किसानों की फसल को प्रोटेक्ट करता है ये स्टार्टअप, खास तकनीक से करवा रहा तगड़ा मुनाफा
भारतीय स्टार्टअप खेती (Kheyti) को प्रतिष्ठित 'अर्थशॉट' पुरस्कार मिला था. यह छोटे किसानों के लिए सस्ते में ग्रीन हाउस तकनीक मुहैया करा रहा है.
हाल ही में कृषि समाधान मुहैया कराने वाले भारतीय स्टार्टअप खेती (
) को प्रतिष्ठित 'अर्थशॉट' पुरस्कार मिला था. इस स्टार्टअप ने छोटे किसानों के लिए ग्रीनहाउस-इन-ए-बॉक्स (Green-House-In-A-Box) डिजाइन किया है. यह स्टार्टअप 2016 में शुरू हो गया था, लेकिन किसानों के साथ 2017 से जुड़ना शुरू किया. इसकी शुरुआत Kaushik Kappagantulu ने 3 अन्य को-फाउंडर्स सत्या रघु, सौम्या और आयुष शर्मा के साथ मिलकर की थी. पिछले साल कंपनी का टर्नओवर करीब 5 करोड़ रुपये का था, जो इस साल लगभग 7 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.पहले जानिए क्या करता है ये स्टार्टअप?
खेती स्टार्टअप क्लाइमेट चेंज की वजह से फसलों पर पड़ने वाले प्रभाव से उसकी रक्षा करने वाली टेक्नोलॉजी लाया है. इसका मिशन है कि छोटे किसानों को ग्रीन हाउस की सुविधा सस्ते दाम पर मिल सके. यह स्टार्टअप खास तौर पर उन किसानों के साथ काम करता है, जिनके पास 5 एकड़ से कम जमी है और भारत में ऐसे किसान करीब 10 करोड़ हैं. मौसम में बदलाव की वजह से फसलों को काफी नुकसान होता है. क्लाइमेट चेंज की वजह से भी नुकसान का रिस्क लगातार बढ़ता ही जा रहा है. खेती का मकसद है कि किसानों को इस रिस्क से सुरक्षा मुहैया कराई जाए।
ग्रीन हाउस इन ए बॉक्स एक प्रोटेक्टेड कल्टिवेशन तकनीक है, जिसमें खासकर फल-फूल बेहद सुरक्षा के साथ उगाया जा सकता है. वैसे तो ये तकनीक बाजार में पहले से भी थी, लेकिन खेती ने इसे छोटे किसान के लिए छोटा बनाया है और साथ ही सस्ता भी बनाया है. इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसमें किसान पूरे साल कभी भी कोई भी खेती कर सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें तापमान को कंट्रोल किया जा सकता है. इसके अलावा इस तकनीक से पेस्ट कंट्रोल होता है और बेमौसम बरसात से बचा जा सकता है. साथ ही ड्रिप इरिगेशन की मदद से पानी की भी बचत की जा सकती है. स्टार्टअप के फाउंडर कौशिक बताते हैं कि इस तकनीक को उन्होंने पहले की तुलना में करीब 80 फीसदी तक सस्ता किया है.
खेती की तरफ से सिर्फ ग्रीन हाउस की सुविधा नहीं दी जाती है, बल्कि कुछ सर्विस भी दी जाती हैं. यह स्टार्टअप किसानों को कई कामों के लिए ट्रेनिंग भी देता है. यह स्टार्टअप किसानों को बीज खरीदने से लेकर फसल को बेचने तक से जुड़ी एडवाइजरी मुहैया कराता है. साथ ही किसानों को मार्केट के साथ कनेक्ट भी करता है. यह किसानों को फसल उगाने का तरीका भी बताता है और यह भी बताया है कि कौन सी फसल से ज्यादा मुनाफा होगा. खेती स्टार्टअप का पहला मकसद तो यही था कि नेटहाउस को सस्ता किया जाए, लेकिन अब वह किसानों को कई तरह की सेवाएं भी दे रहा है.
क्या है बिजनेस मॉडल?
यह स्टार्टअप सीधे-सीधे ग्रीन हाउस तकनीक को बेचकर पैसे कमाता है. ग्रीन हाउस एक बार लगाने के बाद अगले 15 सालों तक चलता है. ऐसे में इस बीच में कंपनी किसानों को एडवाइजरी मुहैया कराती है, जिसके पैसे नहीं लेती. हालांकि, कंपनी की तरफ से ग्रीन हाउस को और बेहतर करने वाले कुछ इक्विपमेंट्स भी दिए जाते हैं, जो बीच-बीच में कंपनी बेचती है और उससे भी कुछ पैसे कमाती है.
क्या है प्रोडक्ट की कीमत?
