ये ट्रैवल-टूरिज़म स्टार्टअप्स, आपकी गर्मी की छुट्टियों को बना सकते हैं ख़ास
गर्मियों की छुट्टियों को बनाना चाहते हैं खास, तो जुड़ें इन ट्रैवल टूरिज़म स्टार्टअप्स से...
इंटरनेट और सोशल मीडिया के ज़रिए, तमाम जानकारियों तक लोगों की पहुंच बेहद सहज हो गई है। यह भी एक वजह है कि हर उम्र के लोगों के बीच अपनी पसंद की जगहों पर घूमने जाने का और अपने अनुभवों में इज़ाफ़ा करने का प्रचलन बढ़ रहा है।
हाल में द ब्लू यॉन्डर, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, राजस्थान, केरल और कर्नाटक में अपने ख़ास हॉलिडे ट्रैवल प्लान्स उपलब्ध करा रहा है। यह स्टार्टअप, श्रीलंका, भूटान, बांग्लादेश, दक्षिण अफ़्रीका और नेपाल की ट्रिप्स भी प्लान करता है।
इंटरनेट और सोशल मीडिया के ज़रिए, तमाम जानकारियों तक लोगों की पहुंच बेहद सहज हो गई है। यह भी एक वजह है कि हर उम्र के लोगों के बीच अपनी पसंद की जगहों पर घूमने जाने का और अपने अनुभवों में इज़ाफ़ा करने का प्रचलन बढ़ रहा है। हाल में एक्सपीरिएंशल और ईको-टूरिज़म को लोग प्राथमिकता दे रहे हैं। एक्सपीरिएंशल टूरिज़म यानी किसी जगह के इतिहास, लोगों और संस्कृति से ख़ुद को जोड़ कर देखना और ईको-टूरिज़म यानी प्रकृति से प्रेरित टूरिज़म। भारत में, 2000 से ही इस सेक्टर में स्टार्टअप्स की शुरूआत हो चुकी थी। ये स्टार्टअप्स, टूरिस्ट स्पॉट्स की स्थानीय आबादी के लिए रोज़गार के मौके पैदा करते हैं। आज हम आपके सामने इस सेक्टर में काम कर रहे कुछ प्रमुख स्टार्टअप्स की लिस्ट रखने जा रहे हैं, जिन्होंने विकास आधारित टूरिज़म को बढ़ावा दियाः
1. देसिया ईको-टूरिज़म कैंप
ओडिशा की कोरापुट घाटी का प्राकृतिक सौंदर्य और विविधता बेजोड़ है। प्राकृतिक संसाधनों का उपयुक्त इस्तेमाल करने के उद्देश्य के साथ युगब्रत कर ने 'देसिया ईको-टूरिज़म कैंप' की शुरूआत की। युग बताते हैं कि देसिया एक मुहिम है, जो इस क्षेत्र की विभिन्न प्रजातियों और ख़ासकर युवाओं को अपनी परंपरागत कला के माध्यम से रोज़गार के विकल्प जुटाने का मौका देती है। इतना ही नहीं, देसिया की मदद से स्थानीय कलाकारों को अपने उत्पाद बेचने के लिए एक उपयुक्त बाज़ार भी मिलता है। देश-विदेश के आगंतुक इस जगह पर आते हैं और प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ यहां की स्थानीय कला और संस्कृति से भी रूबरू होते हैं।
2. ईकोस्फेयर
इशिता खन्ना ने 2004 में स्पिति घाटी में इस स्टार्टअप की शुरूआत की थी। यह संगठन ईको-टूरिज़म के साथ-साथ इकनॉमिक एम्पावरमेंट (आर्थिक सशक्तिकरण) को बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ काम करता है। डेढ़ दशक से इस सेक्टर में काम कर रहे ईकोस्फेयर ने होस्मस्टे के कॉन्सेप्ट के साथ काम करना तब शुरू किया था, जब अधिकतर लोग इसके बारे में और इससे जुड़ीं रेवेन्यू की संभावनाओं से लगभग अनजान थे।
ईकोस्फेयर ने ऐसे तरीक़ों पर काम किया, जिनके ज़रिए सामुदायिक खेती की कार्यप्रणाली को बदलते हुए मौसम और पर्यावरण के अनुरूप बनाया जा सके। उदाहरण के तौर पर, पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोग, सिंचाई के लिए सर्दी के मौसम में जमा हुई बर्फ़ के पिघलने पर निर्भर होते है। इकोस्फेयर ने इस क्षेत्र में आर्टिफ़िशियल ग्लैशियर (चेक डैम्स) बनाए, जिनकी मदद से पानी के बहाव को नियंत्रित करके उसे जमा किया जा सके और फिर गर्मी के मौसम में उसे पिघलाकर सिंचाई की जा सके। संगठन ने अभी तक कुल 10 चेक डैम्स बनाए हैं और सभी सफल रहे हैं।
स्थानीय समुदायों के लिए आय का दूसरा मुख्य ज़रिया हो सकता था, उनकी परंपराग कला और उत्पाद। दुर्भाग्यवश, उनका प्रचलन लगभग ख़त्म ओने की ओर था। ईकोस्फेयर ने इसका भी उपाय खोज निकाला और स्थानीय लोगों से बात की और उन्हें व्यवस्थित प्रशिक्षण दिया। ईकोस्फेयर ने कारीगरों को आधुनिक तकनीकों के बारे में जानकारी दी। आपको बता दें कि अब पर्यटक (ट्रैवलर्स) इन स्थानीय समुदायों के साथ समय बिताना पसंद करते हैं और उनकी कला की बारीकियां भी सीखने की कोशिश करते हैं। स्पिति घाटी के 66 गांवों में से लगभग 80 प्रतिशत गांवों तक ईकोस्फेयर ने अपनी पहुंच बना ली है।
3. ऑफ़बीट ट्रैक्स
ऑफ़बीट ट्रैक्स की फ़ाउंडर, वंदना विजय ने तीन सालों तक फ़ेसबुक के साथ काम किया और 30 साल की उम्र में नौकरी छोड़कर, ऑफ़बीट ट्रैक्स की शुरूआत की। उनकी कंपनी की कोशिश रहती है कि अधिक से अधिक लोगों को एक्सपीरिएंशल और किफ़ायती ट्रैवल का मौका दिया जाए। अप्रैल 2016 में शुरू हुई यह कंपनी, कई ग्रामीण समुदायों के साथ मिलकर काम कर रही है।
वंदना के स्टार्टअप का उद्देश्य है कि हिमालय क्षेत्र के स्थानीय और ग्रामीण स्तर पर ईको-टूरिज़म का प्रसार किया जाए। साथ ही, होमस्टे जैसे कॉन्सेप्ट्स की मदद से इन जगहों पर रूरल माइक्रो ऑन्त्रप्रन्योरशिप को बढ़ावा दिया जाए। वंदना चाहती हैं कि ईको-टूरिज़म का इस्तेमाल करके हिमालय क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों के इन्फ़्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाया जाए। ऑफ़बीट ट्रैक्स अपने मेहमानों या पर्यटकों को स्थानीय लोगों के घर में रुकवाने का इंतज़ाम (होमस्टे) करवाता है, ताकि बाहर से आने वाली आबादी को स्थानीय लोगों की जीवनशैली की वास्तविकता का पता चल सके। इस स्टार्टअप की मदद से ट्रैवलर्स, स्थानीय घरों के किचन का भ्रमण कर सकते हैं; उनके खेतों में वक़्त बिता सकते हैं; और स्थानीय कला की जानकारी ले सकते हैं आदि।
4. रेनफ़ॉरेस्ट रिट्रीट
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से लगभग 5 घंटे की दूरी पर स्थित, कोडागु ज़िले में सुजाता और अनुराग गोयल ने 1994 में मोजो प्लान्टेशन की शुरूआत की थी। इसके पीछे उनका उद्देश्य था कि शहरों की भागदौड़ भरी ज़िंदगी को छोड़कर, जीवन की असली गति के साथ तालमेल बनाकर चला जाए और ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त प्रकृति के साथ बिताया जाए।
मोजो प्लान्टेशन के अंतर्गत एक ऑर्गेनिक फ़ार्म बनाया गया, जो ईकोलॉजिकल सिद्धांतों पर काम करता है। अनुराग ने जानकारी दी कि मोजो प्लान्टेशन प्रोजेक्ट के अंतर्गत, रेनफ़ॉरेस्ट रिट्रीट नाम से एक अनूठे ईको-टूरिज़म प्रोजेक्ट की शुरूआत हुई। इसके माध्यम से पर्यटकों को प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाने का मौका मिलता है। इसके माध्यम से देश-विदेश के स्टूडेंट्स, किसानों और एक जैसी सोच रखने वाले व्यक्तियों को खेती आदि के तरीक़ों और रिसर्च प्रोग्राम्स आदि की जानकारियां साझा करने के लिए एक प्लेटफ़ॉर्म उपलब्ध कराया जाता है।
5. निर्वाना नौमैड्स
बेंगलुरु आधारित यह स्टार्टअप, लोगों को कुछ ख़ास तरह का, जिम्मेदाराना (रेस्पॉन्सिबल) और किफ़ायती ट्रैवल एक्सपीरिएंस देता है। यह स्टार्टअप, ग्राहकों को बेंगलुरु के आस-पास के इलाकों में अलग तरह से वीकेंड सेलिब्रेशन की सुविधा देता है। यह स्टार्टअप उन लोगों के लिए है, जो बेंगलुरु या आस-पास के इलाकों के लोकप्रिय मंदिरों या अन्य टूरिस्ट स्पॉट्स पर नहीं बल्कि नहीं जगहों पर जाना चाहते हैं।
स्टार्टअप की टीम मानती है कि उनकी कंपनी कोई बिज़नेस नहीं है, बल्कि एक जैसी सोच रखने वालों का एक समुदाय है। टीम ने जानकारी दी कि वे लोगों की वाइल्डलाइफड, कल्चर, आर्ट, इतिहास या फोटोग्राफ़ी आदि में रुचि को ध्यान में रखते हुए उनके लिए ट्रैवल प्लान बनाते हैं। इसके साथ-साथ, निर्वाण नोमैड्स आपको विभिन्न पृष्ठभूमियों से ताल्लुक रखने वाले लोगों से जुड़ने और पॉटलक डिनर आदि की सुविधा भी देता है। पॉटलक डिनर में हर शख़्स अपनी एक डिश लेकर आता है और फलस्वरूप इसमें शामिल हर व्यक्ति को पूरा भोजन उपलब्ध होता है। स्टार्टअप का उद्देश्य है कि आज के दौर में लोगों को आभासी मेल-जोल से बाहर निकालकर, उन्हें सच में एक-दूसरे के करीब लाया जाए। फ़्रैंचाइज़ इंडिया मैग्ज़ीन ने इस स्टार्टअप को भारत के टॉप 100 स्मॉल ऐंड मीडियम एंटरप्राइज़ेज़ में चुना था।
6. द ब्लू यॉन्डर
2004 में गोपीनाथ पैरायिल ने केरल के एक छोटे से गांव से बतौर एक सोशल एंटरप्राइज़, द ब्लू यॉन्डर की शुरूआत की थी। इसकी शुरूआत रेस्पॉन्सिबल टूरिज़म को बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ की गई थी। फ़िलहाल इस स्टार्टअप का मुख्यालय (हेड-ऑफ़िस) बेंगलुरु में है। इस स्टार्टअप की शुरूआत मूलरूप से निला नदी (भरतपुझा) के आस-पास के इलाकों और समुदायों के विकास को केंद्र में रखते हुए हुई थी। एक वक़्त पर इस नदी का अस्तित्व पूरी तरह से ख़त्म होने की ओर था, लेकिन इस स्टार्टअप ने नदी के आस-पास के क्षेत्रों की काया ही पलट कर रख दी। द ब्लू यॉन्डर का उद्देश्य था कि ख़ास तरह के ट्रैवल एक्सपीरिएंस मॉडल की मदद से इस इलाके में स्थित मछुआरों के समुदायों को, सैंड स्मगलर्स को, कुम्हारों को और लोक कलाकारों आदि को साथ लाकर यहां के ईको-सिस्टम को बेहतर बनाया जाए।
हाल में द ब्लू यॉन्डर, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, राजस्थान, केरल और कर्नाटक में अपने ख़ास हॉलिडे ट्रैवल प्लान्स उपलब्ध करा रहा है। यह स्टार्टअप, श्रीलंका, भूटान, बांग्लादेश, दक्षिण अफ़्रीका और नेपाल की ट्रिप्स भी प्लान करता है। इस स्टार्टअप की एक ख़ास बात यह भी है कि यह अपने कर्मचारियों को आय के दूसरे ज़रिए भी चुनने की छूट देता है। उदाहरण के तौर पर अगर कोई प्लंबर या इलेक्ट्रीशियन कंपनी के लिए काम कर रहा है और वह अच्छा गाता भी है तो उसे छूट है कि पार्ट-टाइम सिंगिंग करके, वह अपनी आय को बढ़ा सकता है।
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