जानिए कैसे फार्मा की दुनिया में सफलता के झंडे गाड़ रहा लुधियाना का ये बिजनेसमैन
2005 में, नीरज ने अपने पिता द्वारा हरियाणा के फरीदाबाद में 1980 में स्थापित खुद की दवा निर्माण कंपनी फर्म हरियाणा फॉर्मूलेशन्स से जुड़ गए। एक साल के भीतर, पिता-बेटे की जोड़ी ने लुधियाना, पंजाब में हॉलमार्क फॉर्मूलेशन्स नामक एक और दवा कंपनी लॉन्च कर डाली।
हॉलमार्क और हरियाणा फॉर्मूलेशन्स इस समय मैक्स, फोर्टिस, वेदांता और लुधियाना में कई अन्य सरकारी अस्पतालों को दवाई सप्लाई करते हैं। जिससे ये कंपनी करीब वर्तमान में 75 करोड़ रुपये का कारोबार कर रही है।
40 डॉक्टरों के एक परिवार में, लुधियाना स्थित हॉलमार्क फार्मास्युटिकल्स के निदेशक नीरज सतीजा, एकमात्र ऐसा व्यक्ति हैं जिन्होंने मेडिकल प्रोफेशन को नहीं चुना। वे कहते हैं, "मेरे दादा, पिता और रिश्तेदार सभी डॉक्टर हैं। लेकिन इस पेशे में मुझे कभी दिलचस्पी नहीं थी।" हालांकि इसका कारण ये भी हो सकता है कि नीरज के पिता, डॉ राजन सतीजा ने मेडिसन के बजाए अपने बिजनेस पर अधिक समय बिताया। नीरज कहते हैं "मेरे पिता एक डॉक्टर से बिजनेसमैन बने। दरअसल वे परिवार के दबाव के कारण डॉक्टर बने थे। लेकिन बाद में, उन्होंने बिजनेस में अपना रास्ता बना लिया, जो वे हमेशा करना चाहते थे।"
2005 में, नीरज ने अपने पिता द्वारा हरियाणा के फरीदाबाद में 1980 में स्थापित खुद की दवा निर्माण कंपनी फर्म हरियाणा फॉर्मूलेशन्स से जुड़ गए। एक साल के भीतर, पिता-बेटे की जोड़ी ने लुधियाना, पंजाब में हॉलमार्क फॉर्मूलेशन्स नामक एक और दवा कंपनी लॉन्च कर डाली। कंपनी, अपने अत्याधुनिक पांच लाख वर्ग फुट के प्लांट में एंटीबायोटिक्स, ऑन्कोलॉजी, और कार्डियोलॉजी दवाओं से लेकर इंजेक्शनबेल्स, प्रोटीन पाउडर और स्किन केयर जैसे लगभग 400 प्रोडक्ट का निर्माण करती है।
हॉलमार्क और हरियाणा फॉर्मूलेशन्स इस समय मैक्स, फोर्टिस, वेदांता और लुधियाना में कई अन्य सरकारी अस्पतालों को दवाई सप्लाई करते हैं। जिससे ये कंपनी करीब वर्तमान में 75 करोड़ रुपये का कारोबार कर रही है। नीरज अगले साल तक कारोबार को दोगुना करने की उम्मीद करते हैं क्योंकि उनकी कंपनियों को हाल ही में कई सरकारी ऑर्डर मिले हैं। दोनों कंपनियां विभिन्न क्षेत्रों में डिस्ट्रीब्यूटर्स को भर्ती करके एथिकल मार्केटिंग, जैसे डॉक्टरों के माध्यम से प्रचार या फ्रैंचाइजी मॉडलिंग के माध्यम से अपनी दवाओं को डिस्ट्रीब्यूट करती हैं। नीरज कहते हैं, कंपनी कैडिला जैसे स्थापित ब्रांडों के लिए थर्ड पार्टी मैन्युफैक्चरिंग भी करती है। अगले वर्ष तक, हॉलमार्क फार्मास्युटिकल्स इंडस्ट्री के बड़े प्लेयर्स के साथ मिलकर लुधियाना में अपने खुद के अस्पतालों की शुरूआत करने की योजना बना रहा है। यह एक यूनिन कंपनी के सहयोग से एक कीटाणुनाशक संयंत्र और एक कॉस्मेटिक संयंत्र भी स्थापित कर रहा है।
जो डॉक्टर ऑर्डर करता है
