41 साल से अपनी 'ऑटो एम्बुलेंस' के जरिए घायलों की मदद कर रहे हैं 76 वर्षीय हरजिंदर
July 20, 2019, Updated on : Thu Sep 05 2019 07:33:06 GMT+0000
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दिन की शुरुआत होते ही दिल्ली के लोग जहां अपने-अपने काम के लिए भागते हैं वहीं 76 वर्षीय हरजिंदर सिंह अपनी 'ऑटो एम्बुलेंस' के जरिए सड़क हादसों में घायल लोगों को हॉस्पिटल तक फ्री में पहुंचाते हैं। अपने इस नेक काम के अलावा, वह अपने पड़ोस में मरीजों को मुफ्त दवाइयां भी वितरित करते हैं। एएनआई की खबर के मुताबिक, वह अपनी आय का दसवां हिस्सा डायबिटीज के मरीजों के लिए दवाओं पर खर्च करते हैं। उनके ऑटो के पीछे लिखा उनका फोन नंबर लोगों के लिए इमरजेंसी नंबर बन गया है।
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76 वर्षीय हरजिंदर सिंह
हरजिंदर सिंह के काम से वाकिफ लोग उनका नंबर सेव कर लेते हैं और जब भी दवा की जरूरत होती है उन्हें फोन करते हैं। अगर हरजिंदर उस एरिया में मौजूद होते हैं तो वह फोन करने वाले का एड्रेस नोट कर लेते हैं और फ्री में उसके घर जाकर दवाएं देकर आते हैं।
सिंह वन-मैन आर्मी और भगवान के भेजे किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं। वह 1978 से अपने इस काम के जरिए लोगों की मदद फ्री में कर रहे हैं। यही नहीं वे अपनी आगे की जिंदगी में भी इसे जारी रखना चाहते हैं। हालांकि वह आपातकाल के समय लोगों का व्यवहार देखकर काफी हैरान होते हैं। द लॉजिकल इंडियन के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "मैंने देखा है कि लोग सड़कों पर घायल पड़े रहते हैं लेकिन अन्य लोग उनकी मदद करने के बजाय फोटो खींचते रहते हैं। अगर आप किसी जरूरतमंद की मदद नहीं कर सकते हैं तो फिर आपके इंसान होने का क्या मतलब है? जब मैंने ऑटो खरीदा तभी मुझे एहसास हुआ कि मैं इन लोगों की मदद करने की स्थिति में हूं।”
सिंह 1964 से एक ऑटो चालक के रूप में काम कर रहे हैं। तभी से वह अपने ऑटो में हमेशा बुनियादी चीजें जैसे कि पट्टियाँ, एंटीसेप्टिक लोशन और क्रीम, और पेरासिटामोल के साथ एक प्राथमिक चिकित्सा किट रखते आ रहे हैं। उनकी सामाजिक सेवा को देखते देते हुए, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने उन्हें ट्रैफिक पुलिस वार्डन बनाया और साथ ही प्रशंसा के कई सारे प्रमाण उन्हें दिए हैं।
आखिर वो कौन सी चीज है जिससे प्रेरित होकर सिंह यह काम करते हैं? इस पर बोलते हुए, सिंह ने द लॉजिकल इंडियन को बताया, “जिन लोगों की मैं मदद करता हूं यह उन लोगों का प्यार है जो मुझे मेरा काम जारी रखने के लिए प्रेरित करता है। मैं हमेशा नहीं रहूंगा लेकिन जब तक मैं जीवित रहूंगा, मैं उन लोगों के लिए जीऊंगा, जिन्हें मेरी जरूरत है। यदि हम मनुष्य एक-दूसरे के काम नहीं आते हैं, यदि हम केवल अपने लिए जीते हैं, तो जीने का क्या मतलब है? जब भी मैं किसी की मदद करता हूं, वे मेरा परिवार बन जाते हैं। मैं सभी से एक-दूसरे के प्रति दयालु होने और एक-दूसरे से प्यार करने का आग्रह करता हूं। इस तरह हम एक बेहतर दुनिया बना सकते हैं।”
हरजिंदर सिंह की सबसे बड़ी प्रेरणा उनके पिता और "भाई कन्हैया ब्रिगेड" है। "भाई कन्हैया ब्रिगेड" एक संगठन है जो देश भर में स्वास्थ्य शिविर चलाता है।
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