बेल्जियम में जमी-जमाई नौकरी छोड़ 'जशपुर नगर' में खेती कर लाखों कमा रहे समर्थ जैन
समर्थ जैन, छतीसगढ़ के एक छोटे से पहाड़ी जिले जशपुरनगर के बाशिन्दा, नोएडा की एमिटी यूनिवर्सिटी से एमटेक और फिर उसके बाद यूरोपीय देश बेल्जियम में बतौर रिसर्च साइंटिस्ट की शानदार नौकरी, लेकिन ऐसा क्या हुआ कि समर्थ ने अपनी नौकरी छोड़ दी और किसानी करने लगे...
![अपने खेतों में समर्थ जैन](https://images.yourstory.com/production/document_image/mystoryimage/0igg9r3v-48376264_500696447106113_8275811683381805056_n-(1).jpg?fm=png&auto=format&w=800)
अपने खेतों में समर्थ जैन
जब गाहे-बगाहे खबर आती है कि देश के किसी हिस्से में कोई बेहतरीन पढ़ा-लिखा युवा नई, प्रगतिशील तकनीक का पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए खेती-किसानी कर रहा है तो उम्मीद की एक चमकीली किरण नजर आती है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है। ये एक जाना-माना वाक्य है, लेकिन भारत में किसानों की गई-गुजरी हालत इस वाक्य पर एक गाली की तरह है। किसानों को अपनी फसल का सही दाम नहीं मिलता, रासायनिक खाद से जमीनें बर्बाद हो रही हैं, पारंपरिक खेती में लागत की बढ़ती कीमतें उनको जीते जी मार रही हैं। इनमें से दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति ये भी है कि युवा पीढ़ी खेती-किसानी से लगातार दूर होती जा रही है। उनसे गेहूं और धान की फसल में फर्क पूछ लो तो नहीं पता होता है। ऐसे में जब गाहे-बगाहे खबर आती है कि देश के किसी हिस्से में कोई बेहतरीन पढ़ा-लिखा युवा नई, प्रगतिशील तकनीक का पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए खेती-किसानी कर रहा है तो उम्मीद की एक चमकीली किरण नजर आती है।
![अपनी प्रयोगशाला में समर्थ](https://images.yourstory.com/production/document_image/mystoryimage/sabxg9a9-48220070_347407055814272_2135713333074984960_n.jpg?fm=png&auto=format&w=800)
अपनी प्रयोगशाला में समर्थ
आज एक ऐसे ही युवा की प्रेरक और जरूरी जानकारी आप तक पहुंचा रही हूं, जिनका नाम है समर्थ जैन। छतीसगढ़ के एक छोटे से पहाड़ी जिले जशपुरनगर के बाशिन्दा हैं समर्थ। नोएडा में एमिटी यूनिवर्सिटी से एमटेक और फिर उसके बाद यूरोपीय देश बेल्जियम में बतौर रिसर्च साइंटिस्ट की शानदार नौकरी की। लेकिन ये रुतबा, चकाचौंध, मोटी तनख्वाह छोड़कर समर्थ अपने देश भारत वापस लौट आते हैं, जशपुरनगर में अपने पुरखों की लंबी-चौड़ी फालतू पड़ी जमीन पर नए तरीके से किसानी करने।
दिमाग में एक उद्देश्य कील की तरह बंधा रहता है, यहां के किसानों को खेती के फायदेमंद और प्रकृति के करीब वाले तौर-तरीकों के बारे में एजुकेट करना। उसका मॉडल का खाका बना लिया गया कि पहले अपने खेतों में अपने इलाके में उपलब्ध संसाधनों से ही शानदार फसल उगाकर दिखाएंगे, जिससे कि बाकी के स्थानीय किसान इससे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ सकें। शहरों की तरफ पलायन रुके। खेती-किसानी सबसे सम्मानजनक प्रॉफेशन में से एक बन जाए। ज्यादा से ज्यादा रोजगार पा जाएं और पर्यावरण का दोहन कम से कम हो।
![समर्थ के प्रयासों और सोच के लिए छत्तीसगढ़ सरकार भी उन्हें सम्मानित कर चुकी है](https://images.yourstory.com/production/document_image/mystoryimage/gtj826jy-48391303_1205306642955640_7696948287718293504_n.jpg?fm=png&auto=format&w=800)
समर्थ के प्रयासों और सोच के लिए छत्तीसगढ़ सरकार भी उन्हें सम्मानित कर चुकी है
इस पूरे प्रोजेक्ट का नाम रखा गया, 'वैदिक वाटिका'। योरस्टोरी से बातचीत में समर बताते हैं, वैदिक वाटिका में हम वर्मी कम्पोस्ट और वेस्ट से बनी खाद का ही प्रयोग करते हैं। हमने यहां पर फसलों में विविधता रखी है। आपको यहां मटर भी मिलेगी, मूली भी तो वहीं फलदार वृक्ष भी। हमारी कोशिश रहती है कि प्राचीन और आधुनिक विज्ञान के समायोजन से हम कैसे उन्नतशील खेती कर सकें। रासायनिक खादें और दवाएं पर्यावरण, जमीन, फसल और इंसानों को किस कदर नुकसान पहुंचा रही हैं, इस बात से अब कोई भी अंजान नहीं है। लेकिन लोग फिर भी रसायनों का इस्तेमाल करने पर मजबूर हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इसका कोई विकल्प नहीं है। हम उन्हें दिखा देना चाहते हैं कि जैविक खेती हर लिहाज से फायदेमंद है। एक बहुत जरूरी बात मैं लोगों को समझाना चाहता हूं कि केमिकल फार्मिंग में प्लांट को फीड करते हैं, जबकि ऑर्गेनिक फार्मिंग में हम मिट्टी को फीड करते हैं, क्योंकि मिट्टी का स्वास्थ्य अच्छा होगा तो फसलें अपने आप अच्छी होती रहेंगी।
![समर्थ के इस प्रोजेक्ट में गांव के दर्जनों लोगों को रोजगार दिया जा चुका है](https://images.yourstory.com/production/document_image/mystoryimage/clozw8l0-47689542_263162681022951_4439939819677679616_n.jpg?fm=png&auto=format&w=800)
समर्थ के इस प्रोजेक्ट में गांव के दर्जनों लोगों को रोजगार दिया जा चुका है
समर्थ ने वैदिक वाटिका में एक प्रयोगशाला भी बना रखी है, जिसमें वो अपनी पढ़ाई और नौकरी से मिले अनुभवों का बखूबी इस्तेमाल कर अपनी खेती को और सफल बनाने में जुटे रहते हैं। इस प्रयोगशाला में वो अपनी जमीन के अलग अलग हिस्सों की मिट्टी का सैम्पल लेकर उसका परीक्षण करते हैं। इसके अलावा वो दैनिक इस्तेमाल के ऑर्गैनिक प्रोडक्ट्स बनाने और उसे मार्केट में पहुंचाने का काम भी कर रहे हैं।
समर्थ की प्रयोगशाला और स्टोर में मच्छरों से बचाने वाला 'रक्षक' भी मौजूद है और जोड़ों के दर्द से निजात दिलाने वाला लोशन भी। पशुओं के लिए भी वो पौष्टिक आहार उपलब्ध कराते हैं। समर्थ का मानना है कि आधुनिक और प्राचीन दोनों ही विज्ञानों के सही समायोजन से हम अच्छा उत्पाद भी पा सकते हैं और प्रकृति की रक्षा भी कर सकते हैं। खेती-किसानी के लिए अंग्रेजी में पढ़ी किताबों के अलावा समर्थ 'वृक्षस्य आयुर्वेद' जैसे ग्रंथों को भी पढ़ते रहते हैं।
![समर्थ की प्रयोगशाला में तैयार किए गए प्रोडक्ट](https://images.yourstory.com/production/document_image/mystoryimage/wrt5dx83-48269001_218454635714016_4435252880781344768_n.jpg?fm=png&auto=format&w=800)
समर्थ की प्रयोगशाला में तैयार किए गए प्रोडक्ट
समर्थ के इस प्रोजेक्ट में गांव के दर्जनों लोगों को रोजगार दिया जा चुका है। रोजगार देने के साथ ही समर्थ का फोकस रहता है कि गांव के लोग स्वावलंबी बनें। इस काम से समर्थ को साल भर में कुछ लाख का प्रॉफिट भी हो रहा है। समर्थ के मुताबिक, अभी तो हमें बहुत काम करना बाकी है। हम हर दिन कुछ नया करने की सोचते रहते हैं। अच्छी बात ये है कि समर्थ की इस पहल में उनकी पत्नी और पूरा परिवार उनके साथ सहर्ष खड़ा रहता है।
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