हां ये सच है कि नीरज डॉक्टरों के परिवार से आते हैं इसलिए एसोसिएशन के जरिए उनका एक बड़ा नेटवर्क है जिसके जरिए नीरज उन लोगों तक खुद की बनाई दवाओं को बढ़ावा देने के लिए आसानी से पहुंच सकते हैं। हालांकि जब तक कोई डॉक्टर पास नहीं करता है तब तक कोई आपको उन दवाओं को लेने के लिए नहीं कह सकता है। नीरज आगे कहते हैं, "एक डॉक्टर कभी ऐसी दवा नहीं लिखता जिस पर उसे यकीन न हो। वे कभी भी एक घटिया प्रोडक्ट की सिफारिश नहीं करेंगे।" नीरज के मुताबिक व्यापार का पहला क्रम गुणवत्ता मानदंडों को पूरा करना था। दूसरा बेंचमार्क था मूल्य निर्धारण सही करना। हालांकि इसके लिए नीरज वर्तमान सरकार की सराहना करते हैं कि उसने दवाओं पर एमआरपी कैप लगा दिया ताकि फार्मा अपने मुनाफे को ध्यान में रखते हुए कीमतों में बढ़ोतरी न कर सके।
एक संपन्न फार्मा उद्योग
इंडिया ब्रैंड इक्विटी फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री 2017 में 33 अरब डॉलर की थी। भारत 200 से अधिक देशों को दवाएं निर्यात करता है, जिसमें अमेरिका प्रमुख बाजार है। वर्ष 2017-18 में निर्यात 17.27 अरब डॉलर था। भारत सरकार के 'फार्मा विजन 2020' का उद्देश्य भारत को शुरू से अंत तक दवा की खोज का केंद्र बनाना है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, दवाओं की खोज को बढ़ावा देने और दवाइयों के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए सरकार 640 मिलियन डॉलर का उद्यम पूंजी निधि स्थापित करने की भी योजना बना रही है।
सीखना और चुनौतियां
बिजनेस से सीखने को लेकर नीरज कहते हैं, "यह एक शानदार बिजनेस है। हालांकि, यह एक ऐसा बिजनेस है जिसमें गलतियों के लिए कोई जगह नहीं है। यदि आप गलत हो जाते हैं, तो परिणाम घातक होंगे।" उन्होंने कहा कि मानकीकरण और अत्याधुनिक सुविधाओं की आवश्यकता है, तभी ही एक कंपनी को प्रमाणित किया जा सकता है। वे कहते हैं, "हर चीज के लिए एक परिभाषित प्रणाली है। डब्ल्यूएचओ अनिवार्य मानकों के अनुरूप आपको सबसे अच्छे लोगों और सर्वोत्तम बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है।"
यह देखते हुए कि हाल के दिनों में बैंक लोन देने में ज्यादा सतर्क हो गए हैं, नीरज कहते हैं, "इस व्यवसाय में शामिल होने से आपको निश्चित होना पड़ेगा क्योंकि शुरुआती और परिचालन दोनों चरणों में निवेश जरूरी है।" उन्होंने कहा कि लोग अपने हर ऑपरेशन्स में सावधान रहे हैं और जल्दबाजी में विस्तार न करें। नीरज कहते हैं, "हमारी प्रोग्रेस धीरे-धीरे बढ़ी है। अगर हमने दूसरे संयंत्र के लिए पैसा उधार लिया होता, तो चीजें तेजी से होतीं, लेकिन हम बचना चाहते थे।" इसलिए नीरज का मानना है कि आने वाले समय में, देश में मध्यम और छोटे पैमाने पर दवा निर्माता बहुत सीमित होंगे। वे कहते हैं, "इस क्षेत्र की आलोचना को देखते हुए, कानून तेजी से कड़े हो रहे हैं। निर्माताओं को हर पांच साल में अपना लाइसेंस नवीनीकृत करना होगा। नवीनीकरण केवल तभी दिया जाता है जब प्रोडक्शन हाउस नए कानूनों के मुताबिक होता है।"
यह भी पढ़ें: गांव की लड़कियों को सैनिटरी पैड बांटकर जागरूक कर रही 8वीं की छात्रा