Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

सरकार ने नेशनल फॉरेंसिक इंफ्रास्ट्रक्चर एन्हांसमेंट स्कीम (NFIES) को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस योजना के तहत देश में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) के परिसरों की स्थापना, देश में केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं की स्थापना और NFSU के दिल्ली परिसर के मौजूदा बुनियादी ढांचे में बढ़ोतरी को मंजूरी दी है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2024-25 से 2028-29 की अवधि के दौरान 2254.43 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ केंद्रीय योजना “नेशनल फॉरेंसिक इंफ्रास्ट्रक्चर एन्हांसमेंट स्कीम” (NFIES) के लिए गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. इस केंद्रीय योजना का वित्तीय परिव्यय गृह मंत्रालय अपने स्वयं के बजट से प्रदान करेगा.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस योजना के तहत देश में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) के परिसरों की स्थापना, देश में केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं की स्थापना और NFSU के दिल्ली परिसर के मौजूदा बुनियादी ढांचे में बढ़ोतरी को मंजूरी दी है.

भारत सरकार साक्ष्यों की वैज्ञानिक और समयबद्ध फोरेंसिक जांच के आधार पर एक प्रभावी और कुशल आपराधिक न्याय प्रणाली स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है. यह योजना टेक्नोलॉजी में तेज प्रगति का लाभ उठाते हुए और अपराध के उभरते हुए स्वरूप और तरीकों को देखते हुए एक कुशल आपराधिक न्याय प्रक्रिया के लिए साक्ष्यों की समयबद्ध और वैज्ञानिक जांच में उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षित फोरेंसिक पेशेवरों के महत्व को रेखांकित करती है.

नए आपराधिक कानूनों के अधिनियमन के तहत 7 साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक जांच को अनिवार्य बनाया गया है. ऐसे में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं के कार्यभार में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है. इसके अलावा, देश में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (FSL) में प्रशिक्षित फोरेंसिक पेशेवरों की काफी कमी है.

तेजी से बढ़ती इस मांग को पूरा करने के लिए, राष्ट्रीय फोरेंसिक बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण निवेश और विकास अनिवार्य है. राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) के अतिरिक्त ऑफ-कैंपस और नई केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (CFSLs) की स्थापना से प्रशिक्षित फोरेंसिक पेशेवरों की कमी दूर होगी, फोरेंसिक प्रयोगशालाओं पर मामलों का बोझ/लंबित मामलों की संख्या कम होगी और यह भारत सरकार के 90 प्रतिशत से अधिक की उच्च दोषसिद्धि दर सुनिश्चित करने के लक्ष्य के अनुरूप होगा.

यह भी पढ़ें
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ग्रोस डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 22.19 प्रतिशत बढ़ा