आईटी जॉब छोड़कर चेन्नई में शुरू किया मिल्कशेक ब्रांड, एक साल में कमाए 1 करोड़
चेन्नई की जलवायु उष्णकटिबंधीय है जिसके चलते यहां कोल्ड ड्रिंक्स, जूस और मिल्कशेक बेचने वालों के लिए एक अच्छा बिजनेस मार्केट है। जैसा कि यहां साल के ज्यादातर महीनों में मौसम गर्म रहता है इसलिए यहां इस तरह का बिजनेस भी साल के काफी दिनों तक चलता रहता है।
IMARC ग्रुप की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय मिल्कशेक बाजार 2019-2024 के दौरान 25 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है। इसके पीछे कई कारक हैं जैसे कि एक बड़ी युवा आबादी, बदलती लाइफस्टाइल, कन्वीनियंस, वैल्यू एडिशन, हेल्थ कॉन्शियस आदि। मिल्कशेक की इस बढ़ती मांग का अनुभव खुद चेन्नई के ब्रांड शेकोस (Shakos) के युवा संस्थापकों ने भी किया है।
राम दिनेश (25), किशोर थेनारसु (25) और तमीज सेलवन (25) ने 2017 में पहले फ्रायोस (Fryos) की शुरुआत की थी जहां वे एक छोटे से स्टॉल में डिफरेंट वैरायटीज की फ्रेंच फ्राइज बेचते बेचते थे। हालांकि इन आईटी प्रोफेशनल्स के मेन्यू में मिल्कशेक भी था। देखते-देखते फ्रायोस का मिल्कशेक काफी हिट हो गया। जिसके बाद इन तीनों संस्थापकों ने फ्रायोस की जगह शेकोस शुरू करने और अपने मिल्कशेक को एक्सक्लूसिव बेचने का फैसला किया।
ये शुरू कैसे हुआ
राम दिनेश कहते हैं: "शेकोस शुरू करने से पहले, हमने देखा कि चेन्नई में मिल्कशेक का प्राइस ज्यादा था, उनकी क्वालिटी उस प्राइस के साथ जस्टीफाई नहीं करती थी। हमने इसे मिल्कशेक के लिए एक बड़े अवसर के रूप में देखा।"
तीनों ने पाया कि ग्लोबल लेवल पर चेन्नई को रिप्रजेंट करने वाले क्विक सर्विस रेस्टोरेंट (क्यूएसआर) ब्रांडों की कमी है। दिनेश कहते हैं, "हम चेन्नई फूड मार्केट को आकार देने की दिशा में अपना योगदान देना चाहते थे। उस बाजार में जो अभी-अभी फलफूलना शुरू हुआ है। लगभग छह महीने के व्यापक शोध के बाद, हम मिल्कशेक की रेसिपी के साथ-साथ ऑपरेशन की योजना बनाने में सफल रहे।" तीनों संस्थापक अलग-अलग आईटी वर्टिकल से थे, जैसे सेल्स और मार्केटिंग, ग्रोथ, ऑपरेशंस आदि। लेकिन उनके लिए इस बिजनेस में ज्यादा मौके दिखे।
तीनों ने अपनी नौकरी छोड़ दी और शेकोस को 45 लाख रुपये के बूटस्ट्रैप्ड इनवेस्टमेंट के साथ शुरू किया। वह बताते हैं, "हमने लॉन्च के ठीक एक महीने के बाद सस्ती कीमत पर वेफल की पेशकश भी की। इससे हमें ग्राहकों को बनाए रखने में मदद मिली।"
सफलता की रेसिपी
लॉन्च के तुरंत बाद ही शेकोस के मिल्कशेक और वेफल्स काफी हिट हो गए। दो महीनों में, इसने चेन्नई के नुंगमबक्कम और बेसेंट नगर में दो दुकानों को फ्रेंचाइजी प्रदान की। दिनेश बताते हैं, "तीनों आउटलेट्स को जोमैटो और एलएलबी पर 650 से अधिक ग्राहकों द्वारा 4.5+ रेटिंग मिली है। इसके अलावा यह जोमैटो की हैंड-पिक्ड लिस्ट में भी शामिल है। सभी आउटलेट्स रात को 2 बजे तक खुले रहते हैं।"
केवेंटर्स की ही तरह, शेकोस बोतलों में मिल्कशेक बेचता है जिसे ग्राहक घर ले जा सकते हैं। शेकोस के क्लासिक शेक में वनीला, मैंगो, कॉफी, बटरस्कॉच, चॉकलेट चिप, आदि शामिल हैं। इनकी कीमत 160 रुपये (छोटा साइज) और 200 रुपये (बड़ा साइज) के बीच है।
ब्रांड प्रीमियम मिल्कशेक भी बेचता है। इसमें न्यूटेला, किट कैट, टिरमिसु, कॉफी हेजलनट, बनाना पॉपकॉर्न जैसे युनिक फ्लेवर वाले मिल्कशेक की एक सीरीज शामिल है। इनकी कीमत 180 रुपये (छोटा साइज) और 210 रुपये (बड़ा साइज) के बीच है।
मोमोज (99 रुपये) और लोडेड फ्राइज (129 रुपये) भी मेन्यू में शामिल है। कई तरह के फूड प्रोडक्ट्स और प्राइसिंग मॉडल के साथ, शेकोस ने लॉन्च के एक साल बाद ही 1 करोड़ रुपये का रिवेन्यू दर्ज किया, और इस वर्ष के अंत तक 5 करोड़ रुपये का लक्ष्य है।
ग्रोथ स्ट्रेटजी
संस्थापकों का लक्ष्य इस साल 50 आउटलेट और अगले दो वर्षों में 200 आउटलेट खोलने का है। दिनेश कहते हैं कि बेंगलुरु, कोयम्बटूर और मुंबई में मास्टर फ्रेंचाइजी के लिए संभावित पार्टनरशिप पर काम चल रहा है। हालांकि शेकोस के लिए बड़े मिल्कशेक ब्रांडों से मुकाबला करना आसान नहीं होगा। शेकोस के शुरू होने के बाद से ही संस्थापकों के सामने यह एक चुनौती पहले से ही मौजूद है।
दिनेश बताते हैं, "पहले से स्टैबलिश मिल्कशेक ब्रांडों में बड़ा इनवेस्टमेंट हुआ है, और बाजार में बहुत सारे मिल्कशेक ब्रांड पहले ही मौजूद हैं। लेकिन हम अब तक यहां टिके हुए हैं क्योंकि हमारा परिचालन काफी सिंपल है, हमारा टेस्ट युनिक है और हमारी प्राइसिंग ग्राहकों के मुफीद है।"
उन्होंने आगे कहा कि शेकोस विभिन्न शहरों में क्लाउड किचन मॉडल भी देख रहा है। वे कहते हैं, "पूरे भारत भर में विस्तार करने के लिए रोडमैप सकारात्मक दिख रहा है और क्लाउड किचन को न्यूनतम निवेश के साथ शुरू किया जा सकता है।" शेकोस फिलहाल बूटस्ट्रैप्ड रहना चाहता है। दिनेश कहते हैं, "हमारे ग्राहक हमारे सबसे बड़े निवेशक हैं।"