कोविड-19: मेलिंडा गेट्स ने ट्रंप प्रशासन को दिया “डी-माइनस ग्रेड”
वाशिंगटन, अमेरिका में सामाजिक सरोकारों के लिए काम करने वाली मेलिंडा गेट्स ने कोविड-19 से उपजी स्थिति से निपटने के लिए ट्रंप प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों की जम कर आलोचना करते हुए उसे ‘‘डी-माइनस” ग्रेड दिया ।
उन्होंने अमेरिका में महामारी को फैलने से रोकने के वास्ते अधिक से अधिक लोगों की जांच करने और संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की तलाश करने पर बल दिया है।
जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में अब तक बारह लाख से अधिक लोग कोविड-19 संक्रमण का शिकार हो चुके हैं और 76,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
अमेरिकी मीडिया प्रकाशन पॉलिटिको में बृहस्पतिवार को प्रकाशित खबर के अनुसार बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की सह-अध्यक्ष मेलिंडा गेट्स (55) ने महामारी से लड़ने के वास्ते अमेरिका के पचास राज्यों के गवर्नरों द्वारा अपने राज्यों में उठाए जा रहे अलग-अलग कदमों पर चिंता जाहिर की और कहा कि इन प्रयासों में उच्च स्तरीय समन्वय की आवश्यकता है।
खबर के अनुसार गेट्स ने घातक विषाणु को फैलने से रोकने के लिए एक समेकित राष्ट्रीय योजना के अभाव पर ट्रंप प्रशासन को आड़े हाथों लिया और उन्हें “डी-माइनस” ग्रेड दिया।
गेट्स ने कहा कि संक्रमण की जांच और टीका विकसित करने के लिए और अधिक धन की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा,
“अगर हमें अन्य देशों का उदाहरण ही लेना है तो जर्मनी से सीखना चाहिए और जांच करनी चाहिए।”
पॉलिटिको को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा,
“हमें पहले स्वास्थ्य कर्मियों की जांच करनी चाहिए और उसके बाद कमजोर लोगों की। हमें संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की तलाश करनी चाहिए। हमें सुरक्षा और स्वास्थ्य के उपायों को ध्यान में रखते हुए धीरे-धीरे स्थानों को खोलने के बारे में सोचना शुरू करना चाहिए। लेकिन हमारे प्रयासों में समन्वय की कमी है। अमेरिका में यही सत्य है।”
गेट्स ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका की ओर से प्रतिक्रिया की कमी की भी आलोचना की।
उन्होंने कहा,
“अफ्रीका में अभी शुरुआत हुई है। आप वहां इससे अधिक भोजन की कमी और स्वास्थ्य समस्याएं देखने वाले हैं।”
उन्होंने कहा,
“और जब वहां यह सब होगा तो इसका प्रभाव यूरोप और अमेरिका पर भी पड़ेगा। अभी तक अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया में और अधिक काम किए जाने की आवश्यकता है। अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर अमेरिका की प्रतिक्रिया नगण्य रही है।”
Edited by रविकांत पारीक