गरीब बच्चों को शिक्षा मिल सके इसके लिए खुले आसमान में शुरू की क्लास, आज 60 से अधिक छात्र हो रहे हैं शिक्षित
हमारे देश में शिक्षा एक मूलभूत अधिकार है, हालांकि गरीबी व अन्य पारिवारिक परिस्थितियों के चलते आज भी बड़ी संख्या में बच्चे बुनियादी शिक्षा से भी वंचित रह जाते हैं। ऐसे में गरीब बच्चों को भी शिक्षा का बराबर मौका मिल सके इसके लिए रांची के एक शिक्षक ने बड़ी ही सराहनीय पहल शुरू की है।
कोरोना महामारी के बाद बनी परिस्थितियों और लागू हुए लॉकडाउन के चलते देश भर के स्कूलों में पढ़ाई ऑनलाइन मोड पर चली गई है, ऐसे में जिन गरीब बच्चों की कम्यूटर या स्मार्टफोन तक पहुंच नहीं है उनके लिए इस दौरान अपनी पढ़ाई को सुचारु रूप से जारी रखना एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है।
इसी समस्या को हल करने का प्रयास करते हुए जिले के एक उर्दू प्राइमरी स्कूल के प्रधानाचार्य आज गरीब परिवारों से आए बच्चों के लिए ईदगाह मैदान पर ही कक्षाओं का संचालन कर रहे हैं।
60 से अधिक छात्र हो रहे हैं शिक्षित
रांची के पास स्थित खिजूर टोली के राजकीय उर्दू प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य नसीम अहमद आज हर दिन कई बैचों में 60 से अधिक छात्रों के लिए कक्षाएं संचालित कर रहे हैं। मीडिया से बात करते हुए अहमद ने कहा कि वह इन बच्चों की दुर्दशा को देखकर हिल गए थे क्योंकि लॉकडाउन के दौरान इन बच्चों के लिए अपनी पढ़ाई को जारी रख सकने के लिए उनके घरों में कोई मोबाइल फोन या लैपटॉप नहीं था।
नसीम अहमद ने इन कक्षाओं का संचालन शुरू करने से पहले इन बच्चों से माता-पिताओं से बात कर अपनी इस खास सेवा की पेशकश की थी। प्रधानाचार्य की बात को सुनकर सभी माता-पिता फौरन ही अपने बच्चों को उनकी कक्षा में भेजने के लिए राजी हो गए थे।
इस तरह से इन खास कक्षाओं की शुरुआत हुई, हालांकि बीते साल अप्रैल महीने में कोरोना महामारी की घातक दूसरी लहर के बाद कक्षाओं को करीब तीन महीने तक रोकना पड़ गया था। महामारी का प्रकोप जैसे ही कम हुआ कक्षाओं का संचालन फिर से शुरू कर दिया गया था।
होता है कोविड प्रोटोकॉल का पालन
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के साथ हुई बातचीत में नसीम अहमद ने बताया है कि जिन बच्चों के पास स्मार्ट फोन नहीं है या जिनके पास केवल एक स्मार्ट फोन है, उन्हें ईदगाह मैदान में कक्षाओं के लिए बुलाया जाता है।
आज केजी से लेकर कक्षा 5 तक के छात्रों के लिए अलग-अलग बैचों में तीन घंटे के लिए कक्षाएं संचालित की जाती हैं। गौरतलब है कि इन कक्षाओं के संचालन के दौरान भी कोविड प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया जाता है।
मालूम हो कि ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे छात्र भी इन कक्षाओं में हिस्सा लेने के लिए स्वतंत्र हैं। स्थानीय लोग भी नसीम अहमद की इस पहल से खुश हैं क्योंकि आज उनके बच्चे स्मार्ट फोन न होने के बावजूद अपनी कक्षाएं जारी रखने में सक्षम हैं।
इस सराहनीय पहल के जरिये उन माता-पिता को सीधे तौर पर राहत मिली है जो अपने बच्चों के लिए स्मार्टफोन नहीं खरीद सकते हैं। स्थानीय लोगों ने नसीम अहमद की इस पहल के लिए उन्हें धन्यवाद भी दिया है।
Edited by Ranjana Tripathi