कब थमेंगे कोरोनावायरस संक्रमण के मामले?
कोरोना वायरस ने सभी देशों को बुरी तरह प्रभावित किया है। यहाँ तक कि अमेरिका और चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों को इस वायरस ने बड़ा झटका दिया है।
देश में कोरोना वायरस संक्रमण मामलों की संख्या हर दिन बढ़ रही है। बुधवार तक ये मामले लगभग 50 हज़ार पहुँच चुके हैं, जबकि अब तक देश में 14,305 लोग इससे रिकवर हुए हैं, हालांकि 1697 लोगों को इसके चलते अपनी जानें भी गंवानी पड़ी हैं।
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को काबू में करने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई थी जिसका फिलहाल तीसरा चरण जारी है। लॉकडाउन ने देश की रफ्तार पर एक ब्रेक लगा दिया जिससे देश का हर सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ है। लॉकडाउन होने के बावजूद देश में कोरोना मामलों की संख्या में कमी देखने को नहीं मिली है।
निम्न वर्ग को इस लॉकडाउन में सबसे अधिक झटका लगा है क्योंकि इस वर्ग के अधिकतर लोग अपने दैनिक भत्ते पर ही गुज़ारा करते हैं, जबकि मध्यमवर्ग इस समय अपनी नौकरियों के लिए संघर्ष कर रहा है। कोरोना वायरस के चलते बड़ी संख्या में नौकरियों के जाने की संभावना है, जिसमें हॉस्पिटैलिटी और विमानन क्षेत्रों में नौकरियों पर सबसे अधिक संकट बन पड़ा है।
वैश्विक स्तर पर चीन और इटली समेत कई देशों ने कोरोना वायरस मामलों की बढ़ती हुई संख्या पर काबू पा लिया है, जबकि अमेरिका और भारत जैसे देशों में नए केस लगातार सामने आ रहे हैं, लेकिन ये मामले पूरी तरह कब थमेंगे, इसपर अभी कुछ स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता है।
वैक्सीन का क्या हुआ?
चीन और अमेरिका जैसे देश इस समय कोरोना वायरस की वैक्सीन पर काम कर रहे हैं, जबकि हाल ही में इजरायल ने कोरोना एंटीबॉडी विकसित कर लेने का दावा किया है। यह तो स्पष्ट है कि यदि कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों को प्रभावी ढंग से रोकना है तो उसका सबसे बेहतर विकल्प टीका ही है।
इसके पहले कई देशों के वैज्ञानिकों ने बताया था कि कोरोना वायरस का टीका विकसित होने में एक से डेढ़ साल का समय भी लग सकता है। किसी वायरस का टीका विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों को कई चरणों में उसका परीक्षण करना होता है और कोरोना वायरस टीके के साथ भी यही स्थिति है।
टीके की अनुपस्थिति में कोरोना वायरस संक्रमण को अधिक तेजी से फैलने से रोकने के लिए भारत ने लॉकडाउन के रूप में श्रेष्ठ विकल्प का चुनाव किया, लेकिन लगभग 500 मामलों की संख्या पर शुरू लॉकडाउन के दौरान ही देश में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या 50 हज़ार पहुँच चुकी है, जिसका मतलब यह है कि इस वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सोशल डिस्टेन्सिंग का सख्ती से पालन जरूरी है, हालांकि यह बात भी माननी होगी कि अगर देश में लॉकडाउन लागू न हुआ होता तो स्थिति बदतर हो सकती थी।
अन्य विकल्प
भारत में पीएम मोदी ने कई बार देशवासियों से सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करने की अपील की है। लोगों के सचेत रहने और तय की गईं गाइडलाइन के पालन से संक्रमण के बढ़ते मामलों को रफ्तार कम जरूर की जा सकती है, लेकिन इसके लिए आम जनता को अपनी ज़िम्मेदारी को बखूबी समझना और निभाना होगा।
कोरोना वायरस से लड़ने में शरीर की इम्यूनिटी का भी बड़ा हाथ है। ऐसे में लोग अपने खान-पान पर ध्यान देते हुए अपनी इम्यूनिटी मेंटेन कर सकते हैं। इसके अलावा सरकारों की तरफ से टेस्ट की संख्या को और बढ़ाना होगा, क्योंकि इसके पहले भी ऐसे कई मामले देखे गए थे जहां कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति में इससे जुड़े लक्षण नज़र नहीं आए थे, तो जब तक कोरोना वायरस वैक्सीन आम लोगों के उपलब्ध नहीं हो जाती है, कोरोना संक्रमण के मामलों की रफ्तार को कम करना बेहद जरूरी है।