Paytm के CEO विजय शेखर शर्मा के बारे में तीन ऐसी बातें जो आप नहीं जानते
एक उद्यमी के रूप में तो हम सब उन्हें बहुत अच्छी तरह से जानते हैं, लेकिन हम उन बातों को शायद नहीं जानते जिसने उन्हें विजय शेखर शर्मा बनाया। लोग उन्हें अब वीएसएस के नाम से बुलाते हैं।
भारत की सबसे बड़ी डिजिटल पेमेंट कंपनी पेटीएम के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा को तीन चीजें म्यूजिक, कार और सफर करना बेहद पसंद है। आइए नजर डालते हैं इस प्रसिद्ध उद्यमी के जीवन के अनछुए पहलुओं पर।
5 अक्टूबर को योरस्टोरी के टेकस्पार्क्स कार्यक्रम में जिन 2,000 से अधिक लोगों ने पेटीएम के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा को कई मुश्किल और घुमावदार सवालों के जवाब देते हुए देखा और सुना। उनके जवाबों को सुनकर दर्शकों ने जमकर तालियां बजाईं। अपनी बातों से लोगों का दिल जीत लेने वाले विजय शेखऱ शर्मा के बारे में काफी कम लोगों को पता है।
एक उद्यमी के रूप में तो हम सब उन्हें बहुत अच्छी तरह से जानते हैं, लेकिन हम उन बातों को शायद नहीं जानते जिसने उन्हें विजय शेखर शर्मा बनाया। लोग उन्हें अब वीएसएस के नाम से बुलाते हैं। उन्हें अक्सर राजाओं जैसी जिंदगी बिताने वाले व्यक्ति के रूप में पेश किया जाता है और इस बार हमारा प्रयास रहा कि हम पेटीएम को इस ऊंचाई तक ले जाने वाली शख्सियत के बारे में जानें और साथ ही दुनिया को यह दिखाएं कि इस कद और प्रतिष्ठा की कंपनी को स्थापित करने वाले उद्यमी की क्या परिभाषा होनी चाहिये। इसी कड़ी में हम इस उद्यमी के जीवन के रोचक और अनछुए पहलुओं से रूबरू हुए:
अगर पेटीएम नहीं होता, तो शायद यायावर?
विजय दावा करते हैं कि अगर वे डिजिटल वर्ल्ड में क्रांति नहीं कर रहे होते तो इस बात की पूरी उम्मीद है कि वे बंजारा या घुमक्कड़ होते और सिंगर क्रिस मार्टिन या फिर बोनो की तरह कुछ करते। अगर उन्होंने कारोबार के क्षेत्र में कूदने का फैसला नहीं किया होता तो 'यायावर' - जिसका दूसरा मतलब घुमक्कड़ होता है, ऐसा शब्द है जिसे वे अपने जीवन को निर्धारित करने के लिये याद कर पाते हैं।
संगीत की धुन पर उनके थिरकते पांव देखने के बाद मेरा उनसे अगला सवाल बिल्कुल स्पष्ट था - 'क्या आप गाते हैं?'
उन्होंने कहा, 'मैं तो नाचना भी नहीं जानता क्योंकि यह एक ऐसी प्रतिभा है जो आप शायद अपने आसपास के वीडियो में देखते हों। मैं गाता भी नहीं हूं, लेकिन मैं वैसे ही स्टेज से बैंड के साथ गाना चाहता था जैसे क्रिस मार्टिन और बोनो गाते थे, वह भी संस्कृत बैंड।' विजय को संगीत बेहद पसंद है और वे बताते हैं कि उन्हें भारतीय शास्त्रीय, सूफी, हिंदी, पंजाबी, धिनचक संगीत से लेकर क्रिस मार्टिन और बोनो तक, वे हर प्रकार के संगीत का पूरा आनंद लेते हैं। उन्होंने बताया कि वे एप्पल म्यूज़िक पर एल्टन जॉन के रॉकेट ऑवर का विशेष रूप से आनंद लेते हैं।
इंटरनेशनल खिलाड़ी
बेशक विजय को ड्राइविंग बेहद पसंद है लेकिन वे कारों के प्रति दीवानगी नहीं रखते। वे कहते हैं, 'यह तो अमीरजादों का शौक है और वैसे भी दिल्ली ड्राइविंग सिटी बिल्कुल भी नहीं है।' वाहन नहीं बल्कि ड्राइविंग उन्हें एक अलग ही मजा देती है। वे ड्राइविंग करते समय अच्छी बातचीत या फिर संगीत का आनंद लेना पसंद करते हैं। इसके अलावा वे रास्ते में मिलने वाले ट्रैफिक जाम का इस्तेमाल लंबे समय से टल रही बातचीत को पूरा करने के लिये बखूबी करते हैं।
