Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

वक़्त से पहले तूफ़ानों का मिज़ाज पढ़ लेते हैं 'साइक्लोन मैन' मृत्युंजय महापात्र

वक़्त से पहले तूफ़ानों का मिज़ाज पढ़ लेते हैं 'साइक्लोन मैन' मृत्युंजय महापात्र

Tuesday October 15, 2019 , 3 min Read

बचपन से मानस पटल पर जमा भयावह समुद्री तूफ़ानों की अमूर्त छवियों ने चक्रवात पीड़ित भद्रक (ओडिशा) के एक छोटे-से गाँव में जनमे आईएमडी के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र को भारत मौसम विज्ञान विभाग का शीर्ष वैज्ञानिक बना दिया। सटीक मौसम पूर्वानुमान के लिए वह अतंरराष्ट्रीय स्तर तक सम्मानित हो चुके हैं।  

k

'साइक्लोन मैन' मृत्युंजय महापात्र (फोटो: सोशल मीडिया)


भद्रक (ओडिशा) के एक छोटे-से गाँव में जनमे भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र अपनी वैज्ञानिक की भूमिका में समुद्रों में तूफ़ान आने से पहले उनका मिज़ाज पढ़ लेते हैं। इस साल मई में जब ओडिशा के तट पर चक्रवाती तूफान ‘फानी’ ने  दस्तक दी, उसके झपट्टे से पहले डॉ महापात्र तटवर्ती लोगों को उससे आगाह कर चुके थे, जिससे बचाव कार्य वक़्त से काफी पहले शुरू हो जाने के कारण जान-माल की भारी तबाही होने से रह गई। मौसम विज्ञानी महापात्र पिछले दो दशकों में फैलिन, हुदहुद, वरदा, तितली, सागर, मेकूनू जैसे खतरनाक चक्रवातों की भी सटीक भविष्यवाणियां कर चुके हैं।


ओडिशा के उत्कल विश्वविद्यालय से भौतिकी में पीएचडी महापात्र नेअपने करियर की शुरुआत तो  रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन से की, लेकिन 1990 के दशक में उन्होंने मौसम विज्ञान विभाग का पद संभाल लिया। दरअसल, महापात्र ने अपनी जन्मभूमि पर बचपन से ही समुद्री तूफ़ानों के जो विकराल तांडव देखे थे, बड़े होने पर वही उनके मौसम विज्ञानी होने की पहली वजह बन गए थे। तूफ़ानों के विध्वंस ने उनके बाल मानस पटल पर ऐसी भयानक स्मृतियां छोड़ रखी हैं, जिनसे वे आज तक उबर नहीं सके हैं।      


डॉ. महापात्र बताते हैं कि बीते लगभग एक दशक में भारत के मौसम और जलवायु पूर्वानुमान में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। मौसम संवेदी गतिविधियों के अवलोकन और पूर्वानुमान से जुड़ी प्रणाली को उन्नत बनाया गया है। आधुनिक मॉडलों और उच्च तकनीकों की मदद से चक्रवात, भारी बारिश, कोहरा, शीत लहर, वज्रपात और लू जैसी आपदाओं का सटीक पूर्वानुमान आपदा प्रबंधकों के लिए मददगार साबित हुआ है, जिससे जन-धन की हानि कम करने में भी मदद मिली है।





आईएमडी 27 डॉप्लर मौसम रॉडार, 711 स्वचालित मौसम केंद्रों, स्वचालित 1350 रेंज गेज स्टेशनों, इन्सैट एवं अन्य उपग्रहों के अलावा कई अन्य उन्नत प्रौद्योगिकियों एवं उपकरणों के माध्यम से पूर्वानुमान प्रणाली पर कार्य कर रहा है। अब चक्रवात, भारी बारिश, झंझवात, लू, शीत लहर जैसी विपरीत मौसमी घटनाओं के लिए रंग आधारित कोडों में पूर्वानुमान जारी किया जाने लगा है। इसके साथ ही चेन्नई, मुम्बई जैसे समुद्र तटवर्ती महानगरों में बाढ़ पूर्वानुमान के सम मौसम विभाग राज्यों के निकायों के साथ मिल कर कार्य करने लगा है। 


आईएमडी महानिदेशक डॉ महापात्र 75 से अधिक शोधपत्रों के अलावा तीन पुस्तकों और पाँच पत्रिकाओं का संपादन भी कर चुके हैं। उनको अपनी सफल मौसम वैज्ञानिकी के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। वह विश्व मौसम विज्ञान संगठन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि हैं।


वह बताते हैं कि मौसम विभाग ने अगामी पांच वर्षों में सटीक पूर्वानुमान में 20 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य रखा है, जिसमें एक दशक के भीतर 40 प्रतिशत तक इजाफा हो सकता है। भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीनस्थ सात वैश्विक एवं क्षेत्रीय मॉडलों ने पूर्वानुमान प्रणाली विकसित और मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण किरदार निभाया है। हमारे आईएमडी के विश्लेषण और पूर्वानुमान केंद्र त्रिस्तरीय नेटवर्क प्रणाली पर आधारित हैं।


इस समय विश्व मौसम संगठन सूचना प्रणाली से जुड़ा भारतीय आईएमडी 21 देशों के साथ अपने आंकड़े साझा कर रहा है। आईएमडी की उच्च क्षमता वाली कम्प्यूटिंग प्रणाली मात्र चार घंटे में आंकड़ों पर आधारित पूर्वानुमान संबंधी सूचनाएं प्रसारित करने लगती है।