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काश अमेरिका ने सुनी होती अनिता हिल की चेतावनी

अमेरिका में अबॉर्शन पर प्रतिबंध लगाने के आदेश के बाद लोग अनिता हिल का मामला याद कर रहे हैं जिसमें उन्होंने एक जज पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे. इस मामले को वहाँ अब वर्कप्लेस में हैरेसमेंट की पहली चेतावनी के तौर पर देखा जाता है. तब वह चेतावनी लेकिन सुनी नहीं गई थी.

काश अमेरिका ने सुनी होती अनिता हिल की चेतावनी

Tuesday June 28, 2022 , 6 min Read

तीन दिन पहले अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के जिन पांच जजों ने अमेरिका में हर तरह के गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने वाला निर्णय दिया, उनमें से एक का नाम क्‍लेरेंस थॉमस है, जो 1991 से सुप्रीम कोर्ट के जज हैं. क्‍लेरेंस जब सुप्रीम कोर्ट के जज बने, तब भी 49 फीसदी अमेरिकन और 100 फीसदी फेमिनिस्‍ट संगठनों से जुड़ी महिलाएं इस फैसले के खिलाफ थीं क्‍योंकि क्‍लेरेंस थॉमस पर अपने तीन दशक लंबे कॅरियर में कई महिलाओं के साथ वर्कप्‍लेस पर यौन शोषण करने का आरोप था.

आरोप लगा. जांच भी हुई, लेकिन जांच के दौरान और उसके बाद जो हुआ, वो कहानी तकलीफदेह है.

प्रेसिडेंट बुश का नॉमिनेशन और FBI की कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट

यह कहानी शुरू होती है 1991 से. तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति सीनियर जॉर्ज बुश ने क्‍लेरेंस थॉमस नामक जज का नाम सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए नामित किया. क्‍लेरेंस थॉमस उस वक्‍त डिस्ट्रिक्‍ट ऑफ कोलंबिया के यूएस कोर्ट ऑफ अपील्‍स में जज थे.

थॉमस के नाम पर सीनेट में फाइनल वोटिंग होने से कुछ दिन पहले मीडिया में एफबीआई की एक कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट लीक हो गई. यह रिपोर्ट क्‍लेरेंस थॉमस के खिलाफ लगे कुछ सेक्‍सुअल हैरेसमेंट के आरोपों के बारे में थी.

जिस महिला का उस रिपोर्ट में जिक्र था, उसने खुद से सामने आकर अपनी कहानी कभी नहीं सुनाई थी. जब टेलीविजन पर ये खबरें आ रही थीं कि प्रेसिडेंट बुश ने जज थॉमस को सुप्रीम कोर्ट के लिए नामित किया है, तब ओक्‍लाहोमा के अपने घर में ये खबर देखते हुए उसे दुख तो महसूस हुआ, लेकिन आगे बढ़कर अपना और उस जज का सच बताने की उसने तब भी हिम्‍मत नहीं की.

ये 1991 का साल था. आज से 31 साल पहले मर्दों के खिलाफ सेक्‍सुअल हैरेसमेंट के मामलों में न्‍यायालय में भी औरतों को न्‍याय नहीं मिलता था. उनकी बात पर कोई यकीन नहीं करता था. तब तो और भी नहीं, जब मर्द जज थॉमस की तरह ताकतवर और रसूख वाला आदमी हो.

वो महिला थीं प्रोफेसर अनिता हिल

उस औरत का नाम था अनिता हिल. वह ओक्‍लाहोमा यूनिवर्सिटी में लॉ की प्रोफेसर थीं. बहुत साल पहले यूनाइटेड स्‍टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एजूकेशन और EEOC (Equal Employment Opportunity Commission) में अनिता हिल ने जज थॉमस के साथ काम किया था. थॉमस उसके बॉस थे. अनिता बहुत जूनियर थीं. यह उनके कॅरियर की शुरुआत थी.

मीडिया में खबर लीक होने के बाद यह सीनेट ज्‍यूडिशिरी कमेटी की जिम्‍मेदारी बन गई थी कि वह मामले की पूरी जांच करे. लेकिन इस जांच की पूरी कहानी एक प्रहसन की तरह लगती है. एक स्‍टेज्‍ड ड्रामा, जिसमें ज्‍यूडिशियरी के सदस्‍यों ने पहले से अपने दिमाग में ये तय कर रखा था कि फैसला क्‍या होना है. वो चाहते थे कि अनिता हिल की क्रेडिबिलिटी  को खत्‍म कर दिया जाए और जज थॉमस निर्दोष साबित हो जाएं.

राष्‍ट्रपति बुश के ऑफिस से यह सीधा निर्देश था कि राष्‍ट्रपति का चुना हुआ व्‍यक्ति गलत साबित नहीं होना चाहिए. जांच की पूरी प्रक्रिया, जिसका सीधा प्रसारण टीवी पर हुआ था, एक नौटंकी से ज्‍यादा कुछ नहीं थी.

