Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

Apple में जातिगत भेदभाव रोधी कानून लागू, कर्मचारियों को भारत की जाति व्यवस्था की ट्रेनिंग दे रही कंपनी

एप्पल ने अमेरिका में अपने मैनेजरों और कर्मचारियों को जाति को लेकर ट्रेनिंग भी देना शुरू कर दिया है ताकि वे कंपनी की नई नीति को बेहतर तरीके से समझ सकें.

Apple में जातिगत भेदभाव रोधी कानून लागू, कर्मचारियों को भारत की जाति व्यवस्था की ट्रेनिंग दे रही कंपनी

Tuesday August 16, 2022 , 3 min Read

दुनिया की अधिकतर कंपनियां न सिर्फ भारत को एक बड़ा मार्केट मानती हैं बल्कि सबसे अधिक संख्या में भारतीय कर्मचारियों को हायर भी करती हैं. ये कंपनियां भेदभावरोधी नीतियां लागू तो करती हैं लेकिन भारत जैसे देश में पाए जाने वाले जातिगत भेदभाव जैसे मामलों पर चुप्पी साध लेती हैं.

हालांकि, अब दिग्गज टेक कंपनी Apple दुनिया की पहली ऐसी कंपनी बन गई है जिसने न सिर्फ जातिगत भेदभाव पर अपनी चुप्पी तोड़ी है, बल्कि कंपनी में जातिगत भेदभाव पर पाबंदी लगा दी है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, एप्पल ने अमेरिका में अपने मैनेजरों और कर्मचारियों को जाति को लेकर ट्रेनिंग भी देना शुरू कर दिया है ताकि वे कंपनी की नई नीति को बेहतर तरीके से समझ सकें.

जातिगत भेदभाव पर रोक लगाने के लिए एप्पल ने अपनी नीतियों में दो साल पहले बदलाव किया था. नई नीति नस्ल, धर्म, लिंग, उम्र और वंश के खिलाफ भेदभाव पर रोक लगाने वाली नीतियों के साथ जातिगत भेदभाव को भी सख्ती से प्रतिबंधित करती है।

अपनी पॉलिसी बदलने के लिए क्यों मजबूर हुआ एप्पल?

एप्पल का यह कदम ऐसे समय में सामने आया है, जब पहली बार जून 2020 में कैलिफोर्निया के इम्प्लॉयमेंट रेगुलेटर ने सिस्को सिस्टम्स पर मुकदमा दायर किया था. इम्प्लॉयमेंट रेगुलेटर ने यह मुकदमा एक तथाकथित नीची जाति के इंजीनियर की ओर से दायर किया था, जिसने तथाकथित ऊंची जाति के दो बॉस पर उनके कैरियर में बाधा डालने का आरोप लगाया था.

हालांकि, सिस्को ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था. उसने कहा था कि आंतरिक जांच में कोई सबूत नहीं पाए गए और कैलिफोर्निया में जाति के ‘प्रोटेक्टेड क्लास’ में शामिल नहीं होने के कारण कुछ आरोप आधारहीन हैं.

लेकिन, इस महीने एक अपील पैनल ने मामले को निजी मध्यस्थता में भेजने की मांग को खारिज कर दिया. इसका मतलब है कि अगले साल की शुरुआत तक एक पब्लिक कोर्ट में मामले की सुनवाई हो सकती है.

भारत में लागू की गई अपनी नीतियों में पहले से ही जाति का उल्लेख करने वाली टेक कंपनी IBM ने भी बताया कि उसने सिस्को मुकदमे के बाद अपनी वैश्विक भेदभाव नीति में बदलाव किया है. हालांकि, उसने यह नहीं बताया कि उसने यह बदलाव कब किया.

हालांकि, अभी भी Amazon, Dell, Facebook की पैरेंट कंपनी Meta , Microsoftऔर Google जैसी दुनिया की कई कंपनियों ने अपनी नीतियों में बदलाव नहीं किया है. इनमें से कुछ ने अपने कर्मचारियों को केवल इंटरनली नोट रिलीज किया है.

सभी कंपनियों ने रायटर को बताया कि वे जातिगत पूर्वाग्रह के लिए जीरो टॉलरेंस पॉलिसी अपनाते हैं और कहा कि इस तरह के पूर्वाग्रह वंश और राष्ट्रीय मूल जैसी श्रेणियों द्वारा भेदभाव पर मौजूदा प्रतिबंधों के अंतर्गत आएंगे.

बता दें कि, भारत जैसे देश में जातिगत भेदभाव एक सच्चाई है और सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है. इसमें जन्म के आधार पर कुछ लोगों को नीचे दर्जे का माना जाता है और उनके साथ सामाजिक-आर्थिक और अन्य तरह के भेदभाव किए जाते हैं.

देश में जातिगत भेदभाव को कानूनी तौर पर प्रतिबंधित किए हुए 70 साल हो गए हैं लेकिन आज भी लोग उसका दंश झेल रहे हैं. सामाजिक और आर्थिक भेदभाव के साथ दलित और अन्य वंचित तबकों को उच्च पदों वाले जॉब्स में कम पाया जाता है.