Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

सड़क हादसों से बचाने में मददगार साबित होगी IIT जोधपुर की ये नई रिसर्च

ये इंटरनेट ऑफ व्हीकल यानि IOV नेटवर्क पर आधारित एक ऐसी अनोखी रिसर्च है जिसकी मदद से सड़क परिवहन को अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बेहतर तरीके से संचालित किया जा सकता है.

सड़क हादसों से बचाने में मददगार साबित होगी IIT जोधपुर की ये नई रिसर्च

Saturday January 27, 2024 , 6 min Read

हाइलाइट्स

  • इस नई तकनीक से न केवल ट्रैफिक जाम बल्कि दुर्घटनाएं भी हो सकती हैं कम
  • वाहन चालक के तनाव का आकलन भी कर सकती है IIT की नई रिसर्च और चालक के लिए वाहन चलाना कितना सुरक्षित है; इसके बारे में सचेत कर सकती है
  • इंटरनेट ऑफ व्हीकल (IoV) नेटवर्क के आधार पर काम करने वाली इस तकनीक में उपयोगकर्ता का डेटा भी पूरी तरह सुरक्षित रहता है

IIT जोधपुर के शोधकर्ताओं ने अपनी एक नई रिसर्च पेश की है. इस रिसर्च का नाम है A Novel MAC-Based Authentication Scheme (NoMAS) for Internet of Vehicles (IoV), ये इंटरनेट ऑफ व्हीकल यानि IOV नेटवर्क पर आधारित एक ऐसी अनोखी रिसर्च है जिसकी मदद से सड़क परिवहन को अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बेहतर तरीके से संचालित किया जा सकता है. इस तकनीक की मदद से अगर यातायात प्रबंधन किया जाए तो न केवल रोज़ाना लगने वाले ट्रैफिक जाम में कमी आ सकती है बल्कि वाहनों से होने वाली दुर्घटनाओं को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है.

आईआईटी जोधपुर के शोधकर्ताओं ने इसी क्षेत्र से संबंधित एक और रिसर्च भी की है, जिसका नाम है Federated learning based driver recommendation for next generation transportation system, इस रिसर्च में किसी वाहन चालक के वाहन चलाने के तरीके का विश्लेषण कर के इस बात का पता लगाया जा सकता है कहीं वह चालक तनाव में तो गाड़ी नहीं चला रहा है और अगर ऐसा है तो इस रिसर्च की मदद से ये भी पता लगाया जा सकता है कि ऐसी स्थिति में उस चालक के लिए वाहन चलाना सुरक्षित है भी या नहीं.

Noval MAC Based Authentication Scheme यानि NoMAS की मदद से न केवल वाहनों को और ज़्यादा सुरक्षित बनाया जा सकता है बल्कि एक आम वाहन को एक स्मार्ट व्हीकल में बदला जा सकता है. इस तकनीक के ज़रिये भारत की सड़कों पर मौजूद कई चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है. इसके ज़रिये वाहनों के बीच real time communication की मदद से सड़कों की स्थिति, ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं के बारे में जानकारियां साझा की जा सकती हैं. इस जानकारी का इस्तेमाल कर के वाहन चालक, दुर्घटनाओं की संभावना को कम कर सकता है. 

cutting-edge-research-from-iit-jodhpur-may-revolutionize-future-road-transport

IIT जोधपुर के रिसर्चकर्ता

NoMAS का इस्तेमाल किसी दुर्घटना या रोड की खतरनाक स्थिति के बारे में आपातकालीन अलर्ट जारी करने के लिए भी किया जा सकता है ताकि आसपास मौजूद वाहन सचेत हो जाएं और बचाव के लिए ज़रूरी कदम उठा सकें. IOV नेटवर्क की मदद से जुटाए गये आंकड़ों का विश्लेषण कर के दुर्घटना संभावित क्षेत्रों का पता लगाया जा सकता है साथ ही ऐसी सड़कों के बारे में भी जानकारी इकट्ठा की जा सकती है जिनकी स्थिति खराब है और जहां पर मरम्मत की ज़रूरत है. NoMAS का इस्तेमाल कर के वाहनों को चोरी या अनाधिकृत इस्तेमाल से भी बचाया जा सकता है. इस रिसर्च की एक खासियत ये भी है कि इसके IOV नेटवर्क पर आधारित होने के बाद भी इसमें यूज़र का डेटा पूरी तरह सुरक्षित रहता है साथ ही इसकी मदद से नेटवर्क की क्षमता को भी काफी हद तक बढ़ाया जा सकता है.

NoMAS की एक विशेषता ये भी है कि ये अलग अलग तरह के वाहनों के साथ आसानी से काम कर सकती है, इसके लिए बस एक ऑन बोर्ड यूनिट यानि OBU की ज़रूरत होती है. इस OBU की मदद से किसी भी वाहन में IOV नेटवर्क के साथ संपर्क स्थापित किया जा सकता है. IoV में, वाहनों और अन्य IoV घटकों के बीच संपर्क, डेडिकेटेड शॉर्ट-रेंज कम्युनिकेशन (DSRC-Dedicated Short-Range Communication) प्रोटोकॉल और वायरलेस एक्सेस इन वेहिकल एनवायरनमेंट (WAVE-Wireless Access in Vehicular Environment) प्रोटोकॉल का उपयोग करके किया जा सकता है.

ये रिसर्च आईआईटी जोधपुर के कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देबाशीष दास, और पीएचडी छात्रा हिमानी सिकरवार ने मिलकर की है, जिसे IEEE ट्रांजेक्शन्स ऑन इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम्स में प्रकाशित किया गया है.

हालांकि इस तकनीक की मदद से वाहनों के बीच संचार को बेहतर बनाया जा सकता है जिससे दुर्घटनाओं को कम करने में मदद मिलती है लेकिन ये सड़क सुरक्षा को सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका नहीं है. इसके लिए सड़कों की स्थिति, यातायात प्रबंधन, वाहन चालक का आचरण, यातायात नियमों को पालन और वाहन की अपनी सुरक्षा प्रणाली समेत कई दूसरे कारकों का होना भी ज़रूरी है.

इस शोध को ग्लोबल इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी एलायंस (GITA), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और अभियांत्रिकी अनुसंधान बोर्ड, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY), और डकीटाउन, ईटीएच ज्यूरिख और मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के कंप्यूटर विज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रयोगशाला, संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा वित्त पोषित किया गया है.

आईआईटी जोधपुर ने इसी कार्यक्षेत्र से जुड़ी हुई एक और रिसर्च भी पेश की है. इस रिसर्च का नाम है Federated learning based driver recommendation for next generation transportation system. अगर कोई वाहन चालक तनाव में वाहन चला रहा है तो ये सिर्फ उसके लिए खतरनाक नहीं है बल्कि सड़क पर चल रहे दूसरे लोगों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है. इस रिसर्च की मदद से चालक के गाड़ी चलाने के पैटर्न का विश्लेषण किया जा सकता है और उस आधार पर ये पता लगाया जा सकता है कि कहीं वो चालक तनाव में तो वाहन नहीं चला रहा है. अगर ये पता चलता है कि चालक तनाव में ड्राइविंग कर रहा है तो इसे रोकने के लिए कई तरह के कदम उठाए जा सकते हैं जैसे चालक को लगातार की जा रही यात्राओं के बीच में विश्राम दिया जा सकता है, अलर्ट का संदेश देकर सतर्क किया जा सकता है या फिर तनाव में गाड़ी चलाने पर चालक पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

Cutting-edge Research from IIT Jodhpur may Revolutionize Future Road Transport

इस रिसर्च के तहत आईआईटी जोधपुर के शोधकर्ताओं ने एक डीडी-मॉनीटर (DD Monitor-Driver’s Driving Monitor) नाम का एक टेस्टबेड विकसित किया है, जो रियल टाइम में ड्राइविंग का डेटा इकट्ठा कर सकता है और असामान्य ड्राइविंग पैटर्न को पहचान पर वाहन चालक के तनाव का आकलन कर सकता है. जोधपुर की सड़कों पर डीडी-मॉनीटर का एक ट्रायल रन सफलतापूर्वक किया भी जा चुका है. डीडी-मॉनिटर की खासियत यह है कि यह हर व्यक्ति के लिए उपयोगी है. माता-पिता इसका उपयोग अपने बच्चों की निगरानी के लिए कर सकते हैं. कार किराये पर देने वाली कंपनियाँ वाहन चलाने के तरीके के आधार पर किराया वसूल कर सकती हैं.

इस रिसर्च को करने वाली टीम में शामिल हैं आईआईटी जोधपुर के कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देबाशीष दास, रिसर्च स्कॉलर जयंत व्यास, रिसर्च स्कॉलर भूमिका और आईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रोफेसर शांतनु चौधरी. ये रिसर्च पेपर Expert Systems with Applications में प्रकाशित हुआ है. इस रिसर्च में जोधपुर सिटी नॉलेज एंड इनोवेशन फाउंडेशन, आईआईटी जोधपुर ने भी सहयोग दिय़ा है.

सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने में इन दोनों शोधों की क्या अहमियत है इस बारे में आईआईटी जोधपुर के कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देबाशीष दास ने बताया, “हमें NoMAS (Noval MAC Based Authentication Scheme) को पेश करते हुए बेहद खुशी हो रही है. ये इंटरनेट ऑफ व्हीकल्स यानि IOV की सुरक्षा और दक्षता को बढ़ाने का एक अभूतपूर्व समाधान है. NoMAS के साथ हमने डेटा सुरक्षा, संचार ओवरहेड और सुरक्षा कमजोरियों में महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने का प्रयास किया है. इसके अलावा हमारे दूसरी रिसर्च Federated learning based driver recommendation for next generation transportation system वाहन चालक के आचरण का आकलन कर के चालक के तनाव का पता लगा सकती है. ये दोनों ही शोध प्रदूषण और ट्रैफिक जाम के साथ साथ सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं को भी कम कर सकते हैं.”