कंपनी का सबसे छोटा ग्रीन हाउस 250 स्क्वायर मीटर का है, जो एक एकड़ का करीब 1/16 वां हिस्सा होता है. इसकी कीमत करीब 65 हजार रुपये है. इससे 9 महीने में किसान का पैसा वापस आ जाता है. 15 साल ग्रीन हाउस की लाइफ होती है यानी करीब 14 सालों तक किसान की सारी कमाई उसका मुनाफा होता है. कौशिक के मुताबिक इस छोटे से ग्रीन हाउस से ही किसान हर साल करीब 1 लाख रुपये की कमाई कर सकता है. वह बताते हैं कि करीब 80 फीसदी किसान ऐसे ही हैं जो इस छोटे वाले ग्रीन हाउस को ही लगाते हैं. वहीं 20 फीसदी किसान 2-3 गुना या उससे बड़ा ग्रीन हाउस लगाते हैं. कंपनी की तरफ से सबसे बड़ा ग्रीन हाउस सेटअप आधे एकड़ का है, जिसकी कीमत करीब 4 लाख रुपये है. कौशिक बताते हैं कि अगर कोई किसान नर्सरी लगाता है तो उसकी लागत तो महज 3-6 महीने में ही निकल जाती है.
कई अवॉर्ड मिल चुके हैं इस स्टार्टअप को
पिछले 5 सालों में इस स्टार्टअप कई सारे अवॉर्ड मिले हैं. तेलंगाना से बेस्ट सस्टेनेबल स्टार्टअप का अवॉर्ड भी मिल चुका है. वहीं दिसंबर के महीने में इसे अर्थशॉट पुरस्कार से नवाजा गया. पूरी दुनिया से सिर्फ 5 कंपनियों को ही इस अवॉर्ड के लिए चुना जाता है, जो पर्यावरण के लिए काम करती हैं. इस बार उनमें से एक खेती स्टार्टअप भी रहा. अर्थशॉट पुरस्कार पिछले साल लॉन्च किया गया था. यह अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के मूनशॉट प्रोजेक्ट से प्रेरित था, जिसका उद्देश्य इंसान को चंद्रमा पर ले जाना था. आपको बता दें कि यह पहला पर्यावरण पुरस्कार, जिसे अर्थशॉट पुरस्कार के नाम से जाना जाता है. यह पुरस्कार ब्रिटेन के प्रिंस विलियम (ड्यूक ऑफ कैम्ब्रिज) और डेविड एटनबरो द्वारा वर्ष 2020 में लॉन्च किया गया था.
कई चुनौतियों का करना पड़ा सामना
डिजाइन को सस्ता बनाना तो एक बड़ी चुनौती रही ही, खेती स्टार्टअप के लिए सबसे बड़ा चैलेंज अवेयरनेस फैलाना है. बहुत सारे किसानों को इस तकनीक के बारे में पता ही नहीं है और बहुत सारे ऐसे भी किसान हैं, जिन्हें पता है, लेकिन उन्हें भरोसा नहीं है. ऐसे में किसानों का भरोसा जीतने के लिए एफपीओ, एनजीओ और डीलर्स की मदद से उन तक पहुंचना होता है. साथ ही उनके इलाके में ट्रायल भी देना होता है, जिससे वह समझ सकें कि ग्रीन हाउस के कितने फायदे हैं. ग्रीन हाउस को और सस्ता बनाने के लिए यह स्टार्टअप सरकारों और एनजीओ के साथ काम भी कर रहा है.
भविष्य की क्या है प्लानिंग
सबसे छोटा ग्रीन हाउस अभी 65 हजार का है, लेकिन करीब 5 साल पहले यह 4 लाख रुपये का था. धीरे-धीरे इसे सस्ता बनाया गया है. अब आने वाले 2-3 सालों में इसे 20-30 हजार रुपये तक सस्ता करने की प्लानिंग है. आने वाले दिनों में सरकारों और एनजीओ से मदद के जरिए इसे सस्ता बनाने की कोशिश करनी ही. कंपनी अपने ग्रीन हाउस को रेंटिंग के लायक भी बनाने की प्लानिंग कर रही है और मूवेबल नेट हाउस बनाने की दिशा में काम कर रही है. अभी तो इस स्टार्टअप की पहुंच करीब 1300 किसानों तक है, लेकिन आने वाले 12-18 महीनों में ये कंपनी 10 हजार किसानों तक पहुंचना चाहती है. अगले 10 सालों में इसे 10 लाख किसानों तक ले जाना है.
कितनी मिली है फंडिंग?
अभी तक इस स्टार्टअप को करीब 5 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिल चुकी है. अर्थशॉट पुरस्कार के जरिए भी कंपनी को 1 मिलियन पाउंड की राशि मिली है, जिसे अब कंपनी बिजनेस में निवेश करेगी. हालांकि, अभी तक कंपनी ने वेंचर फंडिंग नहीं ली है.