कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों के लिए 'ढाल' बना ये स्टार्टअप, ऐसे कर रहा है सुरक्षा
कोरोनोवायरस के चलते पूरे भारत में 21 दिनों का लॉकडाउन जारी है। लगभग पूरा देश सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो कर रहा है लेकिन ऐसे समय में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के पास ये लग्जरी नहीं है। अपने स्वास्थ्य को जोखिम में डालते हुए, कई डॉक्टर, नर्स, अर्दली, डायग्नोस्टिक्स क्रू, प्रशासनिक कर्मचारी और क्लिनिक सहायक जैसे कई लोग COVID-19 के खिलाफ जंग का नेतृत्व कर रहे हैं। कोरोनावायरस के मामलों की बढ़ती संख्या ने न केवल चिकित्सा बुनियादी ढांचे पर बल्कि स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं पर भी दबाव डाला है जो प्रभावित रोगियों की देखभाल के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
3डी प्रिंटर निर्माता बोसॉन मशीन्स (Boson Machines) के सह-संस्थापक, अर्जुन और पार्थ पांचाल, नोवेल कोरोनावायरस के प्रसार की जांच करने के सरकार के प्रयासों की सहायता करने के लिए, स्वास्थ्य पेशेवरों को सुरक्षित रखने के लिए ढाल दे रहे हैं। ये हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स हमेशा कोरोना मरीजों के संपर्क में रहते हैं।
2017 में स्थापित, मुंबई स्थित बोसॉन मशीन्स अब स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के लिए सुरक्षात्मक फेस शील्ड बनाने के लिए अपनी 3डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग कर रही है। डॉ. स्वप्निल पारिख की मदद से, बोसॉन मशीन्स विशेषज्ञों और डॉक्टरों से जुड़ी जिन्होंने उत्पाद को क्यूरेट करने और डिजाइन करने में मदद की।
योरस्टोरी के साथ बात करते हुए, सह-संस्थापक अर्जुन का कहना है कि स्टार्टअप की वर्तमान विनिर्माण क्षमता प्रति दिन 500-800 शील्ड है, लेकिन इसे पूर्ण क्षमता में 4,000 पीसेस तक बढ़ा सकते हैं। हालांकि, यह भी मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
वे कहते हैं,
“पूरे भारत में डॉक्टरों द्वारा 20,000 फेस शील्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है। अकेले महाराष्ट्र में शील्ड की कुल आवश्यकता चार लाख से अधिक है।"
हमेशा की तरह का व्यापार नहीं
कोरोनोवायरस महामारी से आने वाली चुनौतियों से निपटने में मदद करने के लिए स्टार्टअप को यथास्थिति को बदलना पड़ा और इस अवसर पर उसे आगे आना पड़ा। फेस शील्ड के लिए बढ़ी हुई मांग को देखते हुए, न केवल संस्थापकों और कर्मचारियों को बल्कि उनके परिवार के सदस्यों को भी प्रोडक्शन में तेजी लाने के लिए लगना पड़ा।
शील्ड्स की कीमत 150 रुपये है, लेकिन अर्जुन उन्हें सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में उपलब्ध कराने की उम्मीद करते हैं। वे कहते हैं,
“हमने देश भर में मानक दर को बनाए रखा है। सभी निजी अस्पतालों के लिए, हम इसे 150 रुपये प्रति पीस पर दे रहे हैं, जबकि सरकारी अस्पतालों के लिए, हम उन्हें मुफ्त में पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमें बहुत सारे फंड की जरूरत है।"
वर्तमान में, जोखिम से बचने के लिए एक मास्क का उपयोग केवल एक ही बार किया जा रहा है। मास्क के लिए अतिरिक्त प्लास्टिक शीट को हेलमेट के साथ खरीदा जा सकता है। एक बार जब डॉक्टर मास्क का उपयोग करते हैं, तो उन्हें उपचार पूरा करने के बाद इसे फेंकने और इसे एक नए के साथ बदलने की आवश्यकता होगी।
जहां, स्टार्टअप को देश भर में सुरक्षात्मक गियर की भारी मांग का सामना करना पड़ रहा है, वहीं लॉकडाउन के बीच लॉजिस्टिक झड़पों के कारण उत्पादों को वितरित करने में समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है। उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, अर्जुन ने खुद से मुंबई के स्थानीय अस्पतालों में डिलीवरी दी है।
वे कहते हैं,
“हमारे पास अभी जम्मू-कश्मीर के ऑर्डर हैं और 1,800 पीसेस को भेजने की आवश्यकता है। हालांकि, लॉजिस्टिक की कमी एक समस्या है। हमें उत्पादों को भेजने में मदद के लिए दो कूरियर सेवाओं, डेल्हीवरी और डीटीडीसी से संपर्क किया गया है।"
जैसे-जैसे अधिक टेस्टिंग हो रही है वैसे-वैसे देश भर में अधिक संख्या में कोरोनोवायरस के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए चिकित्सा सुविधाओं में सुधार करना समय की आवश्यकता है। हालांकि जहां भारत सरकार महामारी को नियंत्रित करने और PM CARES फंड के माध्यम से वित्तीय राहत प्रदान करने के लिए अपनी ओर से हर संभव प्रयास कर रही है, तो वहीं स्टार्टअप और उद्यमी इस स्थिति से लड़ने के लिए अपने इनोवेशन को तेज करने से पीछे नहीं हट रहे हैं।
वैश्विक स्वास्थ्य संकट के बीच, यह देखकर खुशी होती है कि भारतीय स्टार्टअप स्थिति को संबोधित करने के लिए संभव समाधान खोजने के लिए अपना प्रयास कर रहे हैं।