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HDFC Bank समेत इन 3 बैंकों का लोन हो गया महंगा, MCLR में वृद्धि

केनरा बैंक, HDFC Bank की नई MCLR 7 दिसंबर 2022 और करूर वैश्य बैंक की नई MCLR 6 दिसंबर 2022 से प्रभावी हुई है.

HDFC Bank समेत इन 3 बैंकों का लोन हो गया महंगा, MCLR में वृद्धि

Wednesday December 07, 2022 , 3 min Read

केनरा बैंक (Canara Bank), HDFC Bank और करूर वैश्य बैंक (Karur Vysya Bank) ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) को बढ़ा दिया है. केनरा बैंक, HDFC Bank की नई MCLR 7 दिसंबर 2022 और करूर वैश्य बैंक की नई MCLR 6 दिसंबर 2022 से प्रभावी हुई है. शेयर बाजारों को दी गई एक सूचना में केनरा बैंक ने कहा कि उसने विभिन्न लोन अवधि​यों के लिए MCLR (Marginal Cost of Funds Based Lending Rates) बढ़ाई हैं और नई दरें 7 दिसंबर 2022 से प्रभावी हैं. केनरा बैंक में अब 1 साल की अवधि की MCLR 8.15 प्रतिशत हो गई है, जो पहले 8.10 प्रतिशत थी. अन्य लोन टेनर्स के लिए केनरा बैंक के नए MCLR इस तरह हैं...

canara-bank-raised-its-mclr-on-loans-karur-vysya-bank-hikes-loan-interest-rates-by-25-bps

HDFC Bank

HDFC बैंक ने MCLR को 0.10 प्रतिशत तक बढ़ाया है. नई दरें 7 दिसंबर 2022 से प्रभावी हैं. HDFC बैंक में अब 1 साल की MCLR 8.60 प्रतिशत हो गई है. बता दें कि 1 साल की MCLR से ही विभिन्न कंज्यूमर लोन्स कनेक्ट होते हैं. HDFC बैंक के नए MCLR इस तरह हैं...

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करूर वैश्य बैंक का लोन कितना महंगा

करूर वैश्य बैंक द्वारा MCLR में की गई वृद्धि 0.25 प्रतिशत की है और नए रेट 6 दिसंबर 2022 से प्रभावी हैं. शेयर बाजारों को बैंक की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, अब करूर वैश्य बैंक में 1 साल की MCLR 9.05 प्रतिशत है, जो हपले 8.80 प्रतिशत थी. करूर वैश्य बैंक की नई MCLR इस तरह है...

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रिजर्व बैंक ने रेपो रेट बढ़ाई

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मुख्य रूप से महंगाई को काबू में लाने के मकसद से बुधवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो को 0.35 प्रतिशत और बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया. इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 7 प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है. रेपो दर वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं. इसमें वृद्धि का मतलब है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिया जाने वाला कर्ज महंगा होगा और मौजूदा ऋण की मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ेगी.

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक सोमवार से शुरू हुई थी. रेपो दर में इस वृद्धि के साथ स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर समायोजित होकर छह प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.50 प्रतिशत हो गयी है. आरबीआई मुख्य रूप से मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये इस साल मई से लेकर अब तक कुल 5 बार में रेपो दर में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है. इससे पहले, मई में रेपो दर 0.40 प्रतिशत और जून, अगस्त व सितंबर में 0.50-0.50 प्रतिशत बढ़ाई गयी थी.

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