्सेल, एलिवेशन कैपिटल, लाइट्सपीड, फ्लिपकार्ट के को-फाउंडर बिन्नी बंसल जैसे कई दिग्गजों से फंड जुटाए थे और तभी लग गया था कि यह स्टार्टअप अपने आप में अलग होगा। इसने अब तक कुल करीब 450 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। 


इस इंश्योरेंसटेक स्टार्टअप का तीन कैटेगरी पर फोकस है- दोपहिया और चारपहिया वाहन, हेल्थ और इलेक्ट्रॉनिक सामान। एको की खासियत यह है कि यह लोगों की जरूरत के हिसाब से कस्टमाइज योजनाएं प्रदान करता है। इसकी पॉलिसीज छोटे-आकार में आती हैं। ACKO के को-संस्थापक वरुण दुआ ने कहा, "बीमा और सुरक्षा लोगों के लिए उनसे जुड़े जोखिमों और जरूरतों के आधार पर एक सहज, विश्वसनीय तरीके से काम करना चाहिए।"


ACKO अब विशेष रूप से हेल्थ बीमा जैसे क्षेत्रों में अपनी पेशकश को मजबूत करना चाहता है और फाइनेंशियल प्रोटेक्स प्रोडक्ट की इस कैटेगरी के गहराई तक ले जाना चाहता है। 

द गुड ग्लैम ग्रुप (The Good Glamm Group)

द गुड ग्लैम ग्रुप ने वारबर्ग पिंकस और प्रोसस वेंचर्स की अगुआई वाले सीरीज डी राउंज में अब 150 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। इससे पहले कंपनी ने एक राउंड में करीब 255 करोड़ रुपये (30.4 मिलियन डॉलर) जुटाए थे।


द गुड ग्लैम ग्रुप के फाउंडर और सीईओ दर्पण संघवी ने योरस्टोरी को बताया कि कंपनी सीरीज डी से जुटाई पूंजी का इस्तेमाल प्रोडक्ट के डेवलपमेंट, डेटा साइंस और टेक्वनोलॉजी रिसर्च को बढ़ावा देने, अपने ऑफलाइन उपस्थिति को बढ़ाने, कंटेंट क्रिएशन की क्षमता का विस्तार करने और अपनी वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को पूरा करने के लिए करेगी। कंपनी के ब्रांड में POPxo, Plixxo, BabyChakra, और ScoopWhoop जैसे नाम शामिल हैं।


संस्थापक ने कहा, "यह सिर्फ एक शुरुआत है, और एक से 10 तक की हमारा सफर अब शुरू होता है।"


यह ग्रुप इसके साथ ही ब्यूटी और पर्सनल केयर ब्रांडों में भी निवेश करना जारी रखेगा। दर्पण ने बताया, “हम पर्सनल केयर और ब्यूटी सेगमेंट में कुल छह और ब्रांड के अधिग्रहण की सोच रहे हैं। उनमें से, हम पहले ही द मॉम्स कंपनी के अधिग्रहण की घोषणा कर चुके हैं। हम पांच और पर विचार कर रहे हैं।"


Edited by Ranjana Tripathi