अगले एक दशक में दुनिया भर में कहर बरपा सकती है कोविड जैसी घातक महामारी: रिपोर्ट
27.5% संभावना है कि कोविड-19 जैसी घातक महामारी अगले दशक में हो सकती है क्योंकि वायरस बार-बार उभर रहा है, तेजी से वैक्सीन लगाना इसकी घातकता को कम करने का तरीका है.
भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शुक्रवार (14 अप्रैल) को जारी आंकड़ों के अनुसार, देश में बीते 24 घंटों में कोरोना के 11 हजार 109 नए मामले दर्ज किए गए हैं. इसी के साथ कोरोना के एक्टिव मामलों की संख्या 49 हजार के पार पहुंच गई है.
कोरोनावायरस के संक्रमण की तेज रफ्तार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक दिन पहले यानी 13 अप्रैल को सामने आए आंकड़ों में 1 हजार नए मामले जुड़ गए हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से 13 अप्रैल को जारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कोरोना के 10,158 नए मामले सामने आए थे. कोरोना के मामलों में काफी तेजी से उछाल देखा गया है. इससे एक दिन पहले यानी 12 अप्रैल को देश में कुल 7,830 मामले सामने आए थे.
एक स्वास्थ्य विश्लेषण के आधार पर भविष्यवाणी करने वाली फर्म के अनुसार, 27.5% संभावना है कि कोविड-19 जैसी घातक महामारी अगले दशक में हो सकती है क्योंकि वायरस बार-बार उभर रहा है, तेजी से वैक्सीन लगाना इसकी घातकता को कम करने का तरीका है. समाचार एजेंसी ब्लुमबर्ग ने इसकी जानकारी दी है.
लंदन स्थित एयरफिनिटी लिमिटेड (
Ltd.) के अनुसार, जलवायु परिवर्तन, अंतर्राष्ट्रीय यात्रा में वृद्धि, बढ़ती आबादी और जूनोटिक बीमारियों से पैदा खतरा जोखिम बढ़ा रहा है. फर्म के मॉडलिंग के अनुसार, एक घातक महामारी 8.1% तक गिर जाती है.सबसे खराब स्थिति में, एक बर्ड फ्लू प्रकार का वायरस जो मानव-से-मानव संचरण की अनुमति देने के लिए उत्परिवर्तित होता है, एक ही दिन में ब्रिटेन में 15,000 से अधिक लोगों को मार सकता है, एयरफिनिटी ने कहा.
दुनिया अब कोविड-19 के साथ जी रही है, स्वास्थ्य विशेषज्ञ अगले संभावित वैश्विक खतरे की तैयारी पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. पिछले दो दशकों में पहले से ही तीन प्रमुख कोरोनावायरस देखे गए हैं जो SARS, MERS और Covid-19 का कारण बनते हैं, साथ ही 2009 में स्वाइन फ्लू महामारी भी थी.
H5N1 बर्ड फ्लू स्ट्रेन का तेजी से प्रसार पहले से ही चिंता का विषय है. जबकि अभी तक बहुत कम लोग संक्रमित हुए हैं और इसके मानव-से-मानव संचरण में बढ़ने के कोई संकेत नहीं हैं, पक्षियों में बढ़ती दर और स्तनधारियों में बढ़ती दर ने वैज्ञानिकों और सरकारों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है कि वायरस ऐसे तरीकों से उत्परिवर्तित हो सकता है जिससे इसे फैलाना आसान हो सकता है.
एयरफिनिटी ने कहा कि MERS और जीका जैसे कई उच्च जोखिम वाले रोगजनकों के टीके या उपचार को मंजूरी नहीं है, और मौजूदा निगरानी नीतियों से समय पर ढंग से एक नई महामारी का पता लगाने की संभावना नहीं है, जो महामारी की तैयारी के उपायों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालती है.