भारत में बाल विवाह में हुई 50 फीसदी की कमी, वैश्विक स्तर पर सकारात्मक बदलाव
यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में आई बाल विवाह के मामलों में काफी कमी, सबसे ज्यादा परिवर्तन देखने को मिला भारत में...
लड़कियों की शिक्षा में सुधार और सरकार के प्रभावी कार्यक्रमों की वजह से ऐसा संभव हो पाया। लोगों में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता का प्रसार किया गया जिसके परिणाम हम सबके सामने है।
कम उम्र में लड़की की शादी के फौरी और दूरगामी परिणाम निकलते हैं। लड़की का स्कूल छूट जाता है। कई मामलों में उसे अपने पति से प्रताड़ना सहनी पड़ती है। कम उम्र में गर्भ धारण लड़की की शारीरिक समस्याओं की वजह बन सकता है।
विश्व महिला दिवस के दो दिन पहले ही अंतरराष्ट्रीय संस्था यूनिसेफ ने भारत के लिए खुश होने वाले आंकड़े जारी किए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में बाल विवाह के मामलों में काफी कमी आई है और सबसे ज्यादा परिवर्तन भारत में देखने को मिला है। भारत की वजह से ही वैश्विक आंकड़ों में काफी कमी प्रदर्शित हुई है। यूनिसेफ के मुताबिक पिछले एक दशक में 2.5 करोड़ बाल विवाहों को रोका गया है। दुनिया में सबसे ज्यादा दक्षिण एशिया में बाल विवाह में कमी आई है जिससे 18 साल से कम उम्र की बालिकाओं की शादी करने की संभावना में एक तिहाई कमी दर्ज की गई है।
इसके साथ ही पिछड़े इलाकों में विकास से भारत में यह आंकड़ा 50 प्रतिशत से घटकर 30 प्रतिशत पर पहुंच गया है। लड़कियों की शिक्षा में सुधार और सरकार के प्रभावी कार्यक्रमों की वजह से ऐसा संभव हो पाया। लोगों में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता का प्रसार किया गया जिसके परिणाम हम सबके सामने हैं। दुनिया की कुल किशोर आबादी में से 20 फीसद भारत में रहती है। देश के बड़े क्षेत्रफल और बड़ी आबादी के चलते दक्षिण एशिया में सर्वाधिक बाल विवाह भी यहीं दर्ज होते हैं। वर्तमान में यहां बाल विवाह में धकेली गई लड़कियों की संख्या 8.52 करोड़ है, जो कि दुनिया की कुल बालिका वधुओं की संख्या का 33 फीसद यानी एक तिहाई है।
यूनिसेफ की एडवाइजर अंजू मल्होत्रा ने कहा, 'कम उम्र में लड़की की शादी के फौरी और दूरगामी परिणाम निकलते हैं. लड़की का स्कूल छूट जाता है। कई मामलों में उसे अपने पति से प्रताड़ना सहनी पड़ती है। कम उम्र में गर्भ धारण लड़की की शारीरिक समस्याओं की वजह बन सकता है। साथ ही इससे आगामी पीढ़ियों के लिए भी गरीबी का जोखिम बढ़ता है।' वे आगे बताती हैं, 'बाल विवाह अनेक समस्याओंं का कारण है. इसलिए इसमें किसी भी तरह की कमी अच्छी खबर है. हालांकि बाल विवाह को पूरी तरह खत्म करने के लिए हमें अब भी लंबा रास्ता तय करना है।'
भारत में भले ही अब भी बड़ी संख्या में बाल विवाह हो रहे हैं, लेकिन पिछले एक दशक के मुकाबले इसमें बड़ी गिरावट हुई है। देश के 2006 और 2016 के स्वास्थ्य सर्वेक्षण और 2011 की जनगणना के आधार पर तय की गई इस रिपोर्ट में सामने आया कि इस दौरान विवाहित नाबालिग लड़कियों की संख्या 47 फीसद से घटकर 27 फीसद रह गई है। यह अंतर काफी बड़ा है। देश में बाल विवाह में आई कमी से वैश्विक बाल विवाह के आंकड़ों में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है।
वर्लड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर वर्ष गर्भधारण संबंधी जटिलताओं के कारण और प्रसव के दौरान पांच लाख से अधिक महिलाएं दम तोड़ देती हैं, जिसकी मूल वजह बाल विवाह है। शिक्षा के माध्यम से बाल विवाह पर काफी हद तक नियंत्रण लग सकता है। यूनिसेफ ने बाल विवाह की प्रथा को बड़े पैमाने पर रोकने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए गैर-सरकारी और सरकारी संगठनों के साथ भागीदारी की है।
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