कोरोना वायरस को रोकने के लिए अन्य देशों की तुलना में भारत क्या कर रहा है?
वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस के सबसे अधिक मामलों की सूची में भारत अभी 11 पायेदान पर है, जबकि अमेरिका 15 लाख से अधिक मामलों के साथ पहले नंबर पर है।
देश में सोमवार को पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के सबसे अधिक 5242 मामले सामने आए हैं, जबकि इसी के साथ कोरोना वायरस संक्रमण मामलों की संख्या देश में 96,169 पहुँच गई है। देश में 36,823 लोग इससे रिकवर भी हुए हैं, लेकिन मौतों का आंकड़ा भी 3 हज़ार पार कर चुका है। देश में कोरोना की स्थिति को काबू में लाने के लिए लॉकडाउन के चौथे चरण की घोषणा भी हो चुकी है, जो 31 मई तक चलेगा।
नए लॉकडाउन में कुछ नियम बदले गए हैं, जबकि अधिकतर नियम लॉकडाउन 3 की तरह ही हैं। देश में कोरोना वायरस के लगातार बढ़ रहे मामले सभी के लिए चिंता का विषय हैं, हालांकि भारत के साथ ही विश्व के तमाम देशों में वैज्ञानिकों की टीमें कोरोना वैक्सीन पर काम कर रही हैं, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई पुख्ता परिणाम सामने नहीं आए हैं।
वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे अधिक मामले अमेरिका में पाये गए हैं। देश में कोरोना वायरस के 15 लाख से भी अधिक मामलों की पुष्टि हुई है, जबकि 3 लाख 46 हज़ार लोग इससे रिकवर हुए हैं। अन्य देशों की बात करें तो 2 लाख 81 हज़ार से अधिक मामलों के साथ रूस दूसरे नंबर पर, 2 लाख 77 हज़ार से अधिक मामलों के साथ स्पेन तीसरे नंबर पर, 2 लाख 43 हज़ार मामलों के साथ यूनाइटेड किंग्डम चौथे नंबर पर और फिर क्रमशः ब्राज़ील, इटली, फ्रांस और जर्मनी का नंबर आता है।
भारत इस सूची में अभी 11वें पायेदान पर है, जबकि कोरोना वायरस की शुरुआत का केंद्र रहा चीन अब 13वें नंबर पर है। चीन में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 82,854 मामले पाये गए हैं, जबकि चीन में अब सिर्फ 82 एक्टिव केस हैं।
अभी तक इटली और इजरायल के साथ बांग्लादेश के शोधकर्ताओं ने भी कोरोना वायरस वैक्सीन बना लेने का दावा किया है, लेकिन इन सभी वैक्सीन का अभी मानव परीक्षण चल रहा है। हाल ही में अमेरिका के कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने भी एक ऐसी एंटीबॉडी खोज लेने का दावा किया है, जिसमें कथित तौर पर कोरोना संक्रमण रोक लेने की 100 प्रतिशत क्षमता है। कहा जा रहा है जब तक कोरोना वायरस वैक्सीन उपलब्ध नहीं होती है, तब तक इन एंटीबॉडी का उपयोग कोरोना के बढ़ते प्रभाव के लिए किया जा सकता है।
इस संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन के दावों की मानें तो वैक्सीन का निर्माण करने में लगी वैज्ञानिकों की आठ टीमें क्लीनिकल ट्रायल के स्टेज तक पहुँच चुकी हैं, जबकि अन्य 110 टीम अभी इस दिशा में अलग-अलग स्टेज पर हैं।
भारत में भारत बायोटेक, हैदराबाद और सीरम इंस्टीट्यूट, पुणे ये दो बड़े संस्थान कोरोना वायरस वैक्सीन का ट्रायल कर रहे हैं। आईसीएमआर के अनुसार देश में मोनोकोनल एंटीबॉडी के लिए इन दोनों संस्थानों को फंड किया गया है।
भारत में माइक्रोबैक्टेरियम डबल्यू और एसीएचक्यू दवाओं पर रिसर्च जारी है। इन ड्रग का दिल्ली और भोपाल के एम्स में ट्रायल शुरू हो चुका है। एसीएचक्यू एक वनस्पति है, जिससे बनी दावा का उपयोग डेंगू जैसी बीमारी में किया जाता है। भारत में इसी के साथ प्लाज्मा थेरेपी के जरिये भी इलाज किए जाने का दावा किया जा रहा है, हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इसकी अनुमति नहीं दी गई है।
इसके पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भी कहा था कि अमेरिका और भारत कोरोना वायरस वैक्सीन के निर्माण में एक दूसरे का सहयोग का रहे हैं, जबकि भारत की मदद के लिए अमेरिका उसे वेंटिलेटर भी उपलब्ध कराएगा।
अमेरिका ने भी अपने नागरिकों के लिए स्टे एट होम की सलाह दी थी। देश का दावा है कि इसके चलते देश में एक करोड़ से अधिक लोग संक्रमित होने से बच पाये हैं। अमेरिका के कई राज्यों में कोरोना वायरस के मामलों में कमी दर्ज़ की गई है, इसी के चलते अब देश ने 11 राज्यों में प्रतिबंधों में क्षेत्रीय ढील दी है, जबकि 4 राज्यों में आने वाले हफ्ते में छूट दी जाएगी।
भारत में लॉकडाउन 4 के साथ प्रतिबंधों में ढील की के लिए राज्यों को अधिकतर ज़िम्मेदारी दे दी गई है। स्थितिवार नज़र डालने पर अभी भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों के बढ़ने की दर में कोई कमी नज़र नहीं आ रही है।