कोरोनावायरस संक्रमण के बाद पांच महीने के लिए विकसित हो जाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता: अध्ययन
October 14, 2020, Updated on : Wed Oct 14 2020 11:04:31 GMT+0000

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अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि प्रतिरक्षा तंत्र की प्रतिक्रिया के दूसरे चरण में दीर्घकाल तक जीवित रहने वाली प्लाज्मा कोशिकाएं पैदा होती हैं जो उच्च गुणवत्ता वाली एंटीबॉडी बनाती हैं जिनसे लंबे समय तक रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है।

सांकेतिक फोटो, साभार : Indianexpress.com
वाशिंगटन : अमेरिका में भारतीय मूल के एक अनुसंधानकर्ता के अध्ययन में सामने आया है कि एक बार कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद शरीर में कम से कम पांच महीने के लिए कोविड-19 के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है।
एरिजोना विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने कोरोना वायरस से संक्रमित हुए लगभग छह हजार लोगों के नमूनों में उत्पन्न हुए एंडीबॉडी का अध्ययन किया।
विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर दीप्ता भट्टाचार्य ने कहा,
“हमने स्पष्ट रूप से उच्च गुणवत्ता वाले एंटीबॉडी देखे जो संक्रमण होने के पांच से सात महीने बाद भी उत्पन्न हो रहे थे।”
अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि जब वायरस कोशिकाओं को पहली बार संक्रमित करता है तब प्रतिरक्षा तंत्र, वायरस से लड़ने के लिए कुछ देर जीवित रहने वाली प्लाज्मा कोशिकाओं को तैनात करता है जो एंटीबॉडी उत्पन्न करती हैं और संक्रमण होने के 14 दिन बाद तक रक्त की जांच में यह एंटीबॉडी सामने आती हैं।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि प्रतिरक्षा तंत्र की प्रतिक्रिया के दूसरे चरण में दीर्घकाल तक जीवित रहने वाली प्लाज्मा कोशिकाएं पैदा होती हैं जो उच्च गुणवत्ता वाली एंटीबॉडी बनाती हैं जिनसे लंबे समय तक रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है।
भट्टाचार्य और उनके सहयोगियों ने कई महीनों तक कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों में एंटीबॉडी के स्तर का अध्ययन किया।
अनुसंधानकर्ताओं को पांच से सात महीने तक रक्त की जांच में कोरोना वायरस एंटीबॉडी प्रचुर मात्रा में मिले। उनका मानना है कि प्रतिरोधक क्षमता इससे अधिक समय तक रह सकती है।
(सौजन्य : PTI)
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