RRR और कश्‍मीर फाइल्‍स को पछाड़ते हुए ऑस्‍कर के लिए पहुंची यह गुजराती फिल्‍म

फिल्‍म गुजरात के सौराष्‍ट्र में एक छोटे से गांव में रहने वाले 9 साल के बच्‍चे की कहानी है और उस की नजर से सिनेमा के जादू को ढूंढने की कोशिश.

RRR और कश्‍मीर फाइल्‍स को पछाड़ते हुए ऑस्‍कर के लिए पहुंची यह गुजराती फिल्‍म

Wednesday September 21, 2022,

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95वें एकेडमी अवॉर्ड्स में बेस्‍ट इंटरनेशनल फीचर फिल्‍म श्रेणी के लिए इस बार भारत की तरफ से छेलो शो (लास्‍ट फिल्‍म शो) को चुना गया है. फिल्‍म फेडरेशन ऑफ इंडिया ने मूलत: गुजराती भाषा में बनी इस फिल्‍म का दुनिया के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित फिल्‍म अवॉर्ड में भेजने के लिए चयन किया है, जहां इसका मुकाबला दुनिया भर के देशों से आई विभिन्‍न भाषाओं में बनी बेहतरीन फिल्‍मों से होगा. इस बार छेलो शो के साथ मुकाबले में कश्‍मीर फाइल्‍स और आरआरआर जैसी फिल्‍में भी शामिल थीं. इस फिल्‍म के राइटर और डायरेक्‍टर पैन नलिन हैं. प्रोड्यूस किया है धीर मोमाया ने.  

यह फिल्‍म गुजरात के सौराष्‍ट्र में एक छोटे से गांव में रहने वाले 9 साल के बच्‍चे की कहानी है और उस बच्‍चे की नजर से जीवन और सिनेमा के जादू को ढूंढने की कोशिश. फिल्‍म में गुजरात के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ एक बच्‍चे की निश्‍छल निगाह से उस सिनेमाई फंतासी को देखने की कोशिश है, जिसका जादू देश, काल, समय के पार है.

फिल्‍म उस दौर की कहानी है, जब हिंदुस्‍तान में सिनेमा धीरे-धीरे बदल रहा है. सेल्‍यूलॉइड से डिजि‍टल हो रहा है. बड़े सिंगल स्‍क्रीन सिनेमा हॉल धीरे-धीरे विलुप्‍त होने की कगार पर हैं. और एक बच्‍चा है, जो अपने गांव के पास एक पुराने सिंगल स्‍क्रीन सिनेमा हॉल में प्रोजेक्‍टर चलाने वाले व्‍यक्ति को किसी तरह मनाकर प्रोजेक्‍शन रूम में जाकर फिल्‍में देखता है.

फिल्‍म की कहानी कुछ हद तक 1988 में बनी इटैलियन कल्‍ट फिल्‍म सिनेमा पैरादिसो से मिलती-जुलती लगती है, जो एक गांव के गरीब बच्‍चे के सिनेमा के मोह में बंधने और फिर एक दिन बड़ा फिल्‍मकार बनने की कहानी है.

हालांकि इस फिल्‍म को पैन नलिन की आटोबायोग्रफिकल फिल्‍म बताया जा रहा है, जो खुद उनके जीवन की कहानी पर आधारित है. पैन नलिन का जन्‍म गुजरात के एक छोटे से गांव में हुआ था. 21 साल पहले 2001 में उन्‍होंने पहली फिल्‍म बनाई थी- समसारा, जो पूरी दुनिया में काफी देखी और सराही गई. यह फिल्‍म न सिर्फ क्रिटिकली एक्‍लेम्‍ड रही, बल्कि कमर्शियल सक्‍सेस भी. फिल्‍म एक बौद्ध भिक्षु की कहानी है, जो सत्‍य और शांति की तलाश में है.

समसारा के बाद पैन नलिन ने वैली ऑफ फ्लावर्स, आयुर्वेद: आर्ट ऑफ बीइंग और एंग्री इंडियन गॉडसेस नाम की फिल्‍में भी बनाईं, जो क्रिटिकली एक्‍लेम्‍ड रहीं. छेलो शेा में भाविन राबरी, विकास बाटा, रिचा मीणा, भावेश श्रीमाली, दीपेन रावल और राहुल कोली ने अभिनय किया है.

पहली बार इस फिल्‍म का इंटरनेशनल प्रीमियर रॉबर्ट डिनेरो के ट्रिबेका फिल्‍म फेस्टिवल में हुआ, जहां इस फिल्‍म को कई अवॉर्ड्स से नवाजा गया. स्‍पेन में हुए 66वें Valladolid Film Festival में छेलो शो को गोल्‍डन स्‍पाइक अवॉर्ड मिला.

पैन नलिन इस फिल्‍म को एकेडमी अवॉर्ड के लिए भेजे जाने से काफी खुश हैं. मीडिया को दिए इंटरव्‍यू में उन्‍होंने कहा कि मैंने कभी कल्‍पना में भी नहीं सोचा था कि ऐसा दिन भी आएगा. छेलो को पूरी दुनिया में सराहना और प्‍यार मिल रहा था, लेकिन फिर भी मेरे मन में एक कसक थी कि अपने देश, अपनी जमीन में इस फिल्‍म को कैसे वही प्‍यार और स्‍वीकार मिले. अब मैं बहुत खुश हूं, राहत की सांस ले रहा हूं कि अपने घर और जमीन में भी इस फिल्‍म को लोगों ने पहचाना है. मैं फिल्‍म फेडरेशन ऑफ इंडिया और ज्‍यूरी का बहुत शुक्रगुजार हूं.” पैन नलिन और धीर मोमाया दोनों कोउ उम्‍मीद है कि ये‍ फिल्‍म भारत के लिए गौरव साबित होगी.

पूरी दुनिया में दर्शकों और समीक्षकों का दिल जीतने वाली यह फिल्‍म अगले महीने की 14 तारीख को गुजरात समेत देश भर के सिनेमाघरों में रिलीज होगी. उम्‍मीद है, भारत में भी इस फिल्‍म को वही कमर्शियल सक्‍सेस मिलेगी, जो स्‍पेन समेत दुनिया के कुछ देशों में रिलीज होने के बाद मिली.


Edited by Manisha Pandey