आज दोपहर बाद चांद के लिए उड़ान भरने जा रहा है 'बाहुबली' चंद्रयान-2
अपनी 48 दिन की यात्रा पर निकल रहा 3,850 किलोग्राम वजनी 'बाहुबली' जीएसएलवी मार्क-।।। रॉकेट भारत के सपने को चंद्रयान-2 के रूप में चांद पर ले जा रहा है। आज इसे अपराह्न 2:43 बजे चेन्नई से लगभग सौ किमी दूर सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र में दूसरे लॉन्च पैड से चांद के लिए प्रक्षेपित किया जा रहा है।
आज अपराह्न 2:43 पर भारत के दूसरे महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 को सबसे शक्तिशाली रॉकेट जीएसएलवी-मार्क III-एम1 के माध्यम से चेन्नई से लगभग 100 किलोमीटर दूर सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र में दूसरे लॉन्च पैड से चांद के लिए प्रक्षेपित किया जा रहा है। गौरतलब है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने इससे पहले 15 जुलाई को मिशन के प्रक्षेपण से 56 मिनट 24 सेकंड पहले मिशन नियंत्रण कक्ष से घोषणा के बाद रात 1.55 बजे इसे रोक दिया था। क्रायोजेनिक इंजन में लीकेज के चलते लॉन्चिंग को कुछ वक्त पहले ही स्थगित कर दिया गया था। कई दिग्गज वैज्ञानिकों ने इस कदम के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को सराहा था।
इस मिशन पर कुल 978 करोड़ रुपए की लागत आई है। एक बार असफल हो चुके इसरो ने मिशन चंद्रयान की कामयाबी के लिए दोबारा रिहर्सल कर लिया है। इसका काउंटडाउन कल रविवार शाम 6.43 बजे से ही शुरू हो गया था। श्रीहरिकोटा पहुंच चुके इसरो प्रमुख के सिवन ने कहा है कि हमारा यह मिशन कामयाब होने जा रहा है। 15 जुलाई को सामने आई तकनीकी खामी को दूर कर लिया गया है। वैज्ञानिक चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में चन्द्रयान-2 के लैंडर को उतारेंगे, जहां अब तक कोई देश नहीं गया है।
आज चंद्रयान-2 अपनी 48 दिन की यात्रा पर जा रहा है, जो पृथ्वी से करीब 182 किलो मीटर की ऊंचाई पर जीएसएलवी-एमके-3 रॉकेट से अलग होकर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाएगा। आज से ग्यारह वर्ष पूर्व इसरो ने अपने पहले सफल चंद्र मिशन 'चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण किया था, जिसने चंद्रमा के 3,400 से अधिक चक्कर लगाए। वह 29 अगस्त, 2009 तक (312 दिन) काम करता रहा। अपने ताज़ा प्रक्षेपण-मिशन के बारे में इसरो ने नई तिथि की घोषणा करते हुए 18 जुलाई को ट्वीट किया था कि 3,850 किलोग्राम वजनी 'बाहुबली' जीएसएलवी मार्क-।।। रॉकेट अब अरबों लोगों के सपने को 'चंद्रयान-2 के रूप में चंद्रमा पर ले जाने के लिए तैयार है, जिसे अपने साथ एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर लेकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना है। इस बार पृथ्वी के ऑर्बिट में जाने का समय करीब एक मिनट बढ़ा दिया गया है। अब चंद्रयान-2 974.30 सेकंड (करीब 16.23 मिनट) में पृथ्वी से 181.65 किमी की ऊंचाई पर पहुंचेगा। इससे पहले चंद्रयान-2 को 973.70 सेकंड (करीब 16.22 मिनट) में पृथ्वी से 181.61 किमी पर जाना था।
गौरतलब है कि चांद पर इंसान के पहुंचने के पांच दशक पूरे हो चुके हैं। भारत के अलावा और भी कई देश चांद पर अपने मिशन भेजने की तैयारी में हैं। ऐसे में चंद्रमा पर पहुंचने वाले नासा के मिशन की 50वीं सालगिरह पर उसकी यादें दुनिया भर में ताज़ा की जा रही हैं। इससे पहले नासा ने चांद पर पहुंचने के लिए अपोलो नाम का यान तैयार किया था, जिससकी पहली उड़ान 11 अक्टूबर 1968 को अपोलो-7 मिशन के तहत हुई थी, जिसे धरती की कक्षा की सैर के लिए भेजा गया था। अपोलो-1 मिशन के सभी यात्रियों की मौत के बाद उसे पूरी तरह नए सिरे से डिज़ाइन किया गया था। अपोलो-7 पर बहुत कुछ निर्भर था। अगर वह मिशन नाकाम होता, तो शायद नील आर्मस्ट्रॉन्ग कभी भी अपने क़दम चांद पर नहीं रख पाते। अपोलो-7 के लॉन्च होने के कुछ घंटों के भीतर ही वैली शिरा को ज़ुकाम हो गया था, जिसका पूरे मिशन पर बहुत गहरा असर पड़ा।