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अनिता हिल केस में जो बाइडेन की भूमिका

आज अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन उस ज्‍यूडिशयरी कमेटी के हैड थे. अनिता हिल केस में बाइडेन की भूमिका को अक्सर विवादास्पद माना गया है. 2020 के चुनाव से पहले जो बाइडेन ने कभी इस पर सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा था.

2020 में अपने प्रेसिडेंशियल कैंपेन के दौरान बाइडेन ने पहली बार एक टेलीविजन इंटरव्‍यू के दौरान इस बारे में बात की और उसके लिए माफी मांगी. यह मीटू मूवमेंट के बाद का दौर था. ऐसा माना जाता है कि बाइडेन ने चुनाव के दौरान इस मामले के बारे में सम्भावित सार्वजनिक पूछताछ से बचने के लिए ही खुद इस पर बोलने का फ़ैसला किया था.

एक टीवी इंटरव्‍यू के दौरान बाइडेन ने कहा, “मुझे पता है निष्‍पक्ष ढंग से उस केस की सुनवाई में मैंने वो सबकुछ नहीं किया, जो मुझे करना चाहिए था.” इतना ही नहीं जो बाइडेन ने निजी तौर पर अनिता हिल से मिलकर भी माफी मांगी और कहा, “आपने इस देश में सेक्‍सुअल हैरेसमेंट के विरुद्ध जागरूकता फैलाने और इस कल्‍चर को बदलने के लिए जो काम किया है, उसकी मैं सराहना करता हूं.”

सीनेट की ज्‍यूडिशयरी कमेटी की भूमिका

10 सितंबर 1991 को सीनेट ज्‍यूडिशयरी कमेटी की हियरिंग शुरू हुई और 10 दिनों तक चली. सबसे पहले अनिता हिल को कमेटी के सामने अपना स्‍टेटमेंट देना था, लेकिन ऐन मौके पर इसे उलटते हुए कमेटी ने पहले जज थॉमस को अपना स्‍टेटमेंट देने के लिए बुलाया.

अगले दिन अनिता हिल ने अपने स्‍टेटमेंट में विस्‍तार से बताया कि किस तरह जज थॉमस उनसे ऑफिस में हमेशा पोर्नोग्राफी, सेक्‍स, पोर्न स्‍टार्स जैसे विषयों पर बात करने की कोशिश करते थे. बार-बार उन्‍हें अपने साथ बाहर सोशलाइज करने के लिए कहते थे. जज थॉमस ने इन सारे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और जो बाइडेन समेत सारे सदस्‍यों ने अनिता हिल से बार-बार उस डीटेल्‍स को दोहराने के साथ-साथ ऐसे सवाल पूछे, जो बहुत शर्मनाक थे.

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उस ज्‍यूडिशयरी कमेटी के सदस्‍यों के सवाल अनिता हिल को डिसक्रेडिट करने वाले और जज थॉमस का बचाव करने वाले थे. महिलाओं की संवेदना और समर्थन अनिता हिल के साथ था, बहुसंख्‍यक समर्थन अभी भी थॉमस के पक्ष में था.

इस केस के दौरान जज थॉमस की दो और पुरानी महिला सहकर्मियों ने भी जज थॉमस पर ऐसे ही आरोप लगाए लेकिन सीनेट कमेटी ने उन महिलाओं को कभी ज्‍यूडिशियरी के सामने पेश ही नहीं होने दिया.

केस की सारी सुनवाई और ज्‍यूडिशियरी का व्‍यवहार अनिता को इतना अपमानजनक लगा कि अंतिम फैसला सुनने से पहले वह अपने घर वापस लौट गईं. सीनेट कमेटी ने जज थॉमस को क्‍लीन चिट दे दी. सीनेट में 52 वोट थॉमस के समर्थन में पड़े और 48 विरोध में. जज थॉमस सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्‍त हो गए.

अनिता हिल के नाम देश भर की औरतों के खत

अनिता हिल को ज्‍यूडिशियरी से तो न्‍याय नहीं मिला, लेकिन जब वो लौटकर यूनिवर्सिटी गईं तो वहां ऑफिस में उनके नाम देश भर से आई चिट्ठियों का अंबार लगा हुआ था. ये चिट्ठियां उन तमाम औरतों ने उन्‍हें लिखी थीं, जिन्‍होंने उनकी टेस्‍टीमनी को टीवी पर देखा था. उन औरतों ने वर्कप्‍लेस पर अपने सेक्‍सुअल अब्‍यूज और हैरेसमेंट की कहानियां लिखी थीं, जो उन्‍होंने किसी को नहीं सुनाईं.

ऐसा लगता है कि देश भर की तमाम बेनाम औरतों को अनिता हिल पर यकीन था, सीनेट ज्‍यूडिशयरी कमेटी के ताकतवर मर्दों को नहीं था.