विजय की निरंतर यात्राओं से परिपूर्ण दिनचर्या उन्हें वास्तव में विदेश की सड़कों का अनुभव लेने का मौका देती है और वे कहते हैं कि उन्हें वहां पर ड्राइव करना बेहद अच्छा लगता है। उन्होंने उन अधिकतर शहरों में गाड़ी चलाई है जहां वे यात्रा के सिलसिले में गए हैं। इनमें टोरंटो, लॉस एंजेल्स, सैन फ्रांसिस्को और मैड्रिड के अलावा और कई शहर शामिल हैं।
इसके अलावा यह टीम को तैयार करने की दिशा में उनकी पसंदीदा गतिविधि भी है। वे कहते हैं, 'हम एक ऐसे देश में जाते हैं जहां की संस्कृति और भाषा से हम अनभिज्ञ हैं और ऐसे में टीम को दूसरों से जुड़ने और आपस में बात करने के नए तरीकों को तलाशना होता है। हम एक अहम नियम का पालन करते हैं- हम एक जगह पर एक रात से अधिक नहीं रुकते हैं।'
वे स्पेन की बातों को याद करते हुए बताते हैं कि कैसे वहां पर वे खाने का ऑर्डर करते समय पूरी टीम की मदद करने के इरादे से अनुवाद करते थे और जैसे ही वेटरों का ध्यान इस ओर गया वे आकर उनके पास ही खड़े हो गए क्योंकि उन्हें मालूम हो गया था कि वे ही खाने का ऑर्डर देंगे। वे कहते हैं, 'जब-जब ऐसा हुआ हम सभी हंसने लगे।'
यात्रा, काम और दिनचर्या के बारे में वे कहते हैं, 'अगर आप कुछ ऐसा करते हैं जो करने के आप वास्तव में इच्छुक हैं और करना पसंद करते हैं तो उसे जुनून कहते हैं। अगर आपको लगातार ऐसे काम करने के लिये कहा जाता ह या फिर दबाव डाला जाता है, तो उसे तनाव कहते हैं। जुनून और तनाव एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और दोनों बहुत अधिक समय लेते हैं।'
विजय के लिये उनका काम ही जुनून है और यही वजह है कि उनके जीवन में तनाव या तकलीफ का कोई क्षण नहीं आया है। विजय को अचानक से प्लान की चीजें काफी पसंद हैं। वे कहते हैं कि वे किसी भी समय जाग सकते हैं। वे टेकस्पार्क्स का हिस्सा बनने के लिये सुबह-सवेरे तीन बजे जाग गए और वे कहते हैं, 'मेरे फोन में सुबह 6 बजे से पहले के 15 अलार्म स्लॉट हैं।' उनका जीवन यात्राओं से भरा हुआ है और वे याद करते हुए बताते हैं कि कैसे एक दिन उन्होंने कई हजार किलोमीटर दूर स्थित दो देशों की यात्रा की और सिर्फ एक दिन के काम के लिये ही 4 अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में सफर किया।
वे कहते हैं, 'अगर आप किसी काम को करना चाहते हैं तो वह मजा है और अगर आप नहीं करना वाहते तो तनाव।' और यह उतना ही सरल और जटिल है जो इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहां खड़े हैं।
पूरी तरह शाकाहारी
विजय पूर्णतः शाकाहारी हैं। उन्हें दही-बटाटा-पूरी खाना बेहद पसंद है। उन्होंने रेस्टोरेंटों में जाने और विभिन्न खानों को मिलाकर अपनी नई डिश बनाने का एक नया शौक भी विकसित किया है। वे कहते हैं, 'मैं टैको की एक दुकान में जाकर बीन लेकर उसे दही और कुछ अन्य चीजों के साथ मिलाकर चाट तैयार करता हूं।' मेन्यू पढ़ना उनका एक और पसंदीद शौक है। विजय का कहना है कि उन्हें खाने और उसकी खुशबू को समझने से बेहद प्यार है। इसके अलावा उन्हें अपने दोस्तों के लिये ऑर्डर करना भी बेहद पसंद है। उन्होंने शाकाहारी के रूप में जिंदगी बिताना सीख लिया है। वे कहते हैं, 'मैं कई भाषाओं में शाकाहारी शब्द बोल सकता हूं।' इसी बीच वे बहुत जल्द ही स्पष्ट कर देते हैं कि उन्हें कई भाषाओं में 'शाकाहारी' शब्द बोलना आता है।
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