कैसे एक लेक्चरर बन गईं केरल की पहली महिला DGP
केरल की पहली महिला DGP आर श्रीलेखा...
केरल की वरिष्ठ IPS अधिकारी आर श्रीलेखा केरल की पहली महिला डीजीपी बन गयी हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, वह लैंगिक अनुपात के अंतर को समाप्त करने के अपने प्रयासों के लिए पूरे राज्य में जानी जाती हैं।
श्री लेखा ने 1987 में राज्य की पहली महिला IPS के तौर पर शोहरत हासिल की। पुलिस में आने से पहले श्रीलेखा लेक्चरर और रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के ग्रेड बी ऑफिस के रूप में काम कर चुकी थीं। श्री लेखा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, महिला होने के नाते उनका उत्पीड़न किया गया, उनको आगे बढ़ने से रोकने के लिए हरसंभव कोशिश की गईं लेकिन श्रीलेखा के कदम नहीं रुके। वो आगे बढ़ती गईं और आज उन्होंने ट्रेंडसेटर के तौर पर देखा जाता है।
श्रीलेखा ने अपने पुलिस के शानदार करियर में मलयालम भाषा में 9 किताबें भी लिखी हैं, जिनमें तीन अपराध अनुसंधान पर हैं। अपनी किताबों में उन्होंने हत्यारे की योजनाएं और पीड़ित की मानसिकता को समझाने का प्रयास किया है।
केरल की वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी आर श्रीलेखा केरल की पहली महिला डीजीपी बन गयी हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, वह लैंगिक अनुपात के अंतर को समाप्त करने के अपने प्रयासों के लिए पूरे राज्य में जानी जाती हैं। वह अग्रणी पदों में अधिक महिलाओं को देखना चाहती है। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, महिला होने के नाते उनका उत्पीड़न किया गया, उनको आगे बढ़ने से रोकने के लिए हरसंभव कोशिश की गईं लेकिन श्रीलेखा के कदम नहीं रुके। वो आगे बढ़ती गईं और आज उन्होंने ट्रेंडसेटर के तौर पर देखा जाता है।
1987 में राज्य की पहली महिला आईपीएस के तौर पर उन्होंने शोहरत हासिल की। पुलिस में आने से पहले श्रीलेखा लेक्चरर और रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के ग्रेड बी ऑफिस के रूप में काम कर चुकी थीं। सीबीआई ज्वाइन करने से पहले श्रीलेखा थ्रिसर, अल्लापुज़्ज़ा और पठानमथीना में पुलिस प्रमुख के तौर पर काम करते हुए 'छापामार श्रीलेखा' के तौर पर पहचानी गयीं। श्रीलेखा एर्नाकुलम रेंज और क्राइम ब्रांच की पुलिस निरीक्षक यानि आईजी रही।
यूनाइटेड नेशन में उन्होंने महिला तस्करी रोकने के लिए गठित प्रोटोकॉल तैयार करने में भारत की नुमाइंदगी की। इस वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने ब्रिटेन की स्कॉटलैंड यार्ड में पुलिस ट्रेनिंग ली। श्रीलेखा ने अपने पुलिस के शानदार करियर में मलयालम भाषा में 9 किताबें भी लिखी हैं, जिनमें तीन अपराध अनुसंधान पर हैं।
अपनी किताबों में उन्होंने हत्यारे की योजनाएं और पीड़ित की मानसिकता को समझाने का प्रयास किया है। इतनी जिम्मेदारियों के बावजूद उन्हें लिटरेचर में डूबे रहने में उन्हें उन्हें अच्छा लगता है। इसका कारण है कि उनके पिता कॉलेज में प्रोफेसर रहे, लिहाजा कहानियां कहने-सुनने का माहौल घर में रहा।
श्रीलेखा इससे पहले जेल एडीजी के तौर पर काम कर रही थीं। उनके समकक्ष 8 पुलिस अधिकारियों में से 3 वरीय अधिकारियों को पदोनत्ति दी गयी। पदोनत्ति पाने वाले नए अधिकारियों का रिक्तियों को हिसाब से नियुक्त किया जायेगा। 2015 में श्रीलेखा को निगरानी एडीजी और क्राइम ब्रांच में बेहतरीन सर्विस के लिये राष्ट्रपति पुरस्कार प्रदान किया गया।
केरल की ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के तौर पर उनकी कोशिशों की वजह से सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या में कमी आयी और सुरक्षा मानकों को बढ़ावा मिला।
लेकिन उनके छोटे से कार्यकाल में उनपर भ्रष्टाचार और अपराधियों से दुर्व्यहवार के भी आरोप लगे। 12 सितम्बर को भ्रष्टाचार निरोधक कोर्ट ने उन्हें सबूतों के अभाव में उनपर लगे आरोपो से बरी कर दिया। यह नोटिस करना चाहिए कि श्रीलेखा को उनके साथी पुलिस अधिकारी तोमिन जे ठाकरे के साथ प्रमोशन दिया गया। जिनके साथ हाल के सालों में उनका मनमुटाव रहा।
आखिरी बार तोमिन जे ठाकरे को श्रीलेखा की जगह ट्रांसपोर्ट कमिश्नर बनाया गया था और श्रीलेखा ने उनपर मानसिक शोषण का आरोप लगाया था। श्रीलेखा के आरोपों को बेबुनियाद बताया